शुक्रवार, 2 मई 2014

साधू या योगाचार्य रामदेव





प्रस्तुति- मनीषा यादव, प्रतिमा यादव

http://hi.wikipedia.org/s/962

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
स्वामी रामदेव
Baba Ramdev 1529.jpg
जन्म रामकृष्ण
११ जनवरी १९७१[1]
अली सैयदपुर, जिला-महेन्द्रगढ़, हरियाणा, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय क्रान्तिकारी योद्धा सन्यासी
प्रसिद्धि कारण योग, प्राणायाम व राजनीति
धार्मिक मान्यता हिन्दू
स्वामी रामदेव एक भारतीय योग-गुरु हैं, जिन्हें अधिकांश लोग बाबा रामदेव के नाम से ही जानते हैं। उन्होंने आम आदमी को योगासनप्राणायाम की सरल विधियाँ बताकर योग के क्षेत्र में एक अद्भुत क्रांति की है। रामदेव जगह-जगह स्वयं जाकर योग-शिविरों का आयोजन करते हैं, जिनमें प्राय: हर सम्प्रदाय के लोग आते हैं। रामदेव अब तक देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योग सिखा चुके हैं।[2] भारत से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये अष्टांग योग के माध्यम से जो देशव्यापी जन-जागरण अभियान इस सन्यासी वेशधारी क्रान्तिकारी योद्धा ने प्रारम्भ किया, उसका सर्वत्र स्वागत हुआ[3]

