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जॉर्ज पंचम | |
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संयुक्त राजशाही एवं उसके सुदूर अधिराज्य के महाराजा भारत के सम्राट | |
महाराजा (किंग) जॉर्ज पंचम | |
शासन | 6 मई 1910 – 20 जनवरी 1936 |
राजतिलक | 22 जून 1911 |
पूर्वाधिकारी | एडवर्ड सप्तम |
उत्तराधिकारी | एडवर्ड अष्टम |
जीवनसाथी | टैक की मैरी |
पूरा नाम | |
जॉर्ज फ्रेडरिक अर्नेस्ट अल्बर्ट | |
उपाधियां | |
HM हिज़ मैजेस्टी द किंग हिज़ रॉयल हाइनेस प्रिंस ऑफ वेल्स द ड्यूक ऑफ कॉर्नवाल एण्ड यॉर्क HRH द ड्यूक ऑफ यॉर्क HRH प्रिंस जॉर्ज ऑफ वेल्स | |
Royal anthem | गॉड सेव द किंग |
पिता | =एडवर्ड सप्तम |
माता | डेनमार्क की एलेक्ज़ेंड्रा |
जन्म | 3 जून 1865 लंदन |
ईसाइयत | 7 जुलाई 1865 |
मृत्यु | 20 जनवरी 1936 (70वर्ष ) |
जॉर्ज के पिता महाराज एडवर्ड सप्तम की १९१० में मृत्यु होने पर, वे महाराजा-सम्राट बने। वे एकमात्र ऐसे सम्रट थे, जो कि अपने स्वयं के दिल्ली दरबार में, अपनी भारतीय प्रजा के सामने प्रस्तुत हुए, जहां उनका भारत के राजमुकुट से राजतिलक हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने सारी जर्मन उपाधियां, वापस कर दीं। इनके शासन ने फसीवाद, नाजीवाद, समाजवाद इत्यादि देखे; एवं प्रथम मजदूर मंत्रालय भी, जिन सभी घटनाओं ने राजनैतिक क्रम को बदल दिया। जॉर्ज को उनके अंतिम दिनों में प्लेग व अन्य बीमारियों ने घेर लिया था; जब उनकी मृत्यु पर उनके ज्येष्ठ पुत्र एडवर्ड अष्टम ने राजगद्दी संभाली।
अनुक्रम[छुपाएँ] |
[संपादित करें] जीवन एवं शिक्षा
जॉर्ज का जन्म 3 जून, 1865 को लंदन के मार्लबोरो हाउस में हुआ था। इनके पिता प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में एडवर्ड सप्तम, संयुक्त राजशाही के महाराजा थे, जो महारानी विक्टोरिया एवं सैक्से-कोबर्ग एवं गोथा के प्रिंस अल्बर्ट के पुत्र थे। इनकी माता प्रिंसेस ऑफ वेल्स बाद में क्वीन एलेक्ज़ेंड्रा, डेनमार्क बनीं, जो डेनमार्क के महाराजा क्रिस्टियन नवम की ज्येष्ठ पुत्री थीं। महारानी विक्टोरिया के पौत्र, जॉर्ज को जन्म से ही, “हिज़ रॉयल हाइनेस प्रिंस जॉर्ज ऑफ वेल्स” कहा गया।इनका बैप्टाइज़ेशन विंडसर चैपल में 7 जुलाई, 1865 को हुआ था [1]। प्रिंस ऑफ वेल्स के कनिष्ठतम पुत्र होने के कारण, जॉर्ज के महाराजा बनने के बिलकुल भी आसार नहीं थे। इनके ज्येष्ठ भ्राता प्रिंस अल्बर्ट विक्टर, महाराजा पद के प्रबल दावेदार थे।
क्योंकि जॉर्ज अपने भ्राता प्रिंस ऑफ विक्टर से मात्र पंद्रह महीने ही छोटे थे, दोनों राजपुमारों की शिक्षा का एक साथ ही प्रबंध तय हुआ। जॉन नीयल डाल्टन को इनका शिक्षक नियुक्त किया गया, हालांकि दोनों ही भाई शिक्षा में खास प्रवीण नहीं थे। [2] In September 1877 both brothers joined the training ship HMS Britannia at Dartmouth. Their father thought that the navy was "the very best possible training for any boy".[3] १८७९ में ब्रिटिश साम्राज्य का भ्रमण किया। उन्होंने नोर्फोक में वर्जीनिया, कैरिबियन सागर में ब्रिटिश उपनिवेश, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, भूमध्य सागर क्षेत्र, दक्षिण अमरीका, सुदूर पूर्व एवं मिस्र की यात्राएं कीं। जापान में जॉर्ज ने अपनी बांह पर एक नीले व लाल रंग का अजदहा (ड्रैगन) भी गुदवाया।[4] डाल्टन ने इस यात्रा का वृतांत भी लिखा है, जो “द क्रूज़ ऑफ एच.एम.एस. बेशैंत” के नाम से है।[5] अपनी इंगलैंड वापसी पर दोनों भाइयों को अलग किया गया, जिसमें अल्बर्ट विक्टर को ट्रिनिटी कालिज, कैम्ब्रिज भेजा गया, व जॉर्ज को शाही नौसेना में जारी रहने को कहा गया। वे यहां 1891 तक रहे, व उच्च पदस्थ भी हुए, जो कि सम्मान के साथ, मात्र था।
