साउथ पोल ही क्यों, ?
साउथ पोल ही क्यों, तमाम मुश्किलों के बावजूद भी भारत क्यों उसी एरिया में भेज रहा चंद्रयान-3
दिल्लीः 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद पर जाने के लिए भारत की धरती से रवाना होगा. ऐसा नहीं है कि भारत पहला देश है जो चंद्रमा पर अपना मिशन भेज रहा है. इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन जैसे देश सफल मिशन, चंद्रमा की सतह पर भेज चुके हैं. लेकिन इनमें से किसी भी देश ने चंद्रमा के साउथ पोल पर अपना मिशन आज तक नहीं भेजा है. तो अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह पहली बार होगा जब कोई देश चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरेगा!
चंद्रमा का साउथ पोल का कुछ एरिया लगातार अंधेरे की आगोश में रहता है, क्योंकि वहां सूरज की रोशनी बिल्कुल ही नहीं पहुंचती. इसलिए वहां पर तापमान शून्य से 235 डिग्री तक नीचे रहता है. इतने कम तापमान में न सिर्फ किसी मशीन का काम करना मुश्किल होता है बल्कि चंद्रमा के साउथ पोल पर तमाम क्रेटर्स के होने से लैंडिंग काफी मुश्किल है! अब तक जो भी मिशन चांद पर गए वे इक्वेटर या विषुवत रेखा (चंद्रमा के बीचों-बीच से गुज़रने वाली व उसे उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव में बांटने वाली आभासी रेखा) या उसके आसपास के एरिया में पहुंचे हैं।
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