शनिवार, 6 अगस्त 2022

प्राइम टाइम / रविश कुमार

 अमरीका में महंगाई चालीस साल में सबसे अधिक है और आस्ट्रेलिया में बेरोज़गारी पचास साल में सबसे कम है. अमरीका में खाने पीने की चीज़ों के दाम 10 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं और ईंधन के 40 प्रतिशत से भी अधिक हो गई. इसके बाद भी अमरीका में बेरोज़गारी घटी है लेकिन वहां पर लोग छंटनी से बचने के लिए कम सैलरी पर काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, उनकी वास्तविक कमाई भी घट गई है, इसके बाद भी आशंका है कि मंदी में जल्दी ही छंटनी का दौर शुरू होने वाला है. उधर आस्ट्रेलिया में काम करने वालों की इतनी कमी हो गई है कि नए प्रोजेक्ट रुक गए हैं और हर तरफ काम अटकने लगे हैं. जितनी नौकरी है उतने ही बेरोज़गार है, मतलब जो चाहेगा उसे काम मिलेगा. वहां मांग हो रही है कि बाहर से इंजीनियर, टेक्निशियन और लेबर को लंबे समय का वीज़ा देकर बुलाया जाए ताकि काम न रूके. इंटरनेशनल न्यूज़ से कुछ हो न हो, कई बार नेशनल दुख कम हो जाता है. इसलिए बताया ताकि सारी ऊर्जा वायरल कराने में न खप जाए कि भारत का रुपया डॉलर के मुकाबले कमज़ोर हो गया.


मगर लोग ललित मोदी और सुष्मिता सेन की तस्वीरों को वायरल कराने में लग गए. जब कि सुष्मिता सेन ने इन तस्वीरों की पुष्टि भी नहीं की थी।अब उनका बयान आया है कि शादी नहीं हुई है. ललित मोदी ने अपने ट्विट में रिश्तों को लेकर कई बार नाम बदले और बाद में लिख दिया कि शादी नहीं हुई है. सुष्मिता ने भी यही सफाई दी है कि शादी नहीं हुई है . अब आप समझ गए होंगे कि भगोड़ा मोदी इतना ललित क्यों है? वह पहले भी कई बार तस्वीरों को डाल कर वायरल के लिए मारी फिर रही जनता को आज़मा चुका है .श्रीलंका की बात करते करते लोग सुष्मिता सुष्मिता पुकारने लगे .ललित मोदी की इन तस्वीरों से इतना ज़रूर पता चलता है कि बंदा टेंशन में नहीं हैं. फ्राड कर भारत से भागने वाले का दि एंड नहीं हुआ है बल्कि बिगनिंग हो रही है और पिकनिक चल रही है.


वह अब भी चर्चाओं के ज़रिए भारत में वापसी कर लेता है .इसे चर्चा वापसी कह सकते हैं. विजय माल्या को ही देखिए, भारत से भाग गए हैं मगर भारतीयता नहीं छूटी है, नहीं तो कुर्ता पाजामा विदेश में कौन पहनता है, इंडिया में तो हाफ पैंट में घूमा करते थे,क्रिकेट खिलाड़ी क्रिस गेल से मत जलिए कि हवाई जहाज़ का इनका टिकटबच गया और विजय माल्या भी मिलने आ गए. इस घटना में समझने वाली बात ये है कि अपराध कर पकड़ा जाना और ज़मानत के इंतज़ार में भारत की जेलों में सड़ जाना जाना छोटा काम है, बड़ा काम है लोटा लेकर  देश से ही भाग जाना. ललित और विजय ने साबित कर दिया है कि अगर आपका जीवन लालित्य से भरा हो तब भगोड़ा होकर भी विजयी भाव से जीया जा सकता है. डॉलर और पेट्रोल के दाम से दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता है. ये लोग कूल गाई हैं. 


