रविवार, 19 जुलाई 2020

दूध दही घी छाछ के फायदे


#दूध_से_छाछ_मक्खन_व_देशी_घी_बनाने_की_उचित_विधी_एवं_इनके_फायदे

आजकल हम भाग दौड़ भरी जिन्दगी में जल्दबाज़ी के चक्कर में जिस विधी से घी बनाना चाहिए वो नहीं बनाकर बहुत ही गलत तरीके से #कच्ची_मलाई को #फ्रीज़ में रखकर बिना #दही जमाये जो घी अपने घरों में बना रहे, इसी तरह बाजार में मिलने वाला घी 95% तक कच्चे दूध से बनाया जाता है..इस प्रकार के #घी फायदे की जगह #नुकसान अधिक कर रहा है।
तो आये और जाने घर में #छाछ, #मक्खन व #देशीघी बनाने की उचित व #शास्त्रीय विधि, जो निम्न है....
1. दूध को लेकर चलनी से छान ले।
2.  एक भगोनी में धीरे धीरे मंदी आंच में उस दूध को गरम करे।
3. गरम दूध को पंखे में या ठंडे स्थान पर 2-3 घंटे के लिए रख दे।
4. ठंडा होने के बाद उसको ढककर 4-5 घंटे के लिए फ्रीज़ में रख दे इससे दूध में बहुत अच्छी मलाई आती है।
5. फ्रीज में से दूध को निकालकर नार्मल तापमान पर आने के बाद गैस पर रखकर हल्का #गुनगुना होने तक गरम कर ले।
6. उस गुनगुने दूध में रात्रि के लगभग 9 बजे के करीब लगभग 1/4 या 1/2 चमच दही या छाछ का जावण डाल दे, तथा ढककर रख दे, दही जमने के लिए 25 से 32 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान अनुकूल होता है, गर्मियों में जाली से व सर्दियों में प्लेट से ढकना उचित होता है।
7. सुबह उस दही में थोड़ा पानी डालकर एक चमच से 1 या 2 मिनिटअच्छी तरह फेंट ले, फिर एक मिक्सर हैंड ग्राइंडर से 5 से 10 मिनट तक मथले, इसके बाद गर्मियों में 5 से 8 पीस छोटे बर्फ के टुकड़े डाल दे, (सर्दियों में गरम पानी डाले) तथा एकदम धीरे धीरे ग्राइंडर को घुमाए, इससे आपका मक्खन एकत्रित हो जाएगा, तथा पीछे जो बचेगी वो अमृत के समान उपयोगी छाछ होगी।
8. इस तरह प्राप्त मक्खन को एक पात्र में रखकर फ्रीज़ में रख दे, जब ये मक्खन 5 या 7 दिन तक एकत्रित हो जाए तब उसे फ्रीज़ से निकाल ले
9. उस एकत्रित मक्खन को एक स्टील की कड़ाही में रखकर धीमी आँच पर रख दे, तथा बीच बीच में चमच से हिलाते रहे ।
10. आधे से एक घण्टे के बाद उस मक्खन में झाग आने लग जाएंगे तथा उसमे बची छाछ आदि द्रव्यों का रंग जब बादामी होने लगे तब गैस को बंद कर दे।
11. अब ठंडा होने पर उस घी को एक स्टील की चलनी से छान कर एक पात्र में एकत्रित कर ले।
12. इस तरह से आप शास्त्रीय तरीके से उत्तम गुणों वाला घी प्राप्त कर सकते है।
13. ये घी आपके स्वास्थ्य के लिए कभी भी हानिकारक नही होगा, बल्कि फायदेमन्द ही होगा।
विशेष: इस घी निर्माण का सम्पूर्ण श्रेय मेरी धर्मपत्नी श्रीमती सीमा दाधीच का है जो विगत 23 वर्षों से इसी प्रकार के घृत का निर्माण घर पर ही कर रही है।

#मक्खन_खाने_के_ये_फायदे :-
कान्हा ऐसे ही नहीं #माखनचोर कहलाते थे। मक्खन के फायदे ही इतने हैं कि जानने के बाद आप खुद को इसे खाने से रोक नहीं पाएंगे।
'डाइट' और 'लो फैट' डाइट के बढ़ते चलन में आप अगर इसे महज फैट्स और कैलोरी बढ़ाने वाली चीज के रूप में देखते हैं तो इस गफलत से बाहर निकलिए और घर के बने मक्खन के इन फायदों पर गौर कीजिये....
*दिल के रोगों में आराम
मेडिकल रिसर्च काउंसिल के शोध के अनुसार, जो लोग मक्खन का सेवन करते हैं उन्हें दिल के रोगों का रिस्क आधा हो जाता है। इनमें विटामिन ए, डी, के2 और ई के अलावा लेसिथिन, आयोडीन और सेलेनियम जैसे तत्व अच्छी मात्रा में होते हैं जो दिल की सेहत के लिए फायदेमंद हैं।
#कैंसर
मक्खन में मौजूद फैटी एसिड- कौंजुलेटेड लिनोलेक एसिड कैंसर से बचाव में बहुत मददगार है। यह एसिड ट्यूमर से लेकर कैंसर तक के उपचार में मददगार हो सकता है।