जीवन चरित्र

भारत में हरियाणा राज्य के महेन्द्रगढ जनपद स्थित अली सैयद्पुर नामक एक साधारण से गाँव में ११ जनवरी १९७१[1] को गुलाबो देवी एवम् रामनिवास यादव के घर जन्मे रामदेव का वास्तविक नाम रामकृष्ण था। बालक रामकृष्ण जब ९ वर्ष का था,कमरे में लगे क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' व स्वतन्त्रता-सेनानी सुभाषचन्द्र बोस के चित्र टकटकी लगाकर घण्टों देखता और मन में विचार किया करता कि जब ये अपने पुरुषार्थ से युवकों के आदर्श बन सकते हैं तो वह क्यों नहीं बन सकता? इसका खुलासा २० फरवरी २०११ को बेडिया कम्युनिटी हाल डिब्रूगढ असम में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में बाबा रामदेव ने स्वयं किया था। बचपन में जागृत वह क्रान्तिकारी स्वरूप बाबा के आचरण में आज प्रत्यक्ष सबको दिखायी दे रहा है।
समीपवर्ती गाँव शहजादपुर के सरकारी स्कूल से आठवीं कक्षा तक पढाई पूरी करने के बाद रामकृष्ण ने खानपुर गाँव के एक गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्नयोगाचार्य बल्देवजी से संस्कृतयोग की शिक्षा ली। रामकृष्ण के रा, प्रद्युम्न के प्र तथा बलदेवजी के प्रथम व अन्तिम अक्षरों- बि के योग से जिस व्यक्ति का निर्माण हुआ उसे आज पूरा विश्व बाबा रामदेव के नाम से केवल जानता ही नहीं, उसकी बात को ध्यान से सुनता भी है। मन में कुछ कर गुजरने तमन्ना लेकर इस नवयुवक ने स्वामी रामतीर्थ की भाँति अपने माता-पिता व बन्धु-वान्धवों को सदा सर्वदा के लिये छोड़ दिया। युवावस्था में ही सन्यास लेने का संकल्प किया और पहले वाला रामकृष्ण रामदेव के नये रूप में लोकप्रिय हुआ।
रामदेव ने सन् १९९५ से योग को लोकप्रिय और सर्वसुलभ बनाने के लिये अथक परिश्रम करना प्रारम्भ किया । कुछ समय तक कालवा गुरुकुल,जींद जाकर नि:शुल्क योग सिखाया तत्पश्चात् हिमालय की कन्दराओं में ध्यान और धारणा का अभ्यास करने निकल गये। वहाँ से सिद्धि प्राप्त कर प्राचीन पुस्तकों व पाण्डुलिपियों का अध्ययन करने हरिद्वार आकर कनखल में स्थित स्वामी शंकरदेव के कृपालु बाग आश्रम में रहने लगे। आस्था चैनल पर योग का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिये माधवकान्त मिश्र को किसी योगाचार्य को खोजते हुए हरिद्वार पहुँचे जहाँ बाबा रामदेव अपने सहयोगी आचार्य कर्मवीर के साथ गंगा-तट पर योग सिखाते थे। माधवकान्त मिश्र ने बाबा रामदेव के सामने अपना प्रस्ताव रखा। सच भी है जब किसी व्यक्ति की निष्काम कर्म में पूर्ण आस्था हो तो परमात्मा भी किसी न किसी को सहयोग करने भेज ही देता है। आस्था चैनल पर आते ही बाबा रामदेव की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढने लगी।
इसके बाद इस युवा सन्यासी ने कृपालु बाग आश्रम में रहते हुए स्वामी शंकरदेव के आशीर्वाद, आचार्य बालकृष्ण के सहयोग तथा स्वामी मुक्तानन्द जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों के संरक्षण में दिव्य योग मन्दिर ट्रस्ट की स्थापना कर डाली। आचार्य बालकृष्ण के साथ उन्होंने अगले ही वर्ष सन् १९९६ में दिव्य फार्मेसी के नाम से आयुर्वैदिक औषधियों का निर्माण-कार्य भी प्रारम्भ कर दिया। तभी संयोग से एक चमत्कार और हुआ। अरविन्द घोष की मूल बँगला पुस्तक यौगिक साधन हिन्दी में छपकर पुस्तकालय में आ गयी। बाबा रामदेव ने इस छोटी-सी ३६ पन्ने की पुस्तक को पढा और मन में संकल्प सिद्ध करके योग-साधना व योग-चिकित्सा-शिविरों के माध्यम से योग व आयुर्वेदिक क्रान्ति का ऐसा शंखनाद बिस्मिल व बोस जन्मशती वर्ष-१९९७ में किया कि वह सचमुच महाभारत के पांचजन्य का उद्घोष हो गया।
स्वामी रामदेव ने सन् २००३ से योग सन्देश पत्रिका का प्रकाशन भी प्रारम्भ कर दिया जो आज ११ भाषाओं में प्रकाशित होकर एक कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है। विगत २० वर्षों से स्वदेशी जागरण अभियान में जुटे राजीव दीक्षित को बाबा रामदेव ने ९ जनवरी २००९ को एक नये राष्ट्रीय प्रकल्प भारत स्वाभिमान न्यास का उत्तरदायित्व सौंपा।
१८९७ के प्रथम भारतीय स्वातन्त्र्य समर में ८० वर्षीय रणबाँकुरे कुंवर सिंह जिस प्रकार अपना बायाँ हाथ क्षतिग्रस्त होने पर अपनी ही तलवार से काट गंगा को भेंट कर युद्ध लड़्ते रहे, उसी प्रकार बाबा रामदेव भी अपनी आँखों के समक्ष अपने ही लघु भ्राता का दाह-संस्कार गंगा के तट पर करके फिर उसी जोश से महाभारत- निर्माण के इस धर्म-युद्ध में दिन-रात क्रांति की मशाल लेकर जुटे हुए हैं।