हम और आप नहीं जानते हैं कि कब किस वक्त, किस आइटम का हमला हो जाएगा और आप वायरल कराने लग जाते हैं. पता है कि वीडियो में कुछ नहीं है, लेकिन देखे जा रहे हैं. टाइम पास के चक्कर में समाज का अच्छा खासा हिस्सा किसी और लोक में पास होता जा रहा है. अमरीकी में मंदी की खबर पढ़ ही रहे होते हैं कि संसद में धरना मना के नोटिस को लेकर पुराने पुराने नोटिस निकाले जाने लगते हैं. हम उसमें बिजी हो जाते हैं, हो कुछ नहीं रहा है, 2022 का नोटिस दिखाइये तो 2009 का दिखा दिया जाता है, पता ही नहीं चलता है कि इससे गलत साबित हो रहा है या सही साबित किया जा रहा है. इसी बीच एक और वीडियो आ जाता है और लोग वहां बिजी हो जाते हैं ये देखने कि महिला ने अपने दोस्त को थप्पड़ मार दिया है. इस माहौल में रुपया गिर गया है टाइप का नीरस टापिक वायरल नहीं हो पा रहा है. 


रुपया कब कितना गिरा, गूगल सर्च से इसके गिरने का ग्राफ निकाल निकालकर ट्विट करने वाले ज़ोर तो लगा रहे हैं मगर रुपये के गिरने पर रोने वाली जनता ने अपने आंसू पोंछ लिए हैं, उसने तो महंगाई पर भी रोना छोड़ दिया है. ठीक है कि कभी वह गुस्से में आ गई थी कि एक डालर का भाव 56 रुपये क्यों हो गया था, 64 रुपये कैसे हो सकता है, लेकिन अब वह 80 के भाव पर एडजस्ट हो चुकी है. जैसे वह बेरोज़गारी की दर से एडजस्ट हो चुकी है. अगर मेरी बात गलत नहीं है तो क्या आपने हाउसिंस सोसायटी और रिटायर्ट अंकिलों के व्हाट्स एप ग्रुप में इसे लेकर हाय तौबा देखी है? आप इस वीडियो को कितनी बार देखना चाहेंगे, किसे याद दिला रहे हैं कि तब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुपये के गिरने को लेकर क्या कहा था, अब क्यों नहीं रोक पा रहे हैं? कुछ कहते भी नहीं .


लगता है माल बाहर भेजने वाले और बाहर से माल लाने वाले हमारे व्यापारी डॉलर के 80 रुपये पर पहुंचने पर हवा में तैर रहे हैं, उन्हें अब बोझ नहीं लगता है. रुपया का भाव गिरता है तो ज़रूर विदेशों में पढ़ रहे लाखों भारतीय छात्रों को तकलीफ होती होगी. फीस के लिए अधिक डॉलर देने होते होंगे, दिक्कत आयातकों को भी होती होगी लेकिन वे सक्षम है तो अपनी तकलीफ खुद से बता सकते हैं. जब तक वे नहीं बोलते हैं मान कर चलना चाहिए कि उन्हें कोई तकलीफ नहीं है. वैसे आयात का बिल काफी बढ़ गया है. निर्यात से कहीं ज्यादा आयात हो रहा है. अगर आप वाकई जानना चाहते हैं कि रुपया कमज़ोर होता है तो क्या होता है तो मेरी राय में आप एक सितंबर 2013 का पांचजन्य पढ़ लें. इसके कवर पर ही है कि और कितना गिरोगे रुपया. इसमें जो तब समझाया गया होगा, उसी से अब भी समझ सकते हैं, दुनिया तो वही है बहुत कहां बदली है.


पांचजन्य की वेबसाइट पर 24 अगस्त 2013 का एक लेख है. स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अश्विनी महाजन ने हिन्दी में विस्तार से समझाया है कि उस समय जो रुपया गिर रहा था वो कितना खतरनाक था. उनके लेख का शीर्षक है, अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था को पाताल में पहुंचाने का किया पुख्ता इंतजाम. सारा लेख तो पढ़ना मुश्किल है, इसलिए हम कुछ ही अंश का पाठ करेंगे. 


