आज 18 जनवरी को देश के पहले संगीत सम्राट दिवंगत के एक सहगल जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि.🙏.
जब कभी भी हिंदुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास को देखा जाएगा तो के.एल सहगल का नाम उन चंद हस्तियों में पाया जाएगा साल 1932 से लेकर 1946 के सिनेमा के समय को 'सहगल युग' के तौर पर जाना जाता है सहगल ने ‘जब दिल ही टूट गया’, ‘दिया जलाओ’, ‘चाह बर्बाद करेगी’, ख्याल, ठुमरी, चैती, दादरा, ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए’ और ‘गम दिए मुस्तकिल’ जैसे गाने गाए थे के.एल सहगल की काफी इज्जत करने वालों में दिलीप कुमार भी शामिल थे। एक बार उन्होंने के एल सहगल के बारे में कहा था, ..... ''उस जमाने में फिल्मों में काम करने वाले लोगों को लोग इज्जत की नजरों से नहीं देखते थे''
कुंदन लाल सहगल उन चुनिंदा हस्तियों में से हैं जिन्होंने इस कला को समाज के पटल पर स्थान दिलाया। 'कभी पंजाबी होने के कारण उन्हें बंगाली गाना गाने और एक्टिंग करने से मना कर दिया गया था लेकिन उन्होंने इसके बावजूद ऐसा मुकाम बनाया कि उनके बंगाली गायन को इस फिल्म में खूब पसंद किया गया। खुद रबीन्द्रनाथ टैगोर ने सहगल के तारीफ में कहा था..
'' तुम्हारा गला कितना सुंदर है ''
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Kundan Lal Saigal
Died: 18 January 1947
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पवन मेहरा
#ब्लॉग_सुहानी_यादें_बीते_सुनहरे_दौर_की ✍️
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