स्वामी रामदेव के प्रमुख कार्य


हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट
रामदेव ने सन् २००६ में महर्षि दयानन्द ग्राम, हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के अतिरिक्त अत्याधुनिक औषधि निर्माण इकाई पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड नाम के दो सेवा प्रकल्प स्थापित किये। इन सेवा-प्रकल्पों के माध्यम से बाबा रामदेव योग, प्राणायाम, अध्यात्म आदि के साथ-साथ वैदिक शिक्षा व आयुर्वेद का भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
उनके प्रवचन विभिन्न टी० वी० चैनलों जैसे आस्था, आस्था इण्टरनेशनल, जी-नेटवर्क, सहारा-वन तथा इण्डिया टी०वी० पर प्रसारित होते हैं। इतना ही नहीं,बाबा रामदेव को योग सिखाने के लिये कई देशों से बुलावा भी आता रहता है। अमेरिका, इंग्लैण्ड व चीन सहित् विश्व के १२० देशों की लगभग १०० करोड़ से अधिक जनता टी०वी० चैनलों के माध्यम से बाबा के क्रान्तिकारी कार्यक्रमों की प्रसंशक बन चुकी है और स्वास्थ्य-लाभ पाप्त कर रही है। रामदेव प्रत्येक समस्या का समाधान योग एवं प्राणायाम ही बतलाते हैं।
सम्पूर्ण भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के साथ-साथ एवं यहाँ के मेहनतकशों के खून-पसीने की गाढी कमाई को देश के राजनीतिक लुटेरों द्वारा विदेशी बैंकों में जमा करने के खिलाफ उन्होंने व्यापक जनान्दोलन छेड़ रखा है। इटली एवं स्विट्ज़रलैण्ड के बैंकों में जमा लगभग ४०० लाख करोड़ रुपये के "काले धन" को स्वदेश वापस लाने की माँग करते हुए बाबा ने आम जनता में जागृति लाने हेतु पूरे भारत की एक लाख किलोमीटर की यात्रा भी की। यात्रा के दौरान उन्होंने अभी अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की पुण्य-तिथि (२७ फरवरी २०११) को दिल्ली में भ्रष्टाचार के विरुद्ध विशाल रैली का आयोजन किया जिसमें भारी संख्या में देश की जागरुक जनता ने पहुँचकर उन्हें अपना समर्थन दिया और कई करोड़ लोगों के हस्ताक्षरयुक्त मेमोरेण्डम भी सौंपा जिसे बाबा ने उसी दिन राष्ट्रपति-सचिवालय तक पहुँचाया।

