सोमवार, 3 जुलाई 2023

डीयू से निकले कितने राष्ट्रपति-पीएम

 डीयू से निकले कितने राष्ट्रपति-पीएम


विवेक शुक्ल 

क्या आपको पता है कि भारत में सिर्फ एक ही युनिवर्सिटी है जिसने देश और देश से बाहर के कुल छह राष्ट्रपति या प्रधानामंत्री निकाले? पीपी ये गौरव सिर्फ दिल्ली युनिवर्सिटी ( डीयू) को हासिल है। आज 30 जून को डीयू के एक सदी के पूरा होने पर पिछले साल शुरू हुए समारोहों के अंत में होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे। वे भी डीयू के छात्र रहे हैं। मोदी जी ने भी डीयू से ही ग्रेजुएशन की डिग्री ली थी।


 पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जिया उल हक डीयू के सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्र रहे थे। वो यहां  साल 1983 में आये भी थे। उस दिन गहमागहमी का माहौल था। कॉलेज में एक खास मेहमान के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं। उस दिन कॉलेज के एक अति महत्वपूर्ण पूर्व छात्र कॉलेज में दशकों के बाद दस्तक देने वाले थे। तब वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। जिया उल हक सेंट स्टीफंस कॉलेज में 1941 से 1945 तक पढ़े थे।

 जिया उल हक 1983 में राजधानी में चल रहे निर्गुट सम्मेलन में भाग लेने आए थे। तब वे कुछ समय निकाल कर अपने कॉलेज में आए थे। सेंट स्टीफंस कॉलेज के इतिहास पुरुष रहे इतिहास के अध्यापक प्रो. मोहम्मद अमीन ने एक बार बताया था कि जिया कॉलेज में आकर भावुक हो गए थे। जिस जिया ने कुछ साल पहले अपने देश के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटका कर अपनी एक खौफनाक इमेज बनाई थी, वह सेंट स्टीफंस कॉलेज में आकर इस तरह से सबसे मिल रहा था मानो उसे अपना कोई बिछड़ा हुआ यार मिल गया हो। उन्होंने अपने छात्रावास को भी देखने की इच्छा जताई थी। वह प्रिंसिपल रूम भी देखने गए थे। उन्हें कॉलेज कैंटीन में सुखिया नींबू पानी वाला मिल गया था। जिया उससे नींबू पानी पीते थे। उन्होंने जाते हुए सुखिया को एक लिफाफा भी दिया था। तब कहा गया था कि वह सुखिया को अपना पुराना उधार देकर गए थे। 

सुखिया का परिवार अब भी कॉलेज की कैंटीन चलाता है। बहरहाल, जिया के अलावा कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष या प्रधानमंत्री भी डीयू में पढ़े। भारत के पांचवे राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद भी सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्र रहे थे। वे जब सेंट स्टीफंस कॉलेज में थे तब ये कश्मीरी गेट में हुआ करता था।


नेपाल के 5 बार प्रधानमंत्री रहे गिरिजा प्रसाद कोइराला डीयू के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ते रहे। वे नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष थे। कोइराला के जीवन पर महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के विचारों का गहरा असर था। वे आजीवन भारत के साथ अच्छे संबंधों के पक्षधर रहे। वे आला दर्जे के बतरसी थे।


नोबल पुरस्कार विजेता म्यांमार की शिखर नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची यू ने 1964 में लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। वह जब यहां पर पढ़ रहीं थीं तब उनकी मां भारत में अपने देश की राजदूत हुआ करती थी। आंग सान सू ची यू अपनी मां के साथ 24 अकबर रोड के बंगले में रहा करती थीं। इसे तब ‘बर्मा हाउस’ भी कहते थे। दरअसल म्यांमार ( पहले बर्मा) के भारत में राजदूत को यही बंगला सरकारी आवास के रूप में आवंटित किया जाता था। राशिद किदवई ने अपनी पुस्तक ‘24 अकबर रोड’ में लिखा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निर्देश पर 24 अकबर रोड को बर्मा हाउस कहा जाने लगा था।  दरअसल बर्मा की राजदूत दा खिन केय और पंडित नेहरु के बीच बेहद मधुर संबंध थे। उस दौर में भारत-बर्मा संबंध में लगातार मजबूती आ रही थी। दा खिन केय की पुत्री हैं म्यांमार की शिखर नेता आंग सान सू ।


इस बीच,अफ्रीकी देश मलावी के 2004 से 2012 के बीच राष्ट्रपति रहे बिंगु वा मुथारिका ने भारत सरकार की छात्रवृत्ति पर 1961 से 1964 तक डीयू में पढ़ाई की। उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन और दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री की डिग्री ली थी। वे बेहद होनहार छात्र थे। मालावी साल 2010 में दिल्ली आए थे। तब उनका दिल्ली यूनिवर्सिटी में अभिनंदन किया गया था। वे तब उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी से मिले भी थे। तब बिंगु ने श्री अंसारी से कहा था कि वे अपने को भारतीय ही मानते हैं। मलावी गणराज्य दक्षिणपूर्व अफ्रीका में स्थित देश है। दरअसल अब से बीसेक वर्ष पहले तक अफ्रीकी देशों से बहुत बड़ी संख्या में छात्र डीयू में दाखिला लेते थे। अफसोस कि अब अफ्रीकी देशों से डीयू में बहुत कम नौजवान पढ़ने के लिए आते हैं। बहरहाल, सन 1922 में तीन क़ॉलेजों से शुरू हुई डीयू में अब देश भर के लाखों नौजवान पढ़ने के लिए आते हैं। इसी डीयू के एक प्रोफेसर डॉ. मनमोहन सिंह आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री बने थे। डॉ. मनमोहन सिंह ने यहां के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में1969 से 1971 तक पढ़ाया। वे अपनी क्लास लेने के बाद इधर की लेडी रतन टाटा लाइब्रेयरी में बैठकर पढ़ना पसंद करते थे।  


विवेक शुक्ला नवभारत टाइम्स, दैनिक ट्रिब्यून, हरि भूमि

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