पिछले मात्र तीन महीनों में 10 रुपए की गिरावट के साथ रुपए और डालर की विनिमय दर 64 रुपए पर पहुंच चुकी है. कहा जा रहा है कि थोड़े समय में रुपया 70 रुपए प्रति डालर तक भी गिर सकता है. यह सही है कि कुछ अन्य मुद्राएं भी कमजोर हो रही हैं, लेकिन अन्य देशों की तुलना में रुपया कहीं ज्यादा गिरा है. हर देश की समस्याएं स्वयं की होती हैं और उनका समाधान भी उसे खुद खोजना होता है. भारतीय रुपए के अवमूल्यन की समस्या भारत की ही है.  बढ़ता भुगतान शेष हमारे तेजी से बढ़ते आयातों और उसके मुकाबले पिछड़ते निर्यातों के कारण है. पिछले कई वर्षों से सरकार बढ़ते आयातों के मद्देनजर लगभग मूकदर्शक बनी हुई है. इसी दौरान चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा 40 अरब डालर तक पहुंच गया। शेष दुनिया के साथ भी हमारा व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. उधर रुपए की कमजोरी के सामने सरकार असहाय महसूस कर रही है. 


तब अश्विनी महाजन साफ साफ कह रहे हैं कि भारत रुपये की गिरावट की समस्या भारत की ही है. बता रहे हैं कि भुगतान शेष यानी आयात का बिल बहुत ज्यादा है और चीन से व्यापार घाटा 40 अरब का है. इन तीनों मामले में आप जानते ही होंगे कि आज क्या स्थिति है,क्या चीनसे व्यापार घाटा कम हो गया है?

इसका उदाहरण दिया कि सब आलोचना में आलसी हो गए हैं. वीडियो वायरल कराने की जगह देखना चाहिए कि पांचजन्य ने डालर के अस्सी रुपया तक हो जाने पर कितने लेख लिखे हैं, क्या  लिखा है. अब यह मुद्दा उसके लिए अहम है कि नहीं है. जून में उम्मीद थी कि करीब 26 अरब डालर से नीचे रहेगा लेकिन पार कर गया. निर्यात में करीब 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई तो आयात में 55 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई. अब अगर प्रधानमंत्री चाहते हैं कि बर्लिन में रहने वाले भारतीय केवल निर्यात के आंकड़ों पर ताली बजाएं तो बिल्कुल ताली बजाएं. 


इसका बड़ा प्रभाव भारत से होने वाले एक्सपोर्ट पर भी दिख रहा है . अभी कुछ दिन पहले हमने 400 बिलियन डॉलर एक्सपोर्ट का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. अगर हम गुड्स एंड सर्विसेज को देखें तो पिछले साल भारत से 670 बिलियन डॉलर यानी करीब करीब 50 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट हुआ है. आंकड़ा देख कर के तालियों के लिए हाथ जम गए क्या?

भारत का चालू बजट खाता सुधरा है. इसे एक अच्छे संकेत के रुप में देखा जा रहा है. एक तर्क यह भी है कि रुपया डालर के मुकाबले गिरा है तो यूरो और अन्य मुद्राओं के मुकाबले सुधरा भी है. अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने अपने ट्विट में एक सवाल उठाया है कि सबसे बड़ी चिन्ता की बात है कि भारत में आधिकारिक तौर पर मुद्रास्फीति के जो आंकड़े हैं, वो अमरीका से काफी कम हैं, इस हिसाब से रुपया मज़बूत होना चाहिए, कमज़ोर नहीं होना चाहिए?शायद कौशिक बसु इशारा कर रहे हैं कि कहीं कुछ छिपाया तो नहीं जा रहा है. 


नई दिल्ली के एडिशनल सेशन जज देवेंद्र कुमार जंगाला की कोर्ट ने मोहम्मद ज़ुबैर को ज़मानत दे दी है. उनके आदेश की कापी पढ़ने लायक है. जज देवेंद्र कुमार लिखते हैं कि उन्होंने पुलिस की फाइल देखी है, जिस व्यक्ति ने ट्विट किया है, उसकी पहचान पुलिस साबित नहीं कर सकती. न उसकी गवाही हुई है. न ही ऐसे किसी की गवाही हुई है जिसकी भावना को ठेस पहुंचा हो. 2018 का ट्विट है तब से लेकर अब तक कोई सामने नहीं आया जिसकी भावना को ठेस पहुंची हो.आदेश की कापी से पता चलता है कि हनुमान भक्त ट्विटर हैंडल की शिकायत पर सब इंस्पेक्टर अरुण कुमार ने मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. पुलिस को लगा कि जानबूझ कर किया गया है. इसलिए ज़ुबैर को नोटिस दिया गया लेकिन जांच में सहयोग नहीं करने के कारण 27 जून को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस कस्टडी के दौरान ज़ुबैर के खिलाफ FCRA का सेक्शन 35 लगाई गई और फिर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया लेकिन वृंदा ग्रोवर ने सवाल किया कि FCRA की कौन सी धारा का उल्लंघन हुआ है यह नहीं बताया जा रहा है क्योंकि ALT न्यूज़ की वेबसाइट पर ही साफ साफ लिखा है कि इसके लिए केवल भारतीय नागरिक ही चंदा दे सकता है वो भी जिनका भारतीय बैंकों में खाता हो. जो भी चंदा देता है उसे यह घोषणा करनी पड़ती है कि वह भारतीय नागरिक है और उससे पैन नंबर मांगा जाता है. लेकिन पुलिस की तरफ से दलील पेश की गई कि विदेशी चंदा आया है.