प्राणायाम,योगासन व व्यायाम

बाबा रामदेव अपने योग-शिविरों में निम्नलिखित आठ प्रकार के प्राणायाम सिखाते हैं- १- आभ्यन्तर, २-भस्त्रिका, ३-कपाल-भाति, ४-अनुलोम-विलोम, ५-बाह्य, ६-उज्जायी, ७-भ्रामरी और ८-उद्गीथ
  1. आभ्यन्तर प्राणायाम से प्राणवायु अर्थात् ऑक्सीजन को फेफड़ों में रोककर रक्त को शुद्ध करने का महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न होता है। जितनी देर तक ऑक्सीजन फेफडों में रहेगी उतनी ही अधिक कोशिकाओं का निर्माण होगा।
  2. भस्त्रिका प्राणायाम से साँस लेने की गति नियमित होती है। एक मिनट में १२ बार साँस लेने का अभ्यास सिद्ध कर लेने से कोई भी व्यक्ति १०० वर्ष तक जीवित रह सकता है।
  3. कपाल-भाति प्राणायाम में फेफड़ों से प्राणवायु को बाहर धकेलने का अभ्यास करवाया जाता है ऐसा करने से मानव शरीर रचना के सभी आन्तरिक अंग (इण्टरनल सॉफ्टवेयर) रोगमुक्त होते हैं तथा प्राणायाम करने वाले के मस्तक (कपाल) पर चमक (भाति) आ जाती है।
  4. अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दोनों छिद्रों में अदल-बदल कर साँस लेने का अभ्यास कराया जाता है। इससे व्यक्ति के शरीर का तापमान नियन्त्रित रहता है। अनुलोम-विलोम को नियमित करने से व्यक्ति को कभी बुखार हो ही नहीं सकता। जब हाथी जैसा महाकाय प्राणी एक बार के बुखार में मर जाता है। फिर मनुष्य की क्या औकात!
  5. बाह्य प्राणायाम में फेफड़ों से साँस को पूरी तरह बाहर निकाल कर ७ सेकेण्ड से २१ सेकेण्ड तक अन्दर न आने का अभ्यास कराया जाता है। बाह्य प्राणायाम नियमित करने वाले की हृदय-गति रुक भी जाये तो उसकी मृत्यु एक दम नहीं हो सकती,कुछ समय अवश्य लगेगा। जिन लोगों ने इतिहास का अध्ययन किया है उन्हें सम्भवत: यह जानकारी होगी कि सुप्रसिद्ध स्वतन्त्रता-सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल के डेथ-वारण्ट में स्पष्ट लिखा गया था-"टू बी हैंग्ड टिल डेथ।" क्योंकि अँग्रेज यह बात भली-भाँति जानते थे कि रामप्रसाद जेल में प्रतिदिन योगाभ्यास करते हैं अत: एक झटके में इनके प्राण निकलने वाले नहीं। सन् १९२७ के बाद सभी क्रान्तिकारियों के डेथ वारण्ट में यह वाक्य स्पष्ट रूप से लिखना अनिवार्य कर दिया गया।
  6. उज्जायी प्राणायाम में कण्ठ की नली से साँस को अन्दर खींचने का अभ्यास कराया जाता है। इसे प्रतिदिन नियमित करने वाले को कण्ठ का कोई भी रोग हो ही नहीं सकता। इससे स्वर मधुर हो जाता है व थॉयरायड नियन्त्रित रहता है।
  7. भ्रामरी प्राणायाम में दोनों कान को दोनों अँगूठों से पूरी तरह बन्द रखते हुए तर्जनी माथे पर, मध्यमा दोनों आँखों पर तथा अनामिका नाक के ऊपरी भाग पर रखी जाती हैं और अन्दर से ओ~म् कार की ध्वनि ओ~ओ~ओ~म् ऐसे निकाली जाती है जैसे कोई भ्रमर आवाज करता है। इसका निरन्तर अभ्यास करने वाला व्यक्ति अपने पूर्व जन्म के बारे में जान सकता है कि वह किस योनि में था। इससे ध्यान लगाने की शक्ति भी आती है।
  8. और अन्तिम उद्गीथ प्राणायाम सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इसमें आँखें बन्द करके ओ~म् कार की ध्वनि को इस प्रकार निकालते हैं कि ओम् के पहले अक्षर ओ तथा दूसरे अक्षर म् में तीनएक का अनुपात रहे, अर्थात यदि को २१ सेकेण्ड तक खींचना है तो म् को ७ सेकेण्ड लगने चाहिये। 'ओ' का उच्चारण करते समय होंठ खुले व 'म्' के उच्चारण में बन्द रहने चाहिये। इसका नियमित अभ्यास करने वाला आत्मा, जो प्रत्येक प्राणी में निवास करता है, परमात्मा से सीधा जुड़ जाता है। फिर चाहे कुछ भी हो जाये परमात्मा उसकी रक्षा करता ही है।

