मंगलवार, 21 जुलाई 2020

कविता क्या hai? / धूमिल




*श्री हरेराम समीप की फेसबुक वाल से*
"कविता क्या है ?" धूमिल .

       
मित्रो! हिन्दी के आग्नेय व  क्रान्तिकारी कवि धूमिल की आज पैंतालिसवीं पुण्यतिथि है. उनकी काव्य यात्रा के विकास व समका ढह छमलीन काव्य-स्वर  को रेखांकित करते हुए प्रसिद्ध समालोचक डॉ. नामवर सिंह लिखते हैं, “किसी कवि की महानता का पता सिर्फ इससे चलता है कि उसमें जिंदगी के कितने व्यापक संदर्भों और प्रसंगों को घेरने की क्षमता है। उसमें अनुभव के कितने स्तरों को समेटने की शक्ति है। इस दृष्टि से वह महत्वपूर्ण हैं कि उन्होंने अपने दौर की कविता को भीड़ से निकाल जनतांत्रिक बनाया।” उन्हें आज स्मरण करते हुए उनकी कुछ बहुचर्चित कविता पंक्तियाँ पेश हैं, उम्मीद है आप इनके बहाने उन्हें पुनर्स्मरण करेंगे...

1
“ कविता क्या है ?
कोई पहनावा है?
कुरता पाजामा है ?
न भाई न
कविता शब्दों की अदालत में
मुजरिम के कटघरे में खड़े
बेकसूर आदमी का हलफनामा है.
क्या यह व्यक्तित्व चमकाने की,
खाने की चीज़ है
न भाई न
कविता भाषा में
आदमी होने की तमीज़ है”

2
रोटी और संसद
“एक आदमी रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूं
यह तीसरा आदमी कौन है
और मेरे देश की संसद मौन है…”

3
.....सुनसान गलियों से चोरों की तरह गुज़रते हुए
अपने-आप से सवाल करता हूँ –
क्या आज़ादी
सिर्फ़ तीन थके हुए रंगों का नाम है
जिन्हें एक पहिया ढोता है
या
इसका कोई खास मतलब होता है?
....


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