गुरुवार, 4 अगस्त 2011

राज्यपाल से ख़फ़ा बिहार सरकार



वाइस चांसलरों की नियुक्तियों के मुद्दे पर पूर्व में नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मुलाकात भी की थी
बिहार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों (वाइस चांसलर ) की नियुक्ति को लेकर बिहार सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद अब टकराव की हद तक पहुँचता हुआ दिख रहा है.
असर में राज्यपाल राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं.
दोनों पक्षों में लम्बी खींचतान के बाद राज्यपाल देवानंद कुंवर ने अपने चांसलर यानी कुलाधिपति पद के अधिकार के तहत राज्य के छह विश्वविद्यालयों में कुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति कर दी है.
राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने इसे अवैध नियुक्ति क़रार देते हुए मामले को अदालत में ले जाने का संकेत दिया है.
कुलपति पद के लिए राज्य सरकार द्वारा सुझाये गये नामों की सूची में से एक भी नाम पर विचार नहीं करना और इस मामले में राज्य सरकार से नियमतः ज़रूरी परामर्श को नज़रंदाज़ कर देना सम्बंधित अधिनियम और एक अदालती आदेश का भी उल्लंघन है
विभागीय मंत्री, प्रशांत कुमार शाही
विभागीय मंत्री प्रशांत कुमार शाही ने इस बाबत अपनी तल्ख़ टिप्पणी में कहा है - '' कुलपति पद के लिए राज्य सरकार द्वारा सुझाये गये नामों की सूची में से एक भी नाम पर विचार नहीं करना और इस मामले में राज्य सरकार से नियमतः ज़रूरी परामर्श को नज़रंदाज़ कर देना सम्बंधित अधिनियम और एक अदालती आदेश का भी उल्लंघन है.''
शिक्षा मंत्री शाही के अनुसार राज्य सरकार इस सम्बन्ध में जल्दी ही उचित निर्णय लेगी और राज्य के विश्वविद्यालयों से जुड़े हितों को चोट पहुँचाने की कोशिशें नाकाम होकर रहेंगी.
उधर कुलाधिपति (राज्यपाल) कार्यालय सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने कुलाधिपति की हैसियत से पूरी तरह नियमानुकूल नियुक्तियां की हैं और राज्य सरकार से परामर्श नहीं लेने का आरोप सही नहीं है.
राज्यपाल के निर्णय को सही बताने वालों का तर्क है कि परामर्श देने को परामर्श मान लेने जैसी बाध्यता समझना बिहार सरकार की भूल है.
इस तर्क के मुताबिक़ राज्य सरकार द्वारा इस बाबत कुलाधिपति को दिये गये तमाम सुझाव परामर्श की श्रेणी में आते हैं लेकिन उन्हें मान लेना या नहीं मानना कुलाधिपति के अपने निर्णय पर निर्भर करता है.
कई प्रेक्षक इसे कांग्रेसी विचारधारा के राज्यपाल और ग़ैर कांग्रेसी विचारधारा वाली राज्य सरकार के बीच राजनीतिक मतान्तर का परिणाम मानते हैं.
हैरत की बात ये भी है कि कुलपतियों की नियुक्ति से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी राज्यपाल के साथ लम्बी बैठक कर चुके थे.
बैठक के बाद समझा जा रहा था कि राज्यपाल नरम रुख़ अपनाएंगे, लेकिन सामने आया नतीजा और गरम दिख रहा है.
राज्य के आठ विश्वविद्यालयों में से छह के नव-नियुक्त कुलपतियों के नाम मंगलवार को प्रकाशित हो जाने से दोनों पक्ष आमने-सामने तन जाने जैसी मुद्रा में दिख रहे हैं.
जो भी हो, देश के पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिने जाने वाले पटना विश्वविद्यालय को नए कुलपति के रूप में पत्रकारिता-संस्थान से जुड़ा एक प्रशासक मिला है.
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (इग्नू) में पत्रकारिता विभाग से सम्बद्ध संस्थान के निदेशक शम्भूनाथ सिंह अब पटना विश्वविद्यालय के नए कुलपति होंगे.

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