संगीतकार 'रामलाल हीरा पन्ना ' की पुण्यतिथि 4 जुलाई पर विशेष
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दुश्मनी भुला कर प्यार और मोहब्बत का सन्देश देती फिल्म सेहरा (1963 ) व्ही शांताराम की एक उत्कृष्ट रोमांटिक ,ड्रामा फिल्म है राजस्थान की सूंदर पृष्ठभूमि पर बनी 'सेहरा 'की कहानी दो कबीलो की खानदानी दुश्मनी पर आधारित है कबीलो की खानदानी दुश्मनी तब और हिंसक हो जाती है जब इन कट्टर दुश्मन कबीलो के युवा प्रेमी आपस में प्यार कर बैठते है सेहरा के संगीतकार रामलाल हीरा पन्ना थे रामलाल हीरा लाल के बारे में एक बात मशहूर थी की उनके गाने एक ही टेक में रिकॉर्ड हो जाते थे वो मुख्यता अपनी बांसुरी और शेहनाई के कारण मशहूर थे फिल्म नवरंग के एक गाने ."तू छिपी है कहाँ "..गाने में शेहनाई वादक राम लाल की शहनाई से व्ही शांताराम प्रभावित थे इस का फल राम लाल मिला व्ही शांताराम जी ने उन्हें अपनी अगली फिल्म "सेहरा " का संगीतकार बना दिया ....
सेहरा (1963 ) को समीक्षकों ने सराहा लेकिन दर्शको का जो प्यार इस फिल्म को मिलाना चाहिए था वो नहीं मिला....हाँ रामलाल का संगीत जबरदस्त हिट रहा लेकिन राम लाल गुमनामी में खो गए ये कुछ अजीब लगता है कि करियर की इतनी शानदार शुरुआत के बाद इतने प्रतिभा सम्पन्न संगीतकार राम लाल को काम नहीं मिला होगा ?
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पवन मेहरा
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छोड़ दें रस्म-ए-ख़ुदनिगरी को तोड़ दें अपना ईमाँ
ख़त्म किये देता है ज़ालिम रूप तेरी अंगड़ाई का
मैं ने ज़िया हुस्न को बख़्शी उस का तो कोई ज़िक्र नहीं
लेकिन घर घर में चर्चा है आज तेरी रानाई का..
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''अख्तरी बाई फ़ैज़ाबादी '' के नाम से मशहूर बेगम अख्तर को '' ग़ज़लों की मलिका '' कहा जाता है उन्हें कला के क्षेत्र में भारत सरकार पहले पद्म श्री तथा सन 1975 में मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। आज अख्तरी बाई की 106 वी शुभ जयंती है .....
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BEGUM AKHTAR
Born-7 October 1914
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पवन मेहरा ✒
#ब्लॉग_सुहानी_यादें_बीते_सुनहरे_दौर_की
प्रपंच पाश’ - A Throw of Dice (1929)
मूक सिनेमा की "मुगले-ए-आज़म" ..................
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'प्रपंच पाश’ हिंमाशु राय की एक शानदार मूक फिल्म है जिसे जर्मनी में जन्मे निर्देशक फ्रांज ऑस्टीन के निर्देशक में बनाया गया था ब्रिटिश काल होने के वजह से इसे अंग्रेजी नाम 'A Throw of Dice ' दिया गया ताकि हिंदी दर्शको के साथ साथ इसे विदेशी दर्शक भी देखे इसके जर्मनी वर्जन के लिए अलग से जर्मन भाषा में पोस्टर बनाये गए..... बेहद अफ़सोस है की भारतीय मूक सिनेमा के इस महाकाव्य को एक लंबे समय से भूला दिया गया था और इसका प्रिंट कई सालो तक ब्रिटेन में धूल फांकता रहा इसे रिस्टोर डिजिटल वर्जन में 31अगस्त 2007 को इसे डिजिटल करके री रिलीज़ किया गया 13 जून 2008 को टोरंटो, ओंटारियो, कनाडा में Luminato समारोह में ब्रिटिश भारतीय संगीतकार नितिन साहनी ने लाइव आर्केस्ट्रा के साथ फिर से रिलीज़ किया गया ठीक बिलकुल उसी तरह जैसे की उस समय में मूक फिल्मो को लाइव ऑर्केस्टा के साथ टाकीज़ में दिखाया जाता था .........ये फिल्म भारत के मूक फिल्मो के दौर का एक अनमोल रतन है भारत के कलाप्रेमी दर्शको को मूक फिल्मो के सुनहरे दौर की प्रपंच पाश’ जरूर देखनी चाहिए प्रिंट रिस्टोर करने और डिजिटल होने के कारण इसके प्रिंट में अद्भुत गुणवत्ता आ गई है प्रिंट क्रिस्टल क्लियर है इसकी DVD भी जारी की गई है हिमांशु राय द्वारा इतने भव्य स्तर पर बनाये जाने के कारण इसे साइलेंट युग की 'मुग़ले आज़म 'भी कहा जाता है...
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पवन मेहरा
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