रविवार, 19 जुलाई 2020

बाथू मंदिर कांगड़ा


#बाथू_की_लड़ी #हिमाचल_प्रदेश🚩

यह खूबसूरत मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में है। पहले यह मंदिर पानी के अंदर 6 महीने और पानी से 6 महीने बाहर रहता है अब यह मंदिर 1970 में पोंग बाँध निर्माण के कारण बने जलाशय महाराणा प्रताप सागर में आठ महीने तक जलमग्न रहता हैं। जब मंदिर आठ महीने तक अपनी में जलमग्न रहता है। इस मंदिर के पास एक बहुत ही बड़ा पिल्लर है। जब पौंग डैम झील का पानी काफी ज्यादा होता है तब यह सभी मंदिर पानी में डूब जाते है, लेकिन सिर्फ इस पिल्लर का ऊपरी हिस्सा ही नजर आता है। पिल्लर के अंदर लगभग 200 सीढ़ियां हैं। पिल्लर के ऊपर से 15 किलोमीटर तक झील का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। इस मंदिर में महाभारत काल के कुल 6 मंदिर है, जिसमे पांच छोटे मंदिर है, जोकि एक पंक्ति में निर्मित है, इन मन्दिरों में शेष नाग ,विष्णु भगवान की मूर्तियाँ स्थापित है।  और बीच एक मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। आठ महीने तक जलमग्न रहने वाले मंदिर बाथू की लड़ी के अंदर एक पवित्र शिवलिंग है और आप देवी काली और भगवान गणेश की आकृतियों को पत्थरों पर उकेरते हुए देख सकते हैं, जबकि मंदिर के अंदर आप भगवान विष्णु की प्रतिमा को उनके शीश नाग पर टिकाते हुए देखेंगे। मंदिर-समूह तक केवल मई-जून में ही पहुँच सकते हैं, जब जल-स्तर घटता है। मंदिर-समूह तक धमेटा और नागराता सुरिया से नाव द्वारा एवं ज्वाली से सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। बताया जाता है कि , यह मंदिर कई सालों तक पानी में डूबा रहा था, लेकिन इस मंदिर की इमारत आज भी ज्यों की त्यों ही बनी हुई है। मिथक है कि इन मंदिरों को पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान केवल एक रात में ही बनवा डाले थे। मंदिर की बनावट कुछ ऐसी की गई है कि कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब सूर्य की किरणें महादेव का चरण छूए बिना अस्त हो जाती हो. इतनी लंबी अवधि के लिए पानी में डूबे रहने के बावजूद, आपको मंदिर की संरचना में कोई बड़ा नुकसान नहीं दिखेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि मंदिर एक शक्तिशाली पत्थर से बना है जिसे 'बाथू' कहा जाता है।

#स्वर्ग_की_ओर_जाने_वाली_सीढ़ियाँ
एक मान्यता यह भी है की यह मंदिर पांडवो ने बनाया था।
बाथू मंदिर, बाथू मंदिर की स्थापना छठी शताब्दी में गुलेरिया साम्राज्य के समय की गई, बाथू की लड़ी अंतर्गत मंदिरों में भगवान शिव विराजमान रहे, मंदिरों की उत्पत्ति के बारे में कहानियां लोक कथाओं में प्रचलित हैं कि मंदिर की स्थापना पांडवो द्वारा की गई और वे यहाँ से स्वर्ग तक सीढ़ी बनाना चाहते थे। यहां आज भी मौजूद हैं, पांडवों द्वारा बनाई स्वर्ग की 40 सीढ़ियाँ। स्वर्ग के लिए सीढ़ियाँ बनाना कोई मुमकिन काम नहीं था, जिसके बाद उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से गुहार लगाई और और कृष्ण ने छ महीने की एक रात कर दी। वरदान के मुताबिक पांडवों को स्वर्ग की सीढ़ी बनाने के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया. इस दौरान न तो उन्हें सूर्य के दर्शन होते और न ही कहीं से रोशनी आती. यानी भगवान ने पूरे 6 महीने तक रात कर दिया. लेकिन छ महीने की रात में स्वर्ग की-स सीढ़ियाँ बनकर तैयार ना हो सकी, जो सिर्फ ढाई सीढ़ियों से अधूरा रह गया था। उन्होंने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां शिवलिंग की स्थापना भी की थी। यहां से कुछ दूर एक पत्थर मौजूद है, जिसे भीम ने फेंका था। कहा जाता है कि कंकड़ मारने से इस पत्थर में खून निकलता है। इस मंदिर के बारे में ऐसे बहुत सारे राज यहां दफन हैं। आज भी इस मंदिर में स्वर्ग की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ नजर आती है, जिसे लोग आस्था के साथ पूजते हैं।

#पुन_स्थापन
पोंग डैम निर्माण के कारण बने जलाशय एवं सरकारी उपेक्षा और स्थानीय लोगों की अनदेखी के कारण यह प्राचीनतम मंदिर लुप्तप्रायः हो गया परन्तु बाद में पुनः यहाँ शिवलिंग की स्थापना की गई।

#मंदिर_का_नाम_बाथू_कैसे_पड़ा?
इस मंदिर की इमारत में लगे पत्थर को बाथू का पत्थर कहा जाता है। बाथू नाम से बनी है और इसी मंदिर की अन्य आठ मंदिर भी है, जिसे दूर से देखने पर एक माला में पिरोया हुआ प्रतीत होता है इसीलिए इस खूबसूरत मंदिर को बाथू की लड़ी (माला) कहा जाता है।

#रहस्य
बाथू की लड़ी मंदिर में एक ऐसा भी रहस्य है जो सारे विज्ञान को फेल साबित कर देता है.  मौसम चाहे जैसा भी हो यहां सूर्य अस्त तभी होता है, जब सूरज की आखिरी किरणें बाथू मंदिर में विराजमान महादेव के चरण छूती हैं. मुगल काल में इस अद्भुत रहस्य को देखकर मुगल बादशाहों ने पूरी ताकत लगा दी. ताकि मंदिर में सूर्य की किरणों को जाने से रोका जा सके.
उनकी तमाम कोशिशें बेकार हो गईं. आज भी मंदिर का ये रहस्य लोगों को हैरानी में डाल देता है.

#प्राकृतिक_आइलैंड
इस मंदिर के आसपास कुछ छोटे छोटे टापू बने हुए हैं, जिन्हें रेनसर के नाम से जाना जाता है, इसमें रेनसर के फारेस्ट विभाग के कुछ रिजोर्ट्स है, जहां पर्यटकों के रुकने और रहने की उचित व्यवस्था है। मंदिर का आसपास का नजारा बेहद मनोरम है,जिसकी ओर कोई भी आकर्षित हो जाये..चारो तरफ पानी और बीच मन्दिरों का समूह बेहद ही खूबसूरत नजर आता है।

#हर_हर_महादेव🚩🙏

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