#ऑस्टियोपोरोसिस
मक्खन में विटामिन्स, मिनिरल्स और कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है। दांतों और हड्डियों से जुड़े रोगों, खासतौर पर ओस्टियोपोरोसिस के उपचार में इसका सेवन फायदेमंद है।
#थायरॉइड
मक्खन में आयोडीन अच्छी मात्रा में होता है जो थायरॉइड के मरीजों के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन ए भी थायरॉइड ग्लैंड को मजबूत बनाता है।
#दमा
मक्खन में मौजूद सैचुरेटेड फैट्स फेफड़ों की मदद करते हैं और दमा के मरीजों के लिए भी इसका सेवन फायदेमंद माना जाता है।
खूनी #बवासीर में मक्खन में मिश्री व नागकेशर मिलाकर खाना चाहिये।

#छाछ_पीने_के_फायदे  ( #Buttermilk ):-
छाछ पीने से #डिहाइड्रेशन से छुटकारा मिलता है
छाछ में इलेक्ट्रोलाइट्स पाए जाते हैं जो शरीर में गर्मी के कारण हो रही पानी की कमी को पूरा करते हैं। चूंकि छाछ अनेक पेय पदार्थों, जैसे दूध और दही से बनाया जाता है, इसलिए यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में सक्षम होता है।
गर्मी के मौसम में जब हम धूप में काम करते हैं तो हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
ऐसे में छाछ हमारी बहुत सहायता करता है।
*खाली पेट छाछ पीने के फायदे #पाचन क्रिया के लिए
छाछ में ऐसे बैक्टीरीया पाए जाते हैं जोकि पाचन क्रिया में सहायता देते हैं। इन बैक्टीरीया को प्रोबायोटिक कहते हैं। प्रोबायोटिक कोलोन व पाचन से संबंधित सभी अंगों के लिए फ़ायदेमंद होता है। ये बैक्टीरीया लैक्टोस को लैक्टिक ऐसिड में बदल देते हैं। ये भोजन से पोषक तत्वों की अवशोषण की दर को भी बढ़ा देते हैं।
#सनबर्न के लिए
गर्मियों के मौसम में हमें सनबर्न हो जाता है। त्वचा पर भयंकर जलन होती है और लाल धब्बे भी पड़ जाते हैं। सनबर्न से छुटकारा पाने के लिए छाछ में उसके बराबर ही टमाटर का जूस मिला दें। इसे सनबर्न हुई त्वचा पर लगाएँ। यह सनबर्न की समस्या को पूर्णत: खत्म कर देगा।
#छालों के उपचार में
शोधों से यह बात सिद्ध की गई है कि छाछ छालों का बेहतरीन इलाज करता है।
छाछ पेट में उत्पादित हुए एसिड्स को पेट में मौजूद भोजन के पाचन में लगा देता है।
इस प्रकार एसिड आंत में नहीं आ पाता जिससे की खट्टी डकारों की समस्या भी ख़त्म होती है।
छाछ जीईआरडी से पीड़ित लोगों के लिए एक बेहतरीन औषधि है क्योंकि यह ठंडा प्रभाव रखती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में
छाछ में लैक्टिक ऐसिड पाया जाता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है।
लैक्टिक ऐसिड भोजन में पाएँ जाने वाले हानिकारक बैक्टीरीया से लड़ने में सहायता करता है।
इस तरह यह शरीर को बीमारियों से दूर रखता है।
जो लोग मोटापे, मधुमेह या रक्तचाप की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें छाछ का प्रयोग करना चाहिए। छाछ में वसा और कैलोरी की मात्रा कम होती है। इस तरह यह मोटापे और मधुमेह से छुटकारा देता है। एक बात का विशेष खयाल रखें कि छाछ में नमक की ज़्यादा मात्रा न डालें।
अगर छाछ में आप ज़्यादा नमक डाल देते हैं तो उच्च रक्तचाप में यह नुक़सान कर सकता है।
छाछ में विटामिन बी काम्प्लेक्स व विटामिन डी पाया जाता है। ये दोनों विटामिन ही शरीर की रोगों से रक्षा करते हैं।विटामिन बी कॉम्प्लेक्स एनीमिया या रक्ताल्पता के लिए लाभदायक होता है। विटामिन डी शरीर में सूखा रोग पनपने नहीं देता।
*छाछ पीने के फायदे पेट के लिए
छाछ में लैक्टिक ऐसिड पाया जाता है जो पेट में हानिकारक जीवाणुओं को पेट में रुकने नहीं देता है। इस तरह ये पेट की सफ़ाई करता है।छाछ में काली मिर्च, लहसुन, अदरक व अन्य कई ऐसे तत्व मिलाए जाते हैं जो पेट की समस्याओं से राहत देते हैं। छाछ कब्ज व एसिडिटी से छुटकारा देता है।