जज देवेंद्र कुमार जंगाला ने लिखा है कि लोकतंत्र में सरकार जनता की होती है। अगर लोग अपनी बात नहीं रखेंगे तो लोकतंत्र का विकास नहीं होगा. यह आज़ादी होनी चाहि कि लोग बिना भय के खुल कर अपनी बातों का आदान-प्रदान कर सकें। यूपी में ज़ुबैर के खिलाफ छह छह FIR हैं. हाथरस और लखीमपुर खीरी की अदालत के आदेश के अनुसार ज़ुबैर के लिए अभी जेल से बाहर आना संभव नहीं है। ज़ुबैर ने सुप्रीम कोर्ट में इन सभी FIR को रद्द करने या एक जगह करने की याचिका लगाई है. 


एडिशनल सेशन जज देवेंद्र कुमार जंगाला के आदेश की कापी पढ़कर यह समझना किसी के लिए भी मुश्किल नहीं कि ज़ुबैर के साथ क्या हुआ है।किस तरह से केस बनाए जा रहे हैं और पूछताछ और जांच के नाम पर इस जेल से उस जेल में घुमाया जा रहा है. जिसकी भावना आहत हुई वह सामने तक नहीं आया. क्या यह रहस्य जैसा नहीं लगता कि जिस हनुमानभक्त के नाम के ट्विटर हैंडल ने दिल्ली पुलिस को टैग कर दिया,  वह कौन है, दिल्ली पुलिस उसका पता पहले नहीं लगाती है बल्कि आज तक नहीं लगा पाती है और ज़ुबैर को गिरफ्तार कर दूसरे मामलों की जांच होने लग जाती है. यह कोई सामान्य घटना नहीं है. इस तरह से पत्रकारिता करने वालों झूठ पकड़ने वालों को टारगेट किया जाने लगा है. इसी तरह से श्रीलंका में भी पत्रकारों का दमन हो रहा था, वहां की जनता या उस देश को इससे क्या मिल गया. रोएल रेमंड roar Sri lanka नाम के मीडिया संस्थान की एडिटर इन चीफ है, भारत श्रीलंका के जैसा नहीं होगा लेकिन वहां जो मीडिया का हाल है और यहां का जो हाल है बहुत अंतर नहीं है. उम्मीद है आप रोएल रेमेंड के इस ट्विट को याद रखेंगे. 


रोएल रेमेंड ने आज ट्विट किया है कि गोटा बाया और दूसरे राजापक्षाओं से मुक्ति पाने के लिए हमने जो कीमत चुकाई है, वह बहुत ज़्यादा है. बहुत सारे पत्रकारों की हत्या कर दी गई, बहुत सारे पत्रकार लापता कर दिए गए हैं. बहुत सारे पत्रकारों को देश छोड़ कर भागना पड़ा.बहुत सारे मीडिया संस्थानों ने खुद पर ही सेंशरशिप ओढ़ लिया. बहुत सारे NGO को बदनाम किया गया, उन पर हमले हुए. अभियान चलाकर बहुत लोगों को डराया गया. बहुत सारे लोगों से ज़मीन का अधिकार छीन लिया गया. बहुत सारे लोगों की आज़ादी छीन ली गई. बहुत सारे लोग अपने परिवार का पेट नहीं भर पा रहे हैं. बहुत सारे लोग कतारों में ही मर गए। पिछले सौ दिनों के दौरान इस राजवंश को घुटनों पर लाने के लिए बहुत सारे लोगों ने संघर्ष किया. मैं यही प्रार्थना करती हूं, मैं प्रार्थना करती हूं कि ऐसा फिर कभी न हो.


