रविवार, 26 जुलाई 2020

दूध की क़ीमत


बहुत पहले की बात hai.एक दिन, एक गरीब लड़का जो घर-घर जाकर अपना सामान बेचता था, ताकि वह अपने स्कूल की फीस दे सके. एक दिन ऐसे ही जब वो काम पर निकला, तो बहोत घूमते-घूमते उसे भूख  लगने लगी. लेकिन आज जब उसने अपनी पोटली देखी तो उसमे कुछ भी नहीं था, शायद उसकी माँ उसे खाने का डिब्बा देना भूल गयी थी और उसे भूख  भी काफ़ी लगी हुई थी.

वो घर-घर सामान बेचने जाता और सोचता की यहाँ कुछ खाने के लिए मांग लू, पर उससे ये नहीं होता. दूसरे घर में जाकर भी वो कोशिश करता लेकिन उससे ये नहीं हो पाता. अंततः लड़के ने फैसला किया की अगले घर में जाकर खाने की बजाये पहले पानी के लिए पुछेंगा. जैसे ही उसने अगले घर का दरवाज़ा खटखटाया, एक औरत बाहर आई. उस औरत ने लड़के को देखते ही उसकी हालत का अंदाज़ा लगा लिया था. उस औरत ने उसके लिए एक बड़ा ग्लास भरके दूध लाया जिसे वह लड़का धीरे-धीरे पिने लगा. और पिने के बाद लड़के ने पूछा की, “इसके मुझे कितने पैसे आपको देने होंगे?” लेकिन उस औरत ने मुस्कुराते हुए कहा की, “किसी पर भी दयालुता दिखाने पर पैसे लेने नहीं चाहिए, इसलिए पैसे देने की कोई जरुरत नहीं है.”

आज उस लड़के को इंसानियत से परिचय हुआ. उस लड़के ने दिल से उस महिला को धन्यवाद दिया, और वहा से निकल गया.
जैसे ही उस लड़के ने वो घर छोड़ा, वो खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से और अधिक मजबूत महसूस कर रहा था. और भगवान् पर उसका विश्वास अब और भी ज्यादा बढ़ गया था.

बहुत साल बित गये, अब वो छोटा लड़का एक बड़ा डॉक्टर बन गया था और अपने पेशे को बड़ी ही सहजता से निभा रहा था. एक दिन उसके अस्पताल में एक औरत को लाया गया था, जिसकी हालत बहोत ही गंभीर थी.

जब डॉक्टर को पता चला की ये औरत उसके पुराने शहर की है, तो वो उसे देखने तुरंत गया. डॉक्टर ने जब उसे देखा तो वो उन्हें पहचान गया. ये वही औरत थी जिसने उसकी मदद की थी, और एक ग्लास दूध भी दिया था.
डॉक्टर ने पुरे जी जान से मेहनत की, और उस महिला के गंभीर स्वास्थ को भी ठीक कर दिया. उस महिला का बहोत ख्याल रखा गया और अंत में जब एक दिन वो पूरी तरह से ठीक हो गयी तो उन्हें छुट्टी दे दी गयी.
पर अब उस महिला को सबसे ज्यादा डर इस बात से लग रहा था की उसके इलाज का खर्चा बहोत ज्यादा हो गया होगा. वो इतने ज्यादा पैसे नहीं दे सकती थी.

बिल थामते ही उसने जब पढ़ा, तो उसपर लिखा था, “फीस का भुगतान बहोत पहले ही कर दिया गया था, एक ग्लास दूध से.”
ये पढ़ते ही उसकी आखो से आसू बाहर आने लगे और उसने अपनी नम आखो से भगवान् का दिल से शुक्रिया अदा किया. क्यों की आज उसे भी इंसानियत के दर्शन हो चुका था.

इसी तरह हमें भी अपने जीवन में लालच किये बिना दयावान बनकर, परोपकार करना चाहिये और एक दुसरे की मदद करनी चाहिये. तभी हम एक आदर्श राष्ट्र का निर्माण कर पाएंगे.

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