प्रस्तुति- विवेकानंद, वर्षा उभले
भारतीय आमों के आयात पर प्रतिबंध के बाद ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में इस
पर बहस होने वाली है. 28 देशों के यूरोपीय संघ ने भारत से आम मंगाने पर रोक
लगा दी है, जिसकी काफी आलोचना हो रही है.
ब्रिटेन की संसद में अच्छा रुतबा रखने वाले भारतीय मूल के सांसद कीथ वाज ने
एलान किया, "हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर ने यूरोपीय संघ द्वारा भारत के
अलफांसो आमों पर लगाए गए प्रतिबंध पर बहस के लिए वक्त मुकर्रर किया है. यह
गुरुवार 8 मई को शाम करीब छह बजे होगी." वाज की पहल पर ही यह बहस हो रही
है.
यूरोपीय अधिकारियों को अंदेशा है कि भारत के अलफांसो आमों में ऐसे कीड़े
हैं, जो यूरोपीय सलाद की खेती नष्ट कर सकते हैं. इसी वजह से इस पर दिसंबर,
2015 तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह पाबंदी मई में लागू हुई है.
वाज ने कहा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि स्पीकर ने प्रतिबंध लगने
के साथ ही इस पर चर्चा की इजाजत दे दी है."
ब्रिटेन में भारतीय मूल की बहुत बड़ी आबादी रहती है और खान पान में दोनों संस्कृतियां एक दूसरे से घुल मिल गई हैं. ब्रिटेन हर साल भारत से करीब 29 लाख किलो आम का आयात करता है. यह कारोबार कोई सात अरब रुपये का है.
भारतीय कारोबारियों ने यूरोपीय संघ से अपील की है कि वे इस प्रतिबंध को हटा दें. भारतीय निर्यात संगठन एफआईईओ के अध्यक्ष रफीक अहमद का कहना है, "निर्यात के सभी वस्तुओं को टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजारा जा रहा है, ताकि किसी तरह की कमी न रह जाए." संघ का कहना है कि "फलों के राजा" अलफांसो आम के अलावा भारत से आने वाली चार सब्जियों में भी ऐसे कीड़े पाए गए हैं, जो यूरोपीय खेती को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
हालांकि भारतीय व्यापारियों का कहना है कि खाड़ी देशों और दूसरी जगहों पर भारतीय आम का निर्यात होता रहेगा.
भारत सरकार ने इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ के साथ चर्चा की है और आगे भी इस पर बात होगी. ब्रसेल्स स्थित भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आगाह किया है कि इससे भारत और यूरोपीय संघ के बीच रुकी हुई व्यापार वार्ता पर असर पड़ सकता है. यह बातचीत 2007 से चल रही है. चैंबर के महासचिव सुनील प्रसाद का कहना है, "इसकी कोई वैज्ञानिक वजह नहीं है." आम के अलावा करेला और भारतीय बैंगन पर भी पाबंदी लगाई गई है.
एजेए/एमजी (पीटीआई, एएफपी)
ब्रिटेन में भारतीय मूल की बहुत बड़ी आबादी रहती है और खान पान में दोनों संस्कृतियां एक दूसरे से घुल मिल गई हैं. ब्रिटेन हर साल भारत से करीब 29 लाख किलो आम का आयात करता है. यह कारोबार कोई सात अरब रुपये का है.
भारतीय कारोबारियों ने यूरोपीय संघ से अपील की है कि वे इस प्रतिबंध को हटा दें. भारतीय निर्यात संगठन एफआईईओ के अध्यक्ष रफीक अहमद का कहना है, "निर्यात के सभी वस्तुओं को टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजारा जा रहा है, ताकि किसी तरह की कमी न रह जाए." संघ का कहना है कि "फलों के राजा" अलफांसो आम के अलावा भारत से आने वाली चार सब्जियों में भी ऐसे कीड़े पाए गए हैं, जो यूरोपीय खेती को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
हालांकि भारतीय व्यापारियों का कहना है कि खाड़ी देशों और दूसरी जगहों पर भारतीय आम का निर्यात होता रहेगा.
भारत सरकार ने इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ के साथ चर्चा की है और आगे भी इस पर बात होगी. ब्रसेल्स स्थित भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आगाह किया है कि इससे भारत और यूरोपीय संघ के बीच रुकी हुई व्यापार वार्ता पर असर पड़ सकता है. यह बातचीत 2007 से चल रही है. चैंबर के महासचिव सुनील प्रसाद का कहना है, "इसकी कोई वैज्ञानिक वजह नहीं है." आम के अलावा करेला और भारतीय बैंगन पर भी पाबंदी लगाई गई है.
एजेए/एमजी (पीटीआई, एएफपी)
DW.DE
- तारीख 02.05.2014
- कीवर्ड भारत, आम, अलफांसो, निर्यात, ब्रिटेन
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