*सदन में हार तय फिर भी अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया विपक्ष? समझें इसके सियासी मायने*
मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। संसद के मानसून सत्र को शुरू हुए छह दिन हो चुके हैं और हर रोज सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ रही है। बुधवार को कांग्रेस और बीआरएस की तरफ से इसी मामले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय में नो कॉन्फिडेंस मोशन का नोटिस दिया। इसके अलावा तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी बीआरएस ने भी अलग से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।
संसद में संख्याबल के हिसाब से देखें तो अभी मोदी सरकार काफी मजबूत स्थिति में दिखाई देती है। इसके बावजूद विपक्ष की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया है। सवाल उठ रहा है कि आखिर संसद में संख्याबल कम होने के बावजूद विपक्ष की तरफ से ये अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है?
क्या है इसके सियासी मायने हैं?
भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। अकेले भाजपा के 301 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी खेमे यानी इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 और राज्यसभा में 96 सांसद हैं। संख्याबल के हिसाब से दोनों सदनों में सत्ता पक्ष मजबूत है।
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