बुधवार, 7 अप्रैल 2021

मेहबूब का जलवा

 महबूब निर्माता-निर्देशक होने के साथ ही बेहतरीन लेखक भी थे उनकी फिल्मे बड़े कलाकारों से पहले खुद के उनके नाम से जानी जाती थी वह ऐसे फिल्मकार रहे जो भारत-पाक विभाजन पर भी पाकिस्तान नही गये भारत में रहकर ही उन्होंने दर्जनों फिल्मो का निर्माण किया ....

.फिल्मो में तो नायक-नायिका का प्यार हमेशा दिखाया जाता है लेकिन कुछ ऐसे फ़िल्मकार भी रहे है जो पर्दे पर नायिका का प्यार दिखाते दिखाते अंत में पर्दे के पीछे ही नायिका के प्यार में पागल हो बैठे महबूब खान उन्ही में से एक थे  ......महबूब खान का जन्म गुजरात के सुरत शहर के निकट के छोटे से गाँव में 9 सितम्बर 1906 को एक गरीब परिवार में हुआ था जब वह 1925 के आसपास बम्बई नगरी में आये तो इम्पीरियल कम्पनी वाल ने उन्हें अपने यहा हेल्पर के रूप में रखा लिया  कई वर्ष बाद उन्हें फिल्म “बुलबुले बगदाद” में खलनायक का किरदार निभाना पड़ा महबूब खान के नाम के साथ कई प्रेम कहानिया भी जुडी वह जिस अभिनेत्री को भी अपनी फिल्म में मौका देते उससे प्यार कर बैठते उनके निर्देशन में पहली फिल्म “अलहिलाल” 1935 में बनी जो सागर मुवीटोन वालो की फिल्म थी उसमे अभिनेत्री के साथ काम करते करते वह उनके प्यार में उलझ गये निम्मी की माँ वहीदन बाई भी महबूब से बहुत प्यार करती थी......1940 में महबूब खान सागर कम्पनी छोडकर नेशनल स्टूडियो में आ गये यहा आकर उन्होंने सर्वप्रथम फिल्म “औरत” का निर्देशन किया जिसकी नायिका सरदार अख्तर पर भी महबूब आशिक हो गये और उनका प्यार 24 मई 1942 को शादी में बदल गया उनकी कोई सन्तान नही हुयी तो उन्होंने साजिद खान ( मदर इंडिया का छोटा बिरजू ) को गोद लिया जिन्होंने भारतीय और अंग्रेजी फिल्मों में अभिनय किया है महबूब खान ने दो बार शादी की। पहली पत्नी फातिमा के साथ,उनके तीन बेटे थे अयूब, इकबाल और शौकत अपनी पहली पत्नी से अलग होने के बाद, उन्होंने 1942 में अभिनेत्री सरदार अख्तर (1915-1986) से शादी की


इसके पश्चात उनके निर्देशन में नेशनल फिल्म वालो की फिल्म “बहन” और “रोटी” आयी  1942 में उन्होंने अपनी निर्माण संस्था'' महबूब प्रोडक्शन '' की स्थापना की और निर्माता-निर्देशक के रूप में अभिनेता अशोक कुमार को लेकर पहली फिल्म “नजमा” का निर्माण किया ....शुरू से ही वो एक मेहनतकश इन्सान थे इसलिए उन्होंने अपने निर्माण संस्थान महबूब प्रोडक्शन का चिन्ह हंसिया हथौड़े को दर्शाता हुआ रखा इसके पश्चात तो महबूब प्रोडक्शन के अंतर्गत उन्होंने “तकदीर” “अनमोल घड़ी” “एलान” “अनोखी अदा” “अंदाज” “आन” “मदर इंडिया” “सन ऑफ़ इंडिया” जैसी फिल्मो का निर्माण किया उन्होंने फिल्म “औरत” को दोबारा “मदर इंडिया” के नाम से बनाया जो भारत की सरताज फिल्म कहलाई मदर इंडिया तीसरे पोल के बाद महज एक वोट से ऑस्कर अवॉर्ड जीतने से चूक गई थी ... प्रख्यात संगीतकार नौशाद का संगीत महबूब की फिल्मो की सफलता का मुख्य कारण था उनके संगीत ने उन्हें पहली पंक्ति के फिल्मकारों में ला खड़ा किया.उनकी आखिरी फिल्म “सन ऑफ़ इंडिया” बुरी तरह असफल रही भले ही इस फिल्म का गीत-संगीत काफी चर्चित रहा हो लेकिन महबूब को यह फिल्म घाटा दे गयी  इस सदमे से उनका स्वास्थ्य खराब होता गया और 27 मई 1964 को उनका निधन हो गया


सागर मूवीटोन वालो ने सर्वप्रथम फिल्म “अलहिलाल” में महबूब को निर्देशन का मौका दिया | इस फिल्म का संपादन करने के साथ साथ उन्होंने फिल्म में एक छोटा सा रोल भी किया था इसके पश्चात तो महबूब के निर्देशन में सागर कम्पनी वालो की “मनमोहन” “एक ही रास्ता” तथा “अलीबाबा” जैसी फिल्मे आयी ....शायद बहुत कम लोगो को पता होगा की भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा (1931 ) में पहले मास्टर विट्ठल की जगह महबू खान को नायक चुना गया था ...


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MEHBOOB KHAN


Born: 9 September 1907


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पवन मेहरा


#ब्लॉग_सुहानी_यादें_बीते_सुनहरे_दौर_की ✍️.


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