[संपादित करें] विवाह
वे अपने नौसैनिक अंकल अल्फ्रेड, ड्यूक ऑफ एडिनबोरो की बेटी मैरी से प्रेम करने लगे। इस रिश्ते को विवाह की स्वीकृति इनके सभी पैतृक संबंधियों, एवं अंकल ने दी, किन्तु इन दोनो की मांओं,प्रिंसेस ऑफ वेल्स एवं डचेस ऑफ एडिनबोरो ने भरसक विरोध किया। दोनों एक दूसरे के देशों की कट्टर विरोधी थीं (इंगलैंड व जर्मनी)। जॉर्ज के प्रस्ताव को मैरी ने ठुकरा दिया। वह बाद में रोमानिया की रानी बनी।[6]सन 1891 में इनका रिश्ता प्रिंसेस विक्टोरिया मैरी ऑफ टैक से तय हुआ, जो प्रिंस फ्रांसिस, ड्यूक ऑ टैक तथा प्रिंसेस मैरी ऐडलेड ऑफ कैम्ब्रिज, की इकलौती पुत्री थी, व जिन्हें इनके परिवार की प्रथानुसार नाम में मैरी के बाद जन्म का मास जोड़ा जाता था, तो ये मे (मई महीना) कहलाती थीं। इस सगाई के छह सप्ताह के भीतर ही अल्बर्ट विक्टर की मृत्यु न्यूमोनिया के कारण हो गयी। इस कारण जॉज का राजगद्दी को रास्ता स्पष्ट हो गया। इससे जॉर्ज का नौसैनिक पेशा समाप्त हो चला, क्योंकि अब उन्हें राजनीति में छवि निखारनी थी।[7]
महारानी विक्टोरिया अब भी राजकुमारी मे के पक्ष में थीं। उनके आग्रह से जॉर्ज ने मे को प्रणय-प्रस्ताव किया, जो कि एक आजीवन सफल विवाह में परिणामित हुआ।[8]
जॉर्ज संग मे का विवाह 6 जिलाई, 1893 को शैफल(चैपल) रॉयल, सेंट जेम्स पैलेस, लंदन में सम्पन्न हुआ। इस विवाह में, अंग्रेज़ी दैनिक “द टाइम्स" के अनुसार जॉर्ज को लोगों ने उनकी दाढ़ी व वेशभूषा के कारण रूस के निकोलस द्वितीय (बाद में ज़ार बने) समझा। [9] केवल उनके चेहरे की शक्ल अलग थी, जो कि केवल निकट से ही दृश्य थी।[10]
[संपादित करें] ड्यूक ऑफ यॉर्क
24 मई,1892 को महारानी विक्टोरिया ने जॉर्ज को ड्यूक ऑफ यॉर्क, अर्ल ऑफ इन्वर्नेस तथा बैरन किल्लार्ने घोषित किया ref name="creation">"Yvonne's Royalty: Peerage". http://mypage.uniserve.ca/~canyon/peerage_titles.htm#Holders. Retrieved 2007-03-02.</ref>। जॉर्ज से विवाहोपरांत मे भी डचेस ऑफ यॉर्क कहलायीं।यह युगल मुख्यतः यॉर्क कॉटेज में ही रहते थे।[11] जो कि नोर्फोक में स्थित एक अपेक्षाकृत छोटा निवास था।
जॉर्ज एक जाने माने डाक-टिकट संग्रहकर्ता भी थे।[12] जॉर्ज पंचम व महारानी मैरी यहां 1926 तक रहे।
चर्चिल के अनुसार, जॉर्ज एक सख्त पिता थे, कि उनके बच्चे उनसे बहुत डरते थे। जॉर्ज एवं मे के पाँच पुत्र व एक पुत्री थी।
[संपादित करें] प्रिंस ऑफ वेल्स
