दिलीप खान-
इंडियन एक्सप्रेस ने आज एक छोटी, लेकिन दिलचस्प स्टोरी की है। शाहजहां ने जब लालकिला बनवाया था, तो इसमें 14 दरवाज़े थे। इनमें से एक दरवाज़ा पानी के रास्ते खुलता था- खिज़री गेट। समय के साथ लाहौरी, काबुली और लाल दरवाज़े के साथ-साथ खिज़री भी ग़ायब हो गया। शाहजहां ने इसी दरवाज़े से पहली दफ़ा लाल क़िले में प्रवेश किया था। अंग्रेज़ों ने जब दिल्ली फ़तह किया, तो बहादुर शाह जफ़र रात के पहर इसी दरवाज़े से बाहर निकले थे।
लाल क़िला और सलीमगढ़ क़िला के बीचो-बीच यमुना बहती थी। इसलिए पुल बनाया गया। दुनिया में कई जगहों पर आज पुल मौजूद हैं, लेकिन नदियां ग़ायब। जब आप लोदी गार्डन जाते हैं, तो वहां भी एक पुलिया है। उस पुलिया के नीचे कभी नदी बहा करती थी। दिल्ली में छोटी-मोटी दर्जनों नदियां थीं, जो मिट गईं।
पहले के ज़माने में सुरक्षा के लिहाज़ से क़िले आम तौर पर नदी किनारे या पहाड़ों पर बनाए जाते थे। लाल क़िला के लिए यमुना एक सुरक्षा थी। सोहेल हाशमी सर ने एक्सप्रेस वाली स्टोरी में बताया है कि 18वीं सदी में मोहम्मद शाह “रंगीला” के समय यमुना क़िले से दूर जाने लगी और धीरे-धीरे वहां पहुंच गई, जहां वह आज है।
अंग्रेज़ों ने जब कलकत्ते से राजधानी को दिल्ली लाने का फ़ैसला किया, तो उस समय किंग्सवे कैंप और सिविल लाइंस वाले इलाक़े को चुना गया था, लेकिन वह पूरा इलाक़ा बाढ़ में डूबा हुआ था। इसलिए, रायसीना हिल पर निर्माण शुरू हुआ। बाढ़ के पानी से बचने के लिए ही ऊंची जगह चुनी गई।
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