कलयुगी भीम प्रोफेसर राममूर्ति नायडू का एक दुर्लभ चित्र (साफा बाँधे बीच में खड़े हैं)
प्राणायाम के नियमित अभ्यास से व्यक्ति के प्राण अर्थात् जीवन का आयाम अर्थात विस्तार होता है। साइंस भी इस बात को सिद्ध कर चुका है कि सम्पूर्ण मानव शरीर कई लाख करोड़ (परन्तु मेरे विचार से दस शंख) कोशिकाओं से मिलकर बना है क्योंकि इससे बड़ी गिनती हमारे गणित-शास्त्र में नहीं है। ये कोशिकायें प्रतिपल नष्ट होती रहती हैं प्राणायाम से प्रत्येक कोशिका में प्राणवायु का योग अथवा सतत विस्तार होता रहता है जिससे नियमित प्राणायाम करने वाले का जीवन सुन्दर,सुखद व सुरक्षित रहता है। उसकी अकाल म्रृत्यु नहीं होती वह पूर्ण आयु को आराम से जीता है। उसके मन में कोई तनाव नहीं रहता,उसे नींद अच्छी आती है और वह कभी अकारण क्रोध नहीं करता,क्योंकि अकारण क्रोध करना ही तो सारे पापों व झगड़ों की जड़ है।
प्राणायाम के अतिरिक्त बाबा योगासनव्यायाम करने की सरल विधियाँ व उससे होने वाले लाभ को स्वयं करके समझाते हैं। जिस प्रकार मनुष्येतर प्राणी पशु-पक्षी कोई दवाई नहीं खाते,वे अपना इलाज विभिन्न प्रकार की शारीरिक मुद्राओं में थोड़ी देर तक स्थिर रहकर स्वयं कर लेते हैं। बाबा बड़ी सरलता से उन शारीरिक मुद्राओं में खड़े रहकर, बैठकर व लेटकर विभिन्न आसनों का अभिप्राय व उससे होने वाले लाभ समझाते हैं। प्राणायाम व आसनों के योग के बाद बारी आती है व्यायाम की। बाबा राममूर्ति दण्ड बैठक करके समझाते हैं कि इस प्रकार प्रतिदिन दण्ड-बैठक लगाने से शरीर वज्र के समान मजबूत हो जाता है। प्रोफेसर राममूर्ति नायडू दक्षिण भारत के विश्व-विख्यात पहलवान हुए हैं जिन्हें ब्रिटिश-काल में कलयुगी भीम की उपाधि दी गयी थी। उन्होंने व्यायाम की जो सबसे सरल विधि विकसित की उसे प्रोफेसर राममूर्ति की विधि के नाम से जाना जाता है।[4]

