मंगलवार, 9 अगस्त 2022

आदमी या आत्मा की सवारी?

 2019 के मई महीने के गर्मी के मौसम थे। कार से अकेले ही  अनुपपुर से बिलासपुर आते समय रात के 1 बज चुके थे। उसी समय "करियाम गाँव"मे एक सफेद परछाईं जैसे दिख रहे 20-22 साल के एक आदमी ने लिफ़्ट लेने के इशारा किया था। उस समय काफी अंधेरा था और अमाववास्या की रात थी। इसीलिए चाँद नही दिख रहा था। तो मैं अपनी सफेद मारूति डिज़ायर गाड़ी रोक दिया और पूछे "क्या हुआ है? वो आदमी बोले "कि मुझे आगे काल भैरव मंदिर रतनपुर तक छोड़ दीजिए। "                                                                                                     सामने आगे की सीट पर 2 महीने के हस्की नस्ल के 2 पिल्ले (मादा-नर) को एक बड़े से डब्बे में बैठाकर रखे थे।                                                                     इसीलिये  मैं पीछे के दरवाज़े खोलकर बैठने को बोले और उनको पानी के बोतल के पीने के तरफ और अंगूर खाने को इशारा किया ,जोकि पीछे की सीट पर रखा था। उन आदमी के केवल चेहरे ही दिख रहे थे। बाकी कुछ नही दिख रहा था। कार के आईना में उनके केवल चेहरे दिख रहे थे बाकी उनके हाथ- पैर ही नही दिख रहे थे।                                                                                                                                                                        धीरे- धीरे कार की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी। फिर देखे कि आगे  वाली सीट पर  दोनो पिल्ले खड़ा होकर अजीबोगरीब हरकतें करने लगे थे बार बार सीट के सहारे खड़े होकर  बार-बार भौंकने लगे थे।आस- पास कुछ अलग तरह की अजीब गंध आ रही थी।  फिर मैं गाड़ी रोककर देखने चाहे, यह पिल्ले इतने बेचैन होकर बार बार भोंक कर और पीछे क्या देख रहे है ?                                                                                                                         जब तक हमारी गाड़ी रतनपुर आ चुकी थी। पीछे वाले दरवाजे खोलकर देखे तो वहाँ वही लिफ़्ट मांगने वाले आदमी नही थे। वँहा पर पानी की बोतल और  अंगूर वैसे ही वैसे रखे है। उस आदमी ने ना तो पानी पिया और ना तो अंगूर  खाये। आस- पास देखे वो आदमी कही नही दिखे, हैरान हो रहे थे कि इतनी तेज दौड़ रही गाड़ी में वो   आदमी कैसे  उतर गये ?                                                                                                                  काफी देर तक तक इधर -उधर  देखते रहे और कुछ सुुराग नही मिलने पर और कुुुछ  समझ  नही पाने पर वापस जाना सही लगा।फिर  देखेे कि दोनों पिल्ले एकदम शांत होकर सोने की कोशिश करने लगे थे।                   फिर 30 मिनट बाद बिलासपुर अपने घर आ गया । तब तक रात के 3 बज चुके थे। और घर आकर सो गये।                                                                                                          सुबह करीब 8 बजे नींद खुली तो  दैनिक दिनचर्या से तरोताजा होकर अखबार पढ़ने लगे और चाय पीने लगे। फिर अखबार देखकर चौक पड़े, उसमें तस्वीरों के साथ लिखे थे "कि ओवरटेक करते समय एक आदमी के मौत हो गया" । जिस रास्ते मे उस आदमी ने लिफ्ट लिया था उसी रास्ते मे ट्रक से आगे निकलने के चक्कर मे ओवरटेक करते ही अपनी मोटरसाइकिल से आगे से  आ रही जीप से सीधे जा टकराये थे। उसी में उनके सिर में चोट लगने से तुरंत मौत हो गयी।                                                                                                             अब सवाल यही रह गया है कि क्या उस आदमी की आत्मा ने लिफ्ट लिया था ? क्या श्वान आदमी और आत्मा को पहचान लेते है या उसको लेकर अजीबोगरीब हरकतों से भौकने लगते है ? आख़िर वो चलती गाड़ी से बिना दरवाजे खोले कैसे उतर गया ?                            (छायांकन करियाम ग्राम तहसील रतनपुर 16 मई 2022)

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