महारानी विक्टोरिया की 22 जनवरी,1901 को मृत्यु के बाद, जॉर्ज के पिता एडवर्ड सप्तम ने गद्दी संभाली। जॉर्ज को ड्यूक ऑ कॉर्नवाल व ड्यूक ऑफ रोदेसे की उपाधि मिलीं। आगे के कई वर्षों तक वे ड्यूक ऑफ कॉर्नवाल एण्ड यॉर्क ही कहलाये थे। 1901 में, इस युगल ने ब्रिटिश साम्राज्य की यात्रा की, जब वे ऑस्ट्रेलिया भी गये। वहां उन्होंने संसद के प्रथम सत्र का आरम्भ किया। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया को राष्ट्रमंडल देशओं में शामिल किया। इसके बाद वे दक्षिण अरीका, कनाडा, न्यूजीलैंड भी गये।9 नवंबर, 1901 को इन्हें प्रिंस ऑफ वेल्स व अर्ल ऑफ चैस्टर, बनाया गया।[13] एडवर्ड सप्तम चाहते थे, कि जॉर्ज राजकाज के कार्यों में भी रुचि ले, जिसके विपरीत, महारानी विक्टोरिया ने कभी एडवर्ड को राजकाज में सम्मिलित नहीं किया था।[7] George in turn allowed his wife access to his papers,[14] as he valued her counsel and May often helped write her husband's speeches.[15]
1901 में जॉर्ज ने भारत की यात्रा की। यहां उन्होंने प्रजातीय भेदभाव देखा, जिससे उन्हें अपार घृणा हुई। उन्होंने भारतीय लोगों को भारत सरकार में शामिल करने का अभियान चलाया।[16][17]
[संपादित करें] महाराजा एवं सम्राट
6 मई,1910 को एडवर्ड सप्तम की मृत्यु हुई। इसके बाद जॉर्ज को महाराजा जॉर्ज पंचम घोषित किया गया। इसके साथ ही मे को भी महारानी मैरी बनाया गया[18]। इनका तिलक वेस्टमिनिस्टर अबे में 22 जून,1911 को हुआ था।[7]अगले वर्ष 1911 में महाराजा जॉर्ज पंचम व महारानी मैरी ने भारत की यात्रा की। यहां उनके तिलक हेतु दिल्ली दरबार सजा, जहां उन दोनों को भारत के सम्राट व सम्राज्ञी घोषित किया गया। जॉर्ज ने नव-निर्मित भारत का इम्पीरियल मुकुट पहना। तब इस युगल ने पूरे भारत की यात्रा की।
[संपादित करें] प्रथम विश्व युद्ध
1914 से 1918 तक ब्रिटेन जर्मनी के साथ युद्ध में संलग्न था। जर्मन शासक कैसर विलियम द्वितीय, जॉर्ज का कज़न भाई था। महारानी मैरी, हालांकि अपनी मां के समान ब्रिटिश थी, किन्तु ड्यूक ऑफ टैक, जो जर्मन वंश से थे, की पुत्री थीं।महाराजा के कई वंशज व रिश्तेदार, जर्मनी से थे। उनके वंश नाम भी जर्मन थे। इस युद्ध के कारण 17 जुलाई,1917 को जॉर्ज ने जर्मन नाम _हाउस ऑफ सैक्से कोबर्ग_ से बदल कर हाउस ऑफ विंडसर करने का आदेश निकाला। उसने स्वयं अपना व आगे आने वाले वंशजों का जातिनाम (सरनेम) विंडसर रखा। केवल बाहर विवाहित महिलायें अपवाद रखीं।[19]
और अंततः उसने अपने बहुत से अंबंधियों की ओर से सभी जर्मन नाम, उपाधियां व शैलियां त्यागीं, व ब्रिटिश नाम रखे।
इस युद्ध के अंत के दो माह बाद, जॉर्ज का छोटा पुत्र तेरह वर्शः की आयु में, खराब स्वास्थ्य से मृत्यु को प्राप्त हुआ।
साँचा:Infobox British Monarch Styles
[संपादित करें] Ancestors
[दिखाएँ]Ancestors of जॉर्ज पंचम |
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[संपादित करें] Issue
Name | Birth | Death | Notes |
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Edward, Prince of Wales Later Edward VIII | 23 June 1894 | 28 May 1972 | later the Duke of Windsor; married Wallis Simpson; no issue |
Prince Albert, Duke of York Later George VI | 14 December 1895 | 6 February 1952 | married Lady Elizabeth Bowes-Lyon; had issue (including Elizabeth II) |
Mary, Princess Royal Later Princess Royal and Countess of Harewood | 25 April 1897 | 28 March 1965 | married Henry Lascelles, 6th Earl of Harewood; and had issue |