*नियमित रूप से छाछ का सेवन करने से इर्रीटेबल बोवेल सिंड्रोम IBS, ग्रहणी, आँतों की समस्या, कोलोन कैन्सर आदि से बचा जा सकता है।
राइबोफ्लेविन से भरपूर हमारा शरीर राइबोफ्लेविन कि एक पर्याप्त मात्रा रखता है जो कि शरीर की अनेक क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है। छाछ में पाया जाने वाला राइबोफ्लेविन भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। ये राइबोफ्लेविन एंजाइम्स और हारमोन को स्रावित होने और उन्हें संतुलित रखने में सहायता करता है। इतना ही नहीं ये पाचन और लिवर के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद होता है। कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करना
अनेक आयुर्वेदिक ग्रंथों से यह बात में यह बात बतायी गई है कि #बटरमिल्क या छाछ कोलेस्टरॉल के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। छाछ में मिलाए जाने वाले अनेक तत्व जैसे अदरक, काली मिर्च आदि रक्त में कोलेस्टरॉल की मात्रा को बढ़ने से रोकते हैं।
इस प्रकार छाछ हृदय संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा देता है।
जिन लोगों के शरीर में फ़ाइबर की कमी होती है उन्हें भी क़ब्ज़ की समस्या होती है।
कब्ज़ से बचने के लिए नियमित रूप से छाछ का सेवन करना चाहिए। यह शरीर में फ़ाइबर की कमी को पूरा करता है। कोशिकाओं के विकास में सहायक
कोशिकाओं को बढ़ने और विकास करने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
यदि शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाए तो दुबलापन, कमज़ोरी और अन्य कई समस्याएं हो जाती है अतः शरीर में प्रोटीन का होना अति आवश्यक है।
छाछ में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। यह कोशिकाओं को बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
वजन घटाने में मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए छाछ एक अच्छा डाइट प्लान हो सकता है। छाछ में वसा और कैलोरी नहीं पाए जाते हैं लेकिन फिर भी यह शरीर को पोषण और ऊर्जा देता है।
छाछ हमारी भूख की क्रेविंग को कम करता है जिससे हम जंक फ़ूड की तरफ़ आकर्षित नहीं होते हैं। इस तरह हम वज़न कम कर सकते हैं।
रक्तचाप नियंत्रित करना
अध्ययन से यह बात स्पष्ट हुई है कि छाछ में बायोऐक्टिव प्रोटीन्स पाए जाते हैं।
ये बायोऐक्टिव प्रोटीन्स कलेस्टरॉल को कम करते हैं। ये रक्त से हानिकारक कणों को निकाल देते हैं और रक्त की सांद्रता को कम करते हैं। रक्त की सांद्रता कम हो जाने से रक्त का प्रवाह नसों में नियमित बना रहता है और रक्तचाप की समस्या नहीं होती।
#देशी_घी_के_फायदे :-
घी- स्मृति, मेधा, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज, कफ और वसावर्धक है। यह वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है।' -चरक संहिता
हृदयरोग विशेषज्ञों के साथ मोटापे और दिल के रोगियों का सबसे अधिक गुस्सा घी पर ही उतरता है। आयुर्वेद में घी को औषधि माना गया है। इस सबसे प्राचीन सात्विक आहार से सर्वदोषों का निवारण होता है। वात और पित्त को शांत करने में सर्वश्रेष्ठ है साथ ही कफ भी संतुलित होता है। इससे स्वस्थ वसा प्राप्त होती है, जो लिवर और रोग प्रतिरोधक प्रणाली को ठीक रखने के लिए जरूरी है। घर का बना हुआ घी बाजार के मिलावटी घी से कहीं बेहतर होता है।
यह तो पूरा का पूरा सैचुरेटेड फैट है, कहते हुए आप इंकार में अपना सिर हिला रहे होंगे। जरा धीरज रखें। घी में उतने अवगुण नहीं हैं जितने गुण छिपे हुए हैं। यह सच है कि पॉलीअनसैचुरेटेड वसा को आग पर चढ़ाना अस्वास्थकर होता है, क्योंकि ऐसा करने से पैरॉक्साइड्स और अन्य फ्री रेडिकल्स निकलते हैं। इन पदार्थों की वजह से अनेक बीमारियां और समस्याएं पैदा होती हैं। इसका अर्थ यह भी है कि वनस्पतिजन्य सभी खाद्य तेलों स्वास्थ्य के लिए कमोबेश हानिकारक तो हैं ही। परन्तु फायदेमंद है घी...
