सोमवार, 26 मई 2014

चाय बेचने वाले से प्रधानमंत्री तक





प्रस्तुति- अखौरी प्रमोद, 

गुजरात के एक गुमनाम से रेलवे स्टेशन पर अपने पिता के साथ चाय बेचने वाले नरेन्द्र दामोदरदास मोदी 26 मई से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की बागडोर संभालेंगे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी सोमवार को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे. 17 सितंबर 1950 को तत्कालीन बंबई प्रांत में मेहसाणा (अब गुजरात का जिला) के वडनगर में दामोदरदास मूलचंदानी मोदी और हीराबेन की तीसरी संतान के रूप में जन्मे नरेन्द्र मोदी का बचपन निर्धनता के दौर में बीता. उन्होंने अपने पिता के साथ गुजरात के गुमनाम से शहर वडनगर में रेलवे स्टेशन चाय बेचकर परिवार के गुजर बसर में हाथ बंटाया. उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति लगन और मेहनत के बल पर ही राजनीति में एक अलग मुकाम बनाया. हालांकि उनके दामन पर गुजरात दंगों का जो दाग लगा है वो शायद ही कभी मिटे.
नरेन्द्र मोदी के तीन भाई और दो बहनें हैं. उनकी सगाई सिर्फ 13 साल की उम्र में तथा शादी 18 साल में उनके ही जिले के ब्रास्रणवाडा निवासी चिमनभाई मोदी की बेटी जशोदाबेन के साथ 1968 में हुई थी पर यह चल नहीं सकी. मोदी ने पत्नी और घर दोनों छोड़ कर 1971 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विधिवत सदस्यता स्वीकार कर ली. वह आपातकाल के दौरान भी सक्रिय रहे और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. मोदी की कुशल संगठन क्षमता से प्रभावित होकर उन्हें भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई में वर्ष 1988 में संगठन मंत्री बना दिया गया.
मोदी को पहली बार आडवाणी ने अपनी पहली रथ यात्रा के दौरान अहम जिम्मेदारी सौंपी थी और इस यात्रा के लिये सहसंयोजक नियुक्त किया था. वर्ष 1991 में भाजपा अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी की कन्याकुमारी से कश्मीर की एकता यात्रा के आयोजन में वह संयोजक बने. इसके बाद तो उनका राजनीतिक कद लगातार बढता चला गया. 1995 में मोदी भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री बन गये और वाजपेयी सरकार बनने के बाद महासचिव.
उनकी किस्मत ने बड़ी करवट सात अक्टूबर 2001 को ली जब वह तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के खराब स्वास्थ्य और कथित कमजोर प्रशासनिक प्रदर्शन के कारण गुजरात में सत्ता के शीर्ष पर पहुंच गये. पहली बार मुख्यमंत्री बने मोदी ने कथित कठोर छवि और गुजरात दंगों के आरोपों के बावजूद वर्ष 2002, 2007 और 2012 के चुनावों में लगातार जीत हासिल की.
भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की खुली नाराजगी के बावजूद भाजपा के गोवा अधिवेशन में जब मोदी की पिछले साल 13 सितंबर को पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में ताजपोशी हुई तो उन्हें संघ का भी भरपूर समर्थन मिला.
दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र के स्नातक रहे मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से एमए किया है. सोलहवीं लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश से मोदी ने अपनी लोकप्रियता से न केवल अपने विरोधियों बल्कि अपनों को भी अचंभित कर दिया. पहली बार भाजपा अपने बूते पर लोकसभा में बहुमत हासिल करने में कामयाब रही और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 335 सीटें हासिल हुईं.
एएम/आईबी (वार्ता)

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