प्रस्तुति सजीली सहाय , शैली सिन्हा
महिलाओं की संख्या बढ़ाने का बढ़ता दबाव
आधी आबादी का दिन
जर्मन सेना में फिलहाल महिलाओं की संख्या 10 फीसदी है. 2001 से वे सेना के
किसी भी पोस्ट के लिए अप्लाई कर सकती हैं. लेकिन कई महिलाएं सेना में
एकीकरण को मुश्किल मानती हैं और काम करने के माहौल को प्रतिकूल.
हालिया सर्वे के मुताबिक जर्मन सेना
में काम करने वाली महिलाओं में से 57.3 फीसदी का मानना है कि मौका मिलने
पर वे अपनी नौकरी नए सिरे से चुनेंगी. ऐसा सोचने वाली महिलाओं की संख्या
2005 की तुलना में नौ फीसदी बढ़ी है.
ये नतीजे जर्मन रक्षा मंत्रालय के एक शोध के दौरान सामने आए हैं. सैन्य इतिहास और समाज विज्ञान केंद्र ने यह सर्वे 2011 में जर्मन सेना के 5,000 सदस्यों के बीच किया था. इसमें जो मुख्य सवाल पूछे गए उनमें एक था कि सेना में महिलाएं कितनी आसानी से घुल मिल जाती हैं और क्या पुरुष सैनिक और अधिकारी उन्हें स्वीकार कर लेते हैं. साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या वह यौन शोषण का आसान शिकार हो सकती हैं और उनके लिए करियर के कौन से मौके हैं?
नकारात्मक छवि
प्रोजेक्ट प्रमुख और शोध के लेखक गेरहार्ड कुमेल का कहना है कि नतीजा अनिश्चित रहा. साथ ही उनका यह भी कहना है कि घुलने मिलने के मुद्दे पर विश्लेषण खराब हुआ है. सर्वे में शामिल पुरुषों में से 34 फीसदी का मानना है कि महिलाएं फील्ड में कठोर हालात के अनुकूल नहीं होतीं. 2005 में सिर्फ 28 फीसदी ही ऐसा मानते थे. सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा पुरुषों का मानना था कि महिलाएं शारीरिक चुनौती वाली गतिविधि नहीं कर सकतीं. वहीं 77 फीसदी का मानना है कि सेना में पुरुष महिलाओं के साथ अच्छे से काम कर सकते हैं. आधे से ज्यादा पुरुष मानते हैं कि महिलाओं का मूल्यांकन सकारात्मक रूप से किया जाता है और उन्हें प्राथमिकता दी जाती है. हालांकि महिलाओं में घुलने मिलने और अच्छा प्रदर्शन करने की इच्छा बहुत ज्यादा है. 88 फीसदी का मानना है कि सेना के सभी क्षेत्र महिलाओं के लिए खुलने चाहिए. जबकि 40 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि महिलाओं को युद्ध में नहीं भेजा जाना चाहिए.
यौन शोषण का मुद्दा
सेना में काम के दौरान यौन शोषण के सवाल पर काफी बड़ा अंतर देखा गया. हर दूसरी महिला अधिकारी का दावा था कि काम के दौरान उनका यौन शोषण हआ है. चाहे वह चुटकुलों के तौर पर, पोर्नोग्राफी या फिर अनैच्छिक शारीरिक संपर्क, यौन दुर्व्यवहार या फिर बलात्कार हो. लेकिन इनकी शिकायत सिर्फ तीन फीसदी महिलाओं ने की. वहीं पुरुषों ने ऐसे किसी भी अनुभव से इनकार किया. काम और घर में संतुलन के मुद्दे पर मतभेद काफी कम थे. महिला और पुरुष, दोनों ने ही इस मुद्दे पर असंतोष जताया. 2011 के सर्वे में शामिल आधे लोगों का कहना था कि सैन्य सेवा और परिवार में आसानी से संतुलन बिठाया जा सकता है. वहीं दोनों ने ही यह भी माना कि काम के कारण उनके पारिवारिक संबंधों में मुश्किल आ रही है.
सुधार की उम्मीद
फॉन डेय लायेन चाहती हैं कि महिलाओं के लिए भी सेना में ज्यादा मौके बनें. उन्होंने कहा है कि महिला सैनिकों की संख्या बढ़ने से जर्मन सेना को फायदा होगा. शोध के बारे में उन्होंने कहा कि वे सर्वे के नतीजे ध्यान से देखेंगी और उन्हें सुधारों के लिए इस्तेमाल करेंगी. उन्होंने कहा, "जर्मन सेना को सक्षम लोगों की जरूरत है और ये महिला और पुरुष दोनों हैं."
जर्मन सेना में महिलाओं की सबसे ज्यादा, 40 फीसदी संख्या चिकित्सा में हैं. बाकी क्षेत्रों में उनका आंकड़ा 10 प्रतिशत से थोड़ा ही ज्यादा है. हालांकि पिछले साल सेना में आवेदन करने वाले कुल लोगों में 14 प्रतिशत महिलाएं थीं. 2013 में 18,000 महिलाएं जर्मन सेना में थी, जो कुल भर्ती का 10 फीसदी है. 2001 में जो महिलाएं सेना में भर्ती हुई, उनमें से कुछ को पिछले साल नेतृत्व भी दिया गया.
रिपोर्टः बेटीना मार्क्स/एएम
संपादन: ईशा भाटिया
ये नतीजे जर्मन रक्षा मंत्रालय के एक शोध के दौरान सामने आए हैं. सैन्य इतिहास और समाज विज्ञान केंद्र ने यह सर्वे 2011 में जर्मन सेना के 5,000 सदस्यों के बीच किया था. इसमें जो मुख्य सवाल पूछे गए उनमें एक था कि सेना में महिलाएं कितनी आसानी से घुल मिल जाती हैं और क्या पुरुष सैनिक और अधिकारी उन्हें स्वीकार कर लेते हैं. साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या वह यौन शोषण का आसान शिकार हो सकती हैं और उनके लिए करियर के कौन से मौके हैं?
नकारात्मक छवि
प्रोजेक्ट प्रमुख और शोध के लेखक गेरहार्ड कुमेल का कहना है कि नतीजा अनिश्चित रहा. साथ ही उनका यह भी कहना है कि घुलने मिलने के मुद्दे पर विश्लेषण खराब हुआ है. सर्वे में शामिल पुरुषों में से 34 फीसदी का मानना है कि महिलाएं फील्ड में कठोर हालात के अनुकूल नहीं होतीं. 2005 में सिर्फ 28 फीसदी ही ऐसा मानते थे. सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा पुरुषों का मानना था कि महिलाएं शारीरिक चुनौती वाली गतिविधि नहीं कर सकतीं. वहीं 77 फीसदी का मानना है कि सेना में पुरुष महिलाओं के साथ अच्छे से काम कर सकते हैं. आधे से ज्यादा पुरुष मानते हैं कि महिलाओं का मूल्यांकन सकारात्मक रूप से किया जाता है और उन्हें प्राथमिकता दी जाती है. हालांकि महिलाओं में घुलने मिलने और अच्छा प्रदर्शन करने की इच्छा बहुत ज्यादा है. 88 फीसदी का मानना है कि सेना के सभी क्षेत्र महिलाओं के लिए खुलने चाहिए. जबकि 40 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि महिलाओं को युद्ध में नहीं भेजा जाना चाहिए.
यौन शोषण का मुद्दा
सेना में काम के दौरान यौन शोषण के सवाल पर काफी बड़ा अंतर देखा गया. हर दूसरी महिला अधिकारी का दावा था कि काम के दौरान उनका यौन शोषण हआ है. चाहे वह चुटकुलों के तौर पर, पोर्नोग्राफी या फिर अनैच्छिक शारीरिक संपर्क, यौन दुर्व्यवहार या फिर बलात्कार हो. लेकिन इनकी शिकायत सिर्फ तीन फीसदी महिलाओं ने की. वहीं पुरुषों ने ऐसे किसी भी अनुभव से इनकार किया. काम और घर में संतुलन के मुद्दे पर मतभेद काफी कम थे. महिला और पुरुष, दोनों ने ही इस मुद्दे पर असंतोष जताया. 2011 के सर्वे में शामिल आधे लोगों का कहना था कि सैन्य सेवा और परिवार में आसानी से संतुलन बिठाया जा सकता है. वहीं दोनों ने ही यह भी माना कि काम के कारण उनके पारिवारिक संबंधों में मुश्किल आ रही है.
2013 में 18,000 महिलाएं जर्मन सेना में थी
क्रिसमस से पहले जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लायेन ने सेना और
परिवार में ज्यादा तालमेल लाने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि वे सेना को
उन लोगों के लिए भी आकर्षक बनाना चाहती हैं. इसमें बच्चों की देख रेख की
सुविधाएं और पार्ट टाइम काम के मौके बढ़ाना भी शामिल हैं.सुधार की उम्मीद
फॉन डेय लायेन चाहती हैं कि महिलाओं के लिए भी सेना में ज्यादा मौके बनें. उन्होंने कहा है कि महिला सैनिकों की संख्या बढ़ने से जर्मन सेना को फायदा होगा. शोध के बारे में उन्होंने कहा कि वे सर्वे के नतीजे ध्यान से देखेंगी और उन्हें सुधारों के लिए इस्तेमाल करेंगी. उन्होंने कहा, "जर्मन सेना को सक्षम लोगों की जरूरत है और ये महिला और पुरुष दोनों हैं."
जर्मन सेना में महिलाओं की सबसे ज्यादा, 40 फीसदी संख्या चिकित्सा में हैं. बाकी क्षेत्रों में उनका आंकड़ा 10 प्रतिशत से थोड़ा ही ज्यादा है. हालांकि पिछले साल सेना में आवेदन करने वाले कुल लोगों में 14 प्रतिशत महिलाएं थीं. 2013 में 18,000 महिलाएं जर्मन सेना में थी, जो कुल भर्ती का 10 फीसदी है. 2001 में जो महिलाएं सेना में भर्ती हुई, उनमें से कुछ को पिछले साल नेतृत्व भी दिया गया.
रिपोर्टः बेटीना मार्क्स/एएम
संपादन: ईशा भाटिया
DW.DE
सेना तैनाती पर मैर्केल करजई बातचीत
अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सेना के मिशन के खत्म होने के बाद भी जर्मनी वहां शांति स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका देख रहा है. इस मुद्दे पर चांसलर अंगेला मर्केल और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने बात की. (16.01.2014)- तारीख 27.01.2014
- रिपोर्ट Abha Mondhe
- कीवर्ड Bundeswehr, army, women, female soldiers
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