शनिवार, 18 जुलाई 2020

पांच अद्भुत शिवलिंग की महिमा



भगवान शिव के पांच अद्भुत शिवलिंग जिनका रहस्य कर देगा आपको आश्चर्यचकित ?

महादेव शिव की महिमा अनोखी एवं निराली जहां अन्य सभी देवताओ के स्वरूप की पूजा की जाती है वही भगवान शिव शंकर जो निर्विकार , निराकार, ओमकार स्वरूप है उनकी लिंग के रूप में पूजा होती है।

परन्तु भगवान शिव की महिमा एवं उनकी अद्भुत लीलाएं यही समाप्त नहीं होती, भारत में अनेक ऐसे शिवलिंग है जो अपने चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है।

भगवान शिव के कुछ शिवलिंगों में अपने आप जल की धारा बरसती है तो कुछ शिवलिंग का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.
भगवान शिव के कुछ शिवलिंग तो ऐसे है जिनका संबंध प्रलय से जुडा हुआ है. भगवान शिव के इन चमत्कारों के रहस्यों को जान्ने के लिए अनेको जगहों में तो विज्ञान भी फेल होता पाया गया है।

आइये जानते है भगवान शिव से जुड़े पांच अनोखे शिवलिंग के बारे में जिनके चमत्कारों ने लोगो को आश्चर्य में डाल रखा है।

बाबा तिल भाण्डेश्वर महादेव :- बाबा तिल भाण्डेश्वर महादेव का मंदिर काशी के केदार खण्ड में स्थित है. कहते है की यह शिवलिंग सतयुग में प्रकट हुआ था तथा यह स्वयम्भू शिवलिंग है. इस शिवलिंग का वर्णन शिव पुराण धर्मग्रन्थ में भी मिलता है. वर्तमान में इस शिवलिंग का आधार कहा पर है यह आज तक एक रहस्य बना हुआ है।

इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है की यह शिवलिंग सतयुग से द्वापर युग तक हर रोज एक तिल के आकर तक बढ़ते रहता है. लेकिन कलयुग के आरम्भ लोगो को यह चिंता सताने लगी की यदि भगवान शिव का शिवलिंग हर रोज इसी तरह बढ़ते रहा तो एक दिन पूरी दुनिया इस शिवलिंग में समाहित हो जायेगी।

तब यहाँ लोगो ने शिव की आरधना की तथा भगवान शिव ने प्रसन्न होकर भक्तो को दर्शन दिए इसके साथ ही भगवान शिव ने यह वरदान भी दिया की अबसे में हर मकर संक्रांति को एक तिल बढ़कर भक्तो का कल्याण करूंगा।

 अत्यधिक प्राचीन इस मंदिर के विषय में अनेको मान्यताएं जुडी है। कहा जाता है की इसी स्थान पर विभांड ऋषि ने तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देकर यहाँ स्वयम्भू शिवलिंग के रूप में स्थापित हुए थे।

तथा उन्हें वरदान दिया की में कलयुग में एक आकर बढूंगा। भगवान शिव के इस अद्भुद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मुक्ति का मार्ग परास्त होता है।

मृदेश्वर महादेव मंदिर :- गुजरात गोधरा में स्थित यह मंदिर भी प्रलय का संकेत देता है. बताया जाता है के यहाँ शिवलिंग का बढ़ता आकर कलयुग के धरती पर हावी होने की निशानी है. जिस दिन ये शिवलिंग आकर में साढ़े आठ फुट हो जाएगा तथा मंदिर के छत को छू लेगा वह दिन कलयुग का अंतिम चरण होगा।

अर्थात उसके बाद पृथ्वी में प्रलय आ जायेगी और एक नए युग का प्रारम्भ होगा।
लेकिन हम आपको बता दे की शिवलिंग को मंदिर के छत तक चुने में लाखो हजार वर्ष लग जाएंगे क्योकि शिवलिंग का आकर हर वर्ष एक चावल के आकार का बढ़ता है।

मृदेश्वर मंदिर की एक विशेषता यह भी ही की इसमें स्वतः ही जल की धरा लगातार बहती रहती है तथा शिवलिंग का जलाभिषेक करती रहती है. सूखे एवं गर्मी में भी इस जल द्वारा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, यह जल धारा अविरल बहती रहती है।

पोडिवाल महादेव मंदिर :- हिमांचल प्रदेश में नहान से करीब 8 किलोमीटर दुरी पर स्थित पोडिवाल महादेव मंदिर है. इसका संबंध रावण से माना जाता है, कहा जाता है की रावण ने इसकी स्थापना करी थी।

इसे स्वर्ग की दूसरी पड़ी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है की हर शिवरात्रि को यह शिवलिंग एक जौ के दाने के बराबर बढ़ता है।

ऐसी मान्यता है की इस शिवलिंग में सक्षात शिवजी का वास है तथा भगवान शिव सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते है

भूतेश्वर महादेव मंदिर :- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 90 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है गरियाबंद जिला यहाँ एक प्राकृतिक शिवलिंग स्थित है जिसे भूतेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

यह विशव का सबसे बड़ा प्राकर्तिक शिवलिंग है. सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है की यह शिवलिंग अपने आप बड़ा और मोटा होता जा रहा है।

यह जमीन से लगभग 18 फीट उंचा एवं 20 फीट गोलाकार है. राजस्व विभाग द्वारा प्रतिवर्ष इसकी उचांई नापी जाती है जो लगातार 6 से 8 इंच बढ रही है।

जग्गेश्वर महादेव मंदिर :- मैदागिन मार्ग से आगे बढ़ने पर महादेव का दिव्य मंदिर है . शिव की नगरी काशी में तो कंकर कंकर में शिव का वास है. शिव ही यहाँ के आराध्य हैं और शिव ही लोगों की रक्षा और भरण पोषण करते हैं।

शिव के इस आनंद वन में शिव के चमत्कारों की कोई कमी नही है. इस मन्दिर में भगवान् शिव का लिंग हर शिवरात्रि को जौ के एक दाने के बराबर बढ़ जाता है . मन्दिर के आस पास ऐसे लोगों की भी कमी नही है जिन्होंने इस शिव लिंग को अपने बचपन से बढ़ते हुए देखा है. ऐसी मान्यता है की इस मन्दिर में दर्शन करने से इस जन्म का ही नही बल्कि सात जन्मो का पाप कट जाता है।

जागिश ऋषि की कठोर तपस्या से खुश होकर महादेव यहाँ प्रकट हुए थे.हर शिवरात्रि को बढ़ते -बढ़ते वर्तमान में इस शिवलिंग ने आदम कद प्राप्त कर लिया है . महंत आनंद मिश्र बताते है कि ऋषि के हठ ने ना सिर्फ महादेव को यहाँ बुलाया बल्कि हमेशा के लिए उन्हें यही विराजमान भी होना पड़ा।

ऋषि ज़ब बिमारी की वज़ह से मौत के मुह में असमय ही चले जा रहे थे ,तब महादेव ने अपने प्रिय मदार के पुष्प से उनका इलाज़ भी किया था. बीमारी से ठीक होने को लोग मदार की माला चढ़ाते है।pa

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