मंगलवार, 2 अगस्त 2011

भिखारी ठाकुर पर राष्टीय सेमिनार का आयोजन



नयी दिल्ली । 24 रविवार – दिल्ली के राजेन्द्र भवन में भिखारी ठाकुर राष्टीय प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित एक संगोश्ठी में वरिष्ठ  साहित्कार श्री मैनेजर पाण्डेय ने कहा कि – लोक कलाकार भिखारी ठाकुर एक ऐसे कलाकार थे जिन्होने रंगकर्म को एक सामाजिक आंदोलन से जोड़ कर अपनी अरभग पहचान बनाते हैं भिखारी ठाकुर एक ऐसे व्यग्तित्व हैं जो भारतीय ग्राभ्य जीवन, ग्राभ्य प्रतिभा को राश्ट्रीय ही नही बल्कि अंतराश्ट्रीय स्वरूप में स्थापित करते है भिखारी ठाकुर राश्ट्रीय प्रतिश्ठान द्वारा आयोजित इस संगोश्ठी में बोलते हूए हंस पत्रिका का कार्यकारी संपादक श्री संजीव ने अपने बीज वभ्तव्य में कहा कि भिखारी ठाकुर ने भले ही भोजपुरी में अपनी रचनाएं की परन्तु उनका दर्षन न सिर्फ राश्ट्रीय, बल्कि अंतराश्ट्रीय है उनकी रचनाएं समाज को सही दिषा देने की अपील करती है। कार्यक्रमकी अध्यक्षता करते हुए वरिश्ट विद्वान डा. नित्यानंद तिवारी ने कहा कि सामाजिक विदूपता के प्रति एक कलाकार द्वारा किया गया हस्तक्षेप अपने आप में दुर्लभ है श्री तिवारी ने कहा कि यूं तो पं. राहुल जी ने भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का षेक्सपियर कहा है परन्तु भिखारी की रचनाओ सामाजिक दुःख दर्द के प्रति प्रतिरोध उन्हें विषिश्ट श्रेनी में ले जाती है। भोजपुरी समाज के अध्यक्ष श्री अजित दूबे ने सरकार से मांग किया कि भोजपुरी को संविधान 8वीं अनुसूची में षामिल करने के साथ-साथ दिल्ली के मंडी हाउस के आस पास भिखारी ठाकुर की प्रतिमा लगनी चाहिए। प्रसिद्ध एंकर्मी श्री महेन्द्र सिंह ने कहा भिखारी ठाकुर जहां रंगकर्म मे षेक्सपियर के समतुलय है वहीं सामाजिक बुराईयों को दूर करने में राजाराम मोहन राय के समान थे। बिहार भोजपुरी अकाडमी के अध्यक्ष प्रो. आर.के. दूबे ने कहा कि अकाडमी भिखारी ठाकुर पर और अधिक षोध के लिए प्रयास करेगी। युवा लेखक मनोज भावुक ने कहा कि भोजपुरी साहित्य के इस विषाल व्यक्तित्व पर और षोध की आवष्यक्ता है। गोश्ठी को संतोश पटेल, युवा शोधार्थी सुश्री श्रद्धा ने कहा कि आज के दौर में भिखारी की सामाजिक चेतना प्रासंगिक है। कार्यक्रम का संयोजन मुन्ना पाठक एवं स्वागताअघ्यक्ष कुलदीप श्रीवास्तव ने किया।

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