Prince Henry, Duke of Gloucester | 31 March 1900 | 10 June 1974 | married Lady Alice Montagu-Douglas-Scott; had issue |
Prince George, Duke of Kent | 20 December 1902 | 25 August 1942 | married Princess Marina of Greece and Denmark; had issue |
Prince John | 12 July 1905 | 18 January 1919 | Died from seizures |
[संपादित करें] Notes and sources
- ↑ His godparents were the King of Hanover, the Queen and Crown Prince of Denmark, Ernst, 4th Prince of Leiningen, the Duke of Saxe-Coburg and Gotha, the Duchess of Cambridge, Princess Alice and the Duke of Cambridge. Source: The Times (London), Saturday, 8 July 1865, p.12
- ↑ Sinclair, David (1988). Two Georges: The Making of the Modern Monarchy. London: Hodder and Stoughton. pp. pp.46–47. ISBN 0-340-33240-9.
- ↑ Sinclair, pp.49–50
- ↑ Rose, Kenneth (1983). King George V. London: Weidenfeld and Nicolson. pp. p.13. ISBN 0-297-78245-2.
- ↑ Sinclair, p.55
- ↑ Pope-Hennessy, James (1959). Queen Mary. London: George Allen and Unwin, Ltd. pp. pp.250–251.
- ↑ 7.0 7.1 7.2 Matthew, H. C. G. (Sept 2004; online edn, May 2006), "George V (1865–1936)", Oxford Dictionary of National Biography (Oxford University Press), doi:10.1093/ref:odnb/33369, http://www.oxforddnb.com/view/article/33369, retrieved 2007-03-19
- ↑ Sinclair, p.178
- ↑ The Times (London) Friday, 7 July 1893, p.5
- ↑ See a photograph of them side-by-side
- ↑ Renamed from Bachelor's Cottage
- ↑ "The Royal Philatelic Collection". http://www.royal.gov.uk/output/Page4979.asp. Retrieved 2007-03-02.
- ↑ "The Prince of Wales – Previous Princes of Wales". Household of HRH The Prince of Wales. http://www.princeofwales.gov.uk/personalprofiles/theprinceofwales/abouttheprince/previousprincesofwales/. Retrieved 2007-09-27.
- ↑ Rose, p.289
- ↑ Sinclair, p.107
- ↑ Rose, pp.65–66
- ↑ George Frederick Abbott's Through India with the Prince (1906) describes the tour.
- ↑ Pope-Hennessy, p.421
- ↑ "The official website of the British Monarchy". http://www.royal.gov.uk/output/page3379.asp. Retrieved 2007-03-02.
[संपादित करें] References
- Matthew, H. C. G. (Sept 2004; online edn, May 2006), "George V (1865–1936)", Oxford Dictionary of National Biography (Oxford University Press), doi:10.1093/ref:odnb/33369, http://www.oxforddnb.com/view/article/33369, retrieved 2007-03-19
- Nicolson, Sir Harold (1952). King George the Fifth: His Life and Reign. London: Constable and Co.
- Pope-Hennessy, James (1959). Queen Mary. London: George Allen and Unwin, Ltd.
- Rose, Kenneth (1983). King George V. London: Weidenfeld and Nicolson. ISBN 0-297-78245-2.
- Sinclair, David (1988). Two Georges: The Making of the Modern Monarchy. London: Hodder and Stoughton. ISBN 0-340-33240-9.
- Windsor, HRH The Duke of (1951). A King’s Story. London: Cassell and Co.
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