ब्यौरे | विवरण |
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क्षेत्रफल | 1,483 वर्ग किलोमीटर |
जन संख्या | 13,850,507 |
राजधानी | दिल्ली |
मुख्य भाषाएं | हिंदी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेजी |
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इतिहास और भूगोल
महाकाव्य-महाभारत काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है| दिल्ली का शासन एक वंश से दूसरे वंश को हस्तांतरित होता गया| यह मोर्यों से आरंभ होकर पल्लवों तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ 13वीं से 15वीं सदी तक तुर्क और अफगान और अंत में 16वीं सदी में मुगलों के हाथ में पहुंचा| 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेजी शासन की स्थापना हुई| 1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिवधियों का केंद्र बन गया| 1956 में इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ| देश के उत्तरी भाग में स्थित दिल्ली पूर्व दिशा को छोड़कर सभी ओर से हरियाणा राज्य से घिरी है, पूर्व में उत्तर प्रदेश की सीमा इससे लगती है। दिल्ली के इतिहास में 69 वां संविधान संशोधन विधेयक एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम, 1991 में लागू हो जाने से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ।कृषि
गेहूं, बाजरा, ज्वार, चना और मक्का यहां की प्रमुख फसलें हैं, लेकिन अब किसान अनाज वाली फसलों की बजाय फलों और सब्जियों, दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, फूलों की खेती को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। ये गतिविधियां खाद्यान्नों, फसलों के मुकाबले अधिक लाभदायक साबित हुई हैं।उद्योग
दिल्ली न केवल उत्तर भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक केंद्र है, बल्कि यह लघु उद्योगों का भी सबसे बड़ा केंद्र है। इनमें टेलीविजन, टेपरिकार्डर, हल्का इंजीनियरिंग साज-सामान, मशीनें, मोटरगाडि़यों के हिस्से-पुर्जे खेलकूद का सामान, साइकिलें, पी.वी.सी. से बनी वस्तुएं, जूते-चप्पल, कपड़ा, उर्वरक, दवाएं, होजरी का सामान, चमड़े की वस्तुएं, साफ्टवेयर आदि विभिन्न वस्तुएं बनाई जाती हैं।नई सहस्राब्दी के लिए दिल्ली की नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्यूनिकेशन, साफ्टवेयर उद्योग तथा सूचना प्रौद्योगिकी को समर्थ सेवा बनाने वाले उद्योग लगाने पर बल दिया गया है। दिल्ली में ऐसी औद्योगिक इकाइयां लगाने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिनसे प्रदूषण नहीं फैलता है और जिनमें कम कामगारों की आवश्यकता होती है। दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास निगम ओखला स्थित व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र के भवन में रत्न आभूषण और परख तथा मीनाकारी का एक प्रशिक्षण संस्थान खोल रहा है।
रिहाइशी और उद्योगों के लिए वर्जित क्षेत्रों में काम कर रही इकाइयों को दूसरे स्थानों पर ले जाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने 1,900 एकड़ भूमि बवाना, होलंबी कलां और होलंबी खुर्द तथा नरेला में नए औद्योगिक परिसर के विकास के लिए अधिग्रहीत की है। नरेला में 900 प्लांट विकसित किए जा चुके हैं तथा 600 अन्य प्लांट तैयार किए जा रहे हैं। झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र में 378 घरेलू फैक्टरियां बनाने का काम पूरा हो चुका है। भोरगढ़ औद्योगिक संपदा के लिए 450 एकड़ भूमि का विकास किया जा रहा है। इसके अलावा एक विशाल औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए कंझावला/कारला में 652 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है।
सिंचाई और बिजली
दिल्ली के गांवों का तेजी से शहरीकरण होने की वजह से सिंचाई के अंतर्गत आने वाली खेती योग्य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही हे। राज्य में 'केशोपुर प्रवाह सिंचाई योजना चरण तृतीय' तथा 'जल संशोधन संयंत्र से सुधार एवं प्रवाह विस्तार सिंचाई प्रणाली' नामक दो योजनाएं चलाई जा रही हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र में 350 हेक्टेयर की सिंचाई राज्य नलकूपों द्वारा और 1,376 हेक्टेयर की सिंचाई अतिरिक्त पानी द्वारा की जा रही है। इसके अलावा 4,900 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हरियाणा सरकार के अधीन पश्चिमी यमुना नहर द्वारा की जा रही है।दिल्ली के लिए इसकी अपनी उत्पादन इकाइयों—राजघाट बिजलीघर, इंद्रप्रस्थ स्टेशन और बदरपुर ताप बिजलीघर सहित गैस टरबाइन पर आधारित इकाई से 850-900 मेगावाट बिजली प्राप्त होती है। शेष बिजली उत्तर क्षेत्रीय ग्रिड से प्राप्त की जाती है। दिल्ली में कई बिजली उत्पादन इकाइयां शुरू करने की योजना है। इंद्रप्रस्थ एस्टेट में प्रगति कंबाइंड पावर प्रोजेक्ट स्थापित किया जा चुका है। 330 मेगावाट प्रगति पावर परियोजना निर्माणाधीन है और जल्दी ही चालू होने वाली है। इसके 100 मेगावाट वाले प्रथम चरण को परीक्षण के लिए शुरू कर दिया गया है। प्रगति- II के अंतर्गत गैस पर आधारित 330 मेगावाट तथा बवाना में लगाई जाने वाली 1000 मेगावाट की परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
बिजली वितरण को सुचारू बनाने के लिए दिल्ली विद्युत बोर्ड का निजीकरण कर दिया गया है और दिल्ली की बिजली व्यवस्था अब देश की दो जानी-मानी संस्थाओं —बी.एस.ई.एस तथा टाटा पावर (एन.डी.पी.एल.) द्वारा देखी जा रही है।
परिवहन
दिल्ली सड़कों, रेल लाइनों और विमान सेवाओं के जरिये भारत के सभी भागों से भलीभांति जुड़ी हुई है। यहां तीन हवाई अड्डे हैं। इंदिरागांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए, पालम हवाई अड्डा, घरेलू उड़ानों के लिए तथा सफदरगंज हवाई अड्डा, प्रशिक्षण उड़ानों के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। दिल्ली में तीन महत्वपूर्ण रेलेवे स्टेशन भी हैं। ये दिल्ली जंक्शन, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के नाम से जाने जाते हैं। तीन अंतर्राज्यीय बस अड्डे—कश्मीरी गेट, सराय काले खां और आनंद विहार में है।दिल्ली शहर में बढ़ते वाहन प्रदूषण और यातायात की अस्त-व्यस्त स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने मास रेपिड ट्रांजिट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। यह परियोजना कार्यान्वित की जा रही है और इसमें अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। मेट्रो के प्रथम चरण में तीन मेट्रो कारीडोर हैं जो रिकार्ड समय में पूरे होकर काम भी करने लगे हैं। शाहदरा से रिठाला और दिल्ली विश्वविद्यालय से केंद्रीय सचिवालय के बीच लाइनें बिछ गई हैं और इन पर गाडि़यां भी चलने लगी हैं। बाराखंभा और द्वारका के बीच लाइन भी चालू हो गई है। दिल्ली मेट्रो के द्वितीय चरण को भी स्वीकृति मिल गई है जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के यात्रियों को बेहतर संपर्क सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
त्योहार
महानगर होने की वजह से यहां भारत के सभी प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। इनके अलावा दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम कुछ वार्षिक उत्सवों का भी आयोजन करते हैं। ये हैं : रोशनआरा उत्सव, शालीमार उत्सव, कुतुब मेला, शीतकालीन मेला, उद्यान पर्यटन मेला, जहाने-खुसरो उत्सव तथा आम महोत्सव।पर्यटन स्थल
जंतर मंतर, नई दिल्ली
भारत की संसद, नई दिल्ली
स्रोत: भारत 2010 - एक संदर्भ वार्षिक
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