मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

देशराज ज्योत के पीछे सबलोग

 तो एक अच्छी खबर बताऊँ? ये देशराज ज्योत सिंह हैं, उमर 74 की है. देशराज के दो बेटे थे, बीते सालों में दोनों की मौत हो गई. एक 6 साल पहले घर से लापता हुए थे और 6 दिन बाद एक ऑटो में लाश के रूप में पड़े मिले. फिर दो साल पहले एक और बेटे की मौत हो गई. देशराज ऑटो चला रहे थे, देशराज पर फ़ोन आया कि आपका बेटा platform पर पड़ा मिला है उसने सुसाइड कर लिया है. 


एक बूढ़े बाप के लिए बेटों की देह में आग लगाने से भारी क्या हो सकता है? पर ग़रीब मजलूमों को रोने का वक्त भी भगवान नहीं देता. सात लोगों के परिवार का ज़िम्मा बूढ़े बाप पर आ गया. देशराज के 4 नाती-पोते हैं. जब दूसरे बेटे की भी मौत हो गई तो उनकी बच्ची बोली “बाबा क्या मैं स्कूल छोड़ दूँगी?” बूढ़े बाबा ने कहा “नहीं कभी नहीं”. घर में कमाने के लिए देशराज अकेले पड़ गए थे. देशराज ने निकाला ऑटो और कमाने निकल पड़े. पर दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में रहने वाले जानते होंगे कि लॉकडाउन की वजह से ऑटो पर आश्रित परिवारों का क्या हुआ है. ऊपर से देशराज की बूढ़ी पत्नी बीमार पड़ गईं. सारा पैसा बीमारी, और चार बच्चों की पढ़ाई में लग जाता. 


एक दिन देशराज की पोती आई और बोली “बाबा मैं 80% से 12वीं पास हो गई हूं.” उस दिन देशराज उतने खुश हुए कि उस दिन फ़्री में ऑटो चलाया किसी से भी पैसे नहीं लिए, सबको फ़्री में घर छोड़ा. उसी बच्ची ने एक दिन देशराज से कहा कि उसे बीएड करनी है. बीएड करके टीचर बनना है. लेकिन बीएड की फ़ीस थी ज़्यादा. ऑटो चलाने वाले 7 लोगों के परिवार के लिए और भी ज़्यादा. सो देशराज ने अपने हिस्से वाला घर बेच दिया. अपने परिवार को अपने एक रिश्तेदार के घर गाँव में भेज दिया और खुद ऑटो में रहने लगे. 


देशराज की कहानी पर नज़र पड़ी Humans of Bombay नाम के फ़ेसबुक पेज की. इस प्यारे से पेज ने अपने पेज पर देशराज की स्टोरी डाल दी. लोगों ने देशराज को नया घर दिलाने के लिए पैसे इकट्ठा करना शुरू कर दिया. इसके लिए क्राउड फ़ंडिंग की गई, टार्गेट रखा गया 20 लाख का. लेकिन जनता तो जनता है. जनता ने बीस लाख की जगह चौबीस लाख दे दिए. अब जल्द ही मोती सी आँखों वाला ये बूढ़ा आदमी अपना घर ले लेंगे. आहा अपना घर 


श्याम मीरा सिंह

✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️🙏🙏🙏🙏🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें