सोमवार, 15 अगस्त 2011

राजधानी बन रही बाल व्यापार की मंडी

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-विनय ठाकुर
देश की राजधानी दिल्लीClick here to see more news from this city तेजी से बाल व्यापार की मंडी के रूप में बदल रही है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष आमोद कंठ के अनुसार घर से भागने वालों बच्चों का पहला ठिकाना अब मुंबईClick here to see more news from this city की बजाय दिल्ली बन गया है।

बचपन बचाओ आंदोलन के भुवन के अनुसार चाहे पंजाब के ईंट भट्ठे हों, हरियाणा के अवैध पत्थर खदान या दिल्ली के आसपास के देह व्यापार में धकेले जाने वाले बच्चे।

इन सभी को दिल्ली होकर भेजा जाता है। स्वयं दिल्ली में जरी उद्योग, होटल, ढाबे, चमड़ा उद्योग और घरेलू नौकरी में बाल मजदूरों की बड़ी खपत है। हाल में बिहार में आई बाढ़ के बाद बाल मजदूरों के दलाल ज्यादा सक्रिय हो गए हैं और दिल्ली में बाल मजदूरों की आमद बढ़ गई है। निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को तिब्बती दलालों के चंगुल से छत्तीसगढ़ से फुसलाकर लाए जा रहे बच्चों को मुक्त कराया गया।

आईजीएसएस द्वारा दिल्ली के आश्रय रहित लोगों के हाल के सर्वे में यह सामने आया है कि दिल्ली में आश्रय रहित लोगों में बच्चों व महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। स्वयंसेवी संस्था प्रयास एवं साथी द्वारा नई दिल्लीClick here to see more news from this city रेलवे स्टेशन पर दिल्ली के बाहर के राज्यों से आने वाले बच्चों का सर्वे किया गया।

इस सर्वे में 5 दिनों के अंदर ही 795 बच्चों का ब्योरा इकट्ठा किया गया। इनमें से कई दूसरी-तीसरी बार घर से भागे थे। एक महीने में लगभग 20-30 हजार बच्चे दिल्ली आते हैं। ये बच्चे दिल्ली में देश के अन्य राज्यों से ही नहीं, भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश और तिब्बत से भी बच्चे दिल्ली आते हैं।

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