घी का मामला थोड़ा जुदा है। वो इसलिए कि घी का स्मोकिंग पॉइंट दूसरी वसाओं की तुलना में बहुत अधिक है। यही वजह है कि पकाते समय आसानी से नहीं जलता। घी में स्थिर सेचुरेटेड बॉण्ड्स बहुत अधिक होते हैं जिससे फ्री रेडिकल्स निकलने की आशंका बहुत कम होती है। घी की छोटी फैटी एसिड की चेन को शरीर बहुत जल्दी पचा लेता है। अब तक आप बहुत उलझन में पड़ गए होंगे कि क्या वाकई घी इतना फायदेमंद है? अब तक तो सभी यही समझा रहे थे कि देशी घी ही रोगों की सबसे बड़ी जड़ है?
कोलेस्ट्रॉल कम होता है
घी पर हुए शोध बताते हैं कि इससे रक्त और आंतों में मौजूद कोलेस्ट्रॉल कम होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि घी से बाइलरी लिपिड का स्राव बढ़ जाता है। घी नाड़ी प्रणाली एवं मस्तिष्क के लिए भी श्रेष्ठ औषधि माना गया है। इससे आंखों पर पड़ने वाला दबाव कम होता है, इसलिए ग्लूकोमा के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है। हो सकता है इस जानकारी ने आपको आश्चर्य में डाल दिया हो।
क्या रखें सावधानियां
#भैंस के दूध के मुकाबले #गाय के दूध (देशी गाय #Bos_Indicus ) में वसा की मात्रा कम होती है इसलिए शुरू में निराश न हों। हमेशा इतना बनाएं कि वह जल्दी ही खत्म हो जाए। अगले हफ्ते पुनः यही प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। गाय के दूध में सामान्य दूध की ही तरह ही प्रदूषण का असर हो सकता है, मसलन कीटनाशक और कृत्रिम खाद के अंश चारे के साथ गाय के पेट में जा सकते हैं। जैविक घी में इस तरह के प्रदूषण से बचने की कोशिश की जाती है। यदि संभव हो तो गाय के दूध में कीटनाशकों और रासायनिक खाद के अंश की जांच कराई जा सकती है।
घी खाएं या नहीं
यदि आप स्वस्थ हैं तो #घी_जरूर_खाएं देशी गाय या Bos Indicus का हो व उपरोक्त विधी से बना हो तो, यदि शारिरिक श्रम का कार्य करते हो तो भैंस का भी उपयोगी है।
क्योंकि यह मक्खन से अधिक सुरक्षित है। इसमें तेल से अधिक पोषक तत्व हैं। आपने पंजाब और हरियाणा के निवासियों को देखा होगा। वे टनों घी खाते हैं लेकिन सबसे अधिक फिट और मेहनती हैं। यद्यपि घी पर अभी और शोधों के नतीजे आने शेष हैं लेकिन प्राचीनकाल से ही आयुर्वेद में अल्सर, कब्ज, आंखों की बीमारियों के साथ त्वचा रोगों के इलाज के लिए घी का प्रयोग किया जाता है।
घी किन रोगों में उपयोगी है जाने...
*एक चम्मच शुद्ध घी, एक चम्मच पिसी शकर, चौथाई चम्मच पिसी कालीमिर्च तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाटकर गर्म मीठा दूध पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
*रात को सोते समय एक गिलास मीठे दूध में एक चम्मच घी डालकर पीने से शरीर की खुश्की और दुर्बलता दूर होती है, नींद गहरी आती है, हड्डी बलवान होती है और सुबह शौच साफ आता है।
*शीतकाल के दिनों में यह प्रयोग करने से शरीर में बलवीर्य बढ़ता है और दुबलापन दूर होता है।
*घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शकर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बांध लें।
*प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूंट-घूंट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।

🙏
डॉ. महेश कुमार दाधीच
प्रोफेसर, (द्रव्यगुण) आयुर्वेद,
एम.एस.एम. आयुर्वेद संस्थान, एवं
कुलसचिव (कार्यवाहक)
बीपीएस महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां, सोनीपत, हरियाणा (भारत)
एवं वनौषधि आयाम प्रमुख
आरोग्य भारती, हरियाणा प्रान्त तथा
फ़ेसबुक पेज एडमिन (आयुर्वेदा इन्फो) - https://www.facebook.com/Ayurvedainformation
(द्रव्यगुणं) - https://www.facebook.com/Dravyagunam

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