क्या होते हैं संज्ञेय अपराध...
प्रस्तुति- कृति शरण
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आखिर संज्ञेय अपराध हैं क्या? : दंड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची के कॉलम सं. 4 में भारतीय दंड संहिता में वर्णित प्रत्येक अपराध के लिए यह अंकित किया गया है कि वह अपराध संज्ञेय है अथवा असंज्ञेय। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संज्ञेय अपराध की परिभाषा ऐसे अपराध के रूप में की गई है, जिसमें गिरफ्तारी के लिए पुलिस को किसी वारंट की जरूरत नहीं होती। सीआरपीसी में यह भी कहा गया है कि पुलिस को ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करना चाहिए।
संज्ञेय अपराध :
* देशद्रोह
* घातक आयुधों (हथियारों) से लैस होकर अपराध करना।
* लोकसेवक द्वारा रिश्वत मामला।
* बलात्कार
* हत्या
* लोकसेवक नहीं होने पर गलत तरीके से स्वयं को लोकसेवक दर्शाकर विधि विरुद्ध कार्य करना। जनता को ऐसा आभास हो कि संबंधित व्यक्ति लोकसेवक है।
* विधि विरुद्ध जमाव। योजना बनाकर गैर कानूनी कार्य करना। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
क्या कहते हैं जानकार : प्रोफेसर डॉ. एनआर लबाना का कहना कि आम आदमी यह फायदा मिलेगा कि अब पुलिस एफआईआर लिखने में टालमटोल नहीं कर सकेगी, क्योंकि कई संज्ञेय अपराध बेहद गंभीर किस्म के होते हैं। थाने में ऐसे अपराधों की रिपोर्ट लिखी जाना चाहिए। कई बार पुलिस थानों में ऐसे अपराधों की एफआईआर दर्ज करने के लिए मना कर दिया जाता है। एफआईआर दर्ज होने के बाद कार्रवाई जरूर होगी।
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