भारत का मीडिया कम शानदार नहीं था लेकिन इसके गोदी मीडिया में बदलने को आप तमाशा की तरह देखते रहे. लगा कि खेल चल रहा है. पत्रकारों को किस तरह से जेल जेल घुमाया जा रहा है, अब इसे भी तमाशा की तरह देख रही है. श्रीलंका की पत्रकार रोएल रेमंड की इस बात को याद रखिएगा. वहां पत्रकारों को मार दिया गया, गायब कर दिया गया. जनता सनक गई थी गोटाबया के पीछे और अंत में गोटाबाया ही भाग गया. श्रीलंका में कुछ पत्रकार तब भी बचे रह गए वही हैं जो इस वक्त जनता के साथ हैं. हवाई जहाज़ उड़ते हैं तो उसे ट्रैक किया जा सकता है. गोटाबाया जिस जहाज़ से सिंगापुर भागा उसे लोग खूब ट्रैक कर रहे हैं. बस इसे तमाशे और मनोरंजन के लिए नहीं किया जाना चाहिए याद किया जाना चाहिए कि तानाशाही की कीमत पत्रकारों ने वहां किस तरह चुकाई है. 


द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय है. उन्हें अग्रिम बधाई. लेकिन एक सवाल भी है. क्या दिल्ली या अन्य राज्यों से छपने वाले अखबारों या चैनलों में उनका कोई विस्तृत इंटरव्यू हुआ है,जिससे पता चलता हो कि वे अपनी भूमिका को किस तरह देखती हैं. वैसे आपको बता दें कि 21 जून को जब उम्मीदवारी की घोषणा हुई थी तब ओडिशा के ओटीवी पर उनका फोन के द्वारा इंटरव्यू चला था. ठीक-ठाक लंबा इंटरव्यू था। वो पहला दिन था लेकिन नामांकन करने और प्रचार के लिए निकलने के दौरान का इंटरव्यू हमें नहीं मिल रहा है. हो सकता है कि हमारे सर्च करने में कोई कमी हो. वैसे हमने आपको ओटीवी का बता दिया, आप भी पता कीजिये या पूछिए कि और कहां कहां इंटरव्यू हुआ है, केवल यशवंत सिन्हा का ही इंटरव्यू देखने- पढ़ने को मिल रहा है. शुक्रवार को द्रौपदी मुर्मू छत्तीसगढ़ के दौरे के बाद भोपाल पहुंची. वे अलग-अलग राज्यों में जाकर विधायकों सांसदों और राजनीतिक दलों से मुलकात कर रही हैं। अनुराग द्वारी की रिपोर्ट. उनके दौरे के बहाने अनुसूचित जनजाति के मुद्दों को लेकर जून 2012 में प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया गया था. उम्मीदवारी का नामांकन करने के बाद मनोरंजन भारती ने प्रणब मुखर्जी का इंटरव्यू किया था. उस समय प्रणब मुखर्जी ने तमाम चैनलों और अखबारों को इंटरव्यू दिया था.  मनोरंजन भारती बताते हैं कि उस दिन प्रणब मुखर्जी दिन भर इंटरव्यू ही देते रह गए।2002 में एपीजे अब्दुल कलाम ने भी खूब इंटरव्यू दिया था. बल्कि बकायदा प्रेस कांफ्रेंस किया करते थे। याद रखिएगा जुमलाजीवी असंसदीय है. 


अगले हफ्ते मुलाकात होगी ही, एन डी टीवी इंडिया के यू ट्यूब चैनल पर प्राइम टाइम के सारे एपिसोड होते हैं. सब्सक्राइब भी कीजिए और मेहनत से बनाए गए सभी एपिसोड को फुर्सत के दौरान दोबारा भी देखा कीजिए. बताइयेगा कि जेल डेबिट कार्ड का एनिमेशन कैसा लगा और हर बात में जेल भेज दिए जाने के इस दौर को आप कैसे देखते हैं, तमाशे के रुप में या तबाही के रुप में…ब्रेक ले लीजिए.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें