असीरगढ़ का किला
असीरगढ़ किला जो बुरहानपुर के समीप है ,किवदंती है कि महाभारत के अश्वत्थामा आज भी यहां पर आते हैं , और यहां स्थित शिवलिंग में सुबह सुबह प्रार्थना करते हैं और फूल चढ़ाकर जाते हैं मेरी उत्सुकता हमेशा इस किले को लेकर बनी रही
हम दोस्त खंडवा से कई बार इस किले में घूमने आए थे, अब मैं कॉलेज में आ गया था जब मैं आठवीं क्लास में था तब से यहां पर आ रहा था | हम दोस्त हम उम्र थे और अब बड़े हो गए थे इस बार की छुट्टियों में थोड़ी बोरियत थी रात को बातचीत कर रहे थे तो एक दोस्त ने बोला कि क्यों ना इस बार असीरगढ़ फिर चले और रात भर वहां पर रुके |
सभी तैयार हो गए और कुछ दिन बाद हम 6 दोस्त तैयारी के साथ असीरगढ़ पहुंचे | हम असीरगढ़ की चढ़ाई कर रहे थे यहां रास्ते में कुछ कबरे भी बनी हुई थी | हम उस जगह पहुंचे जहां पर बड़ी-बड़ी गुफाएं बनी हुई थी | यह गुफाएं हमेशा मुझे आकर्षित करती थी मैं सोचता था कि कैसे उस समय में इतनी बड़ी गुफाओं का निर्माण किया गया जो आज भी यह इतनी बड़ी गुफाएं थी कि इसमें पूरी घुड़सवार सेना एक जगह से दूसरी जगह जा सकती थी
सुना था कि यह गुफाएं बहुत दूर बुरहानपुर से लेकर कई किलोमीटर कई 100 किलोमीटर तक फैली हुई है , इन गुफाओं के नजदीक में ही एक तालाब है जो गर्मी के दिनों में भी पूरा लबालब भरा रहता है पास में ही शिव मंदिर है | हम 6 लोग दोपहर में अपना भोजन कर किले में घूम रहे थे यह वह भाग था जहां राजा अपना दरबार लगाते थे प्रजा और मंत्रियों के बैठने की अलग-अलग जगह थी राजा के सिहासन का भी एक अलग स्थान बना हुआ था |
शाम होने लगी हमारे एक मित्र ने बताया कि सुबह के समय यहां पर अश्वत्थामा मंदिर में पूजा करने आते हैं पर जो कोई उन्हें देख लेता है वहां कुछ दिन में पागल हो जाता है और कुछ समय बाद उसकी मौत हो जाती है और यह भी कहा जाता है कि इस किले में जो भी रात को रुका है वह जिंदा नहीं बच सका है इन बातों को सुनकर हमारे कुछ मित्र घबरा गए और घबराकर चार दोस्त ने निश्चित किया कि वह रात को नहीं रुकेंगे और अभी चले जाएंगे
मैं और मेरे दोस्त रवि जो की बहुत निडर था रवि को किसी बात का डर नहीं लगता था उसने और मैंने अंततः विचार किया कि हम तो रुकेंगे और सुबह ही आएंगे इस तरह रात को वहां पर रुके राज 10:00 बजे बाद कुछ दूर रुस्तमपुर फाटा से जो लाइट आ रही थी वह भी बंद हो गई चारों ओर घोर अंधेरा था |
हम दोनों के पास टॉर्च थी रवि ने डिसाइड किया कि वह मंदिर के सामने चबूतरे पर रात गुजारेगा पर मेरी हिम्मत ना हुई और मैं किले की मीनार पर ऊपर चढ़ गया और मीनार का दरवाजा भी बंद कर दिया राम राम करते हुए सुबह हुई तकरीबन 5:00 बज रहे थे और कुछ उजाला हो गया था मैं मीनार से नीचे उतरा और मीनार का दरवाजा खोल कर रवि के पास गया पर वहां पर कोई भी नहीं था रवि की पानी की बोतल वही पड़ी थी मैंने रवि को खूब ढूंढा पर वह नहीं मिला तभी मेरी मेरा ध्यान मंदिर के कपाट पर गया जो खुला हुआ था अंदर झांकने पर देखा शिवलिंग जहांपर कल रात कुछ भी नहीं था वहां कुछ फूल है और एक दिया जल रहा था
ऐसा प्रतीत हो रहा था की कुछ देर पहले ही यहां कोई आरती कर कर गया है | मैंने रवि को खूब खोजा जब वह नहीं मिला, तो डर के मारे मैं वहां से निकल गया और किले से नीचे उतर आया मैं अपनी घबराहट को कुछ कम करते हुए सोच रहा था कि क्या किया जाए और एक होटल में मैं चला गया वहां होटल में बैठा ही था|
तभी पीछे से जोर से किसी ने हाथ मारा मैं घबरा कर पलट कर देखा तो रवि था अरे भाई तू कहां गायब हो गया था मैं तो बड़ा डर गया मैंने रवि से बोला रवि बोला पता है रात को क्या हुआ पता है ? करीब 3:00 बज रहे थे और मुझे नींद आ गई थी अचानक मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मुझे किसी ने धक्का दिया है और मैं ओटले से नीचे गिर गया उसके बाद अंधेरे में मुझे कुछ महसूस हो रहा था और सूखे पत्तों की तो मैं किसी के चलने की आहट भी थी मैंने टॉर्च जलाकर देखा तो चारों तरफ कुछ भी नहीं था तुझे भी बहुत आवाज लगाई पर इसके बाद में डर गया और नीचे उतर आया |
पता नहीं रवि नींद में गिर गया या सही में किसी ने उसे धक्का दिया | वहां पर पत्तों पर चलने की आवाज किसी इंसान की थी या कोई जानवर था वह फूल वह मंदिर में फूल कहां से आए | कौन वहां आता है यह हमारे सामने सवाल बना ही रह गया | होटल वाला बोल रहा था कि अच्छा वह तुमने किसी को देखा नहीं पर हम दोनों ने निश्चित किया की हम अभी फिर से ऊपर जाएंगे ऊपर जाने के बाद बहुत कुछ रहस्यमई घटनाएं हमारे साथ होने लगी ......To be continuब e
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