अनशन का अस्त्र

बाबा ने जब २७ फरवरी २०११ को रामलीला मैदान में जनसभा की थी तो उसमें प्राय: सभी विचारधाराओं के लोग शामिल हुए थे क्योंकि रामदेव ने कह दिया था कि जो भी उनके मुद्दों से सहमत हो वह आकर मंच से अपनी बात कह सकता है किसी के लिये कोई मनाही नहीं है। उस जनसभा में स्वामी अग्निवेश के साथ-साथ अन्ना हजारे भी पहुँचे थे और दोनों ने ही भ्रष्टाचार को जडमूल से उखाड फेंकने में बाबा को पूरा समर्थन प्रदान किया। उस दिन मंच पर बी०जे०पी० सहित (कांग्रेस को छोड) कई राजनीतिक दलों के लोग उपस्थित थे तब अन्ना हजारे ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि जिस मंच पर भारतीय जनता पार्टी के लोग मौजूद होंगे उस पर वह नहीं जायेंगे। उस दिन की सभा में अन्ना को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का प्रचार मिला और उनकी लोकप्रियता का ग्राफ उसी दिन से चढने लगा।
इसके बाद दिल्ली के जन्तर मन्तर पर ५ अप्रैल २०११ से अन्ना हजारे ने सत्याग्रह के साथ आमरण अनशन की घोषणा की जिसमें एक दिन के लिये बाबा रामदेव भी शामिल हुए। उसके पश्चात जन्तर मन्तर पर बढ रही अप्रत्याशित भीड को देख कर सरकार चिन्तित हुई और लोकपाल बिल लाने का आश्वासन देकर अन्ना का अनशन तुडवा दिया। जैसे ही अन्ना ने दिल्ली से प्रस्थान किया सरकार द्वारा लोकपाल कमेटी में शामिल लोगों के प्रति जनता में अविश्वास फैलाने का कुचक्र रचा जाने लगा और भ्रष्टाचार रूपी सार्वजनिक मुद्दे के सांप को लोकपाल के बिल में घुसा दिया गया।
बाबा रामदेव ने इस घटना से कोई सबक नहीं लिया और जोश में आकर ४ जून २०११ से दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे की तर्ज पर आमरण अनशन के साथ सत्याग्रह की घोषणा कर दी। १ जून २०११ को जैसे ही बाबा रामदेव दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरे सरकार के चार मन्त्रियों ने उन्हें वहीं रोककर वापस भेजने की रणनीति बनायी किन्तु बाबा उनके जाल में नहीं फँसे और अनशन स्थल पर अपने समर्थकों के साथ जा डटे। सरकार ने अनशन की घोषित तिथि से एक दिन पूर्व बाबा को एक आश्वासन देकर कि वे उनकी सभी माँगें मान लेंगे उनसे एक काउण्टर-गारण्टी का पत्र लिखवा लिया साथ ही यह भी स्पष्ठ कर दिया कि सरकार इस पत्र को सार्वजनिक नहीं करेगी केवल अपने रिकार्ड में सुरक्षित रखेगी।
४ जून २०११ को प्रात:काल सात बजे जैसे ही सत्याग्रह प्रारम्भ हुआ देश के कोने-कोने से भारी संख्या में स्त्री,पुरुष, बच्चे, बूढे सभी जत्थों के रूप में वहाँ पर जुटने लगे। दोपहर तक लगभग एक लाख सत्याग्रही आ चुके थे। बाबा ने टी०वी० चैनलों पर प्रात: आठ बजे ही घोषणा प्रचारित करवा दी थी कि अब यहाँ पर जगह नहीं है, सभी लोग अपने-अपने जिला मुख्यालय पर अनशन प्रारम्भ करें और जिलाधिकारी को भ्रष्टाचार समाप्त करने तथा विदेशों में जमा ४०० लाख करोड रुपये का काला धन स्वदेश वापस मँगाने व उसे राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करने की माँग का ग्यापन सौंपें।
लेकिन इस चेतावनी के वावजूद लोगों का रामलीला मैदान पहुँचना लगातार जारी था शाम ४ बजे तक यह संख्या डेढ लाख के करीब पहुँच चुकी थी। मीडिया के प्रचार के कारण बहुत से लोग तो अनशन स्थल पर फाइव स्टार होटल जैसी व्यवस्था को देखने पहुँचे थे जब कि वहाँ पर ऐसा कुछ भी न था। भीड बढती देख बाबा ने भी माइक से स्वयं भी यह घोषणा करनी प्रारम्भ कर दी थी कि आप लोगों ने जो समर्थन दिया है उसके लिये वे हृदय से सभी का धन्यवाद देते हैं। अब सबसे प्रार्थना है कि अपने-अपने घरों को वापस लौट जायें और यदि मन न माने तो घरों पर ही टी०वी० सेट्स् के सामने बैठकर जैसे योग करते हैं वैसे ही सत्याग्रह करते रहें। उनकी इस अपील पर लोग बाग घरों को वापस लौटने भी लगे थे।
दिन भर अनशन के साथ-साथ धर्मगुरुओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के व्याख्यानों का सिलसिला जारी था। पुलिस व्यवस्था चाक चौबन्द थी किसी भी सत्याग्रही को कोई असुविधा न पुलिस से थी न प्रशासन से,सभी सहयोग कर रहे थे। सायंकाल कपिल सिब्बल से बाबा ने फोन पर बात की और मंच से यह घोषणा की कि सरकार ने सभी माँगें मान ली हैं किन्तु जब तक उन्हें इस आशय का पत्र नहीं मिल जाता वे अनशन समाप्त नहीं करने वाले। साथ ही बाबा ने यह बात भी दोहरायी कि चूँकि इससे पूर्व सरकार ४ अप्रैल के अनशन में अन्ना के साथ कूटनीति चल चुकी है अत: वे उसके किसी झाँसे में आने वाले नहीं।
सारा कार्यक्रम लाइव टेलीकास्ट हो रहा था और रामलीला मैदान के सारे दृश्य सरकारी मशीनरी देख रही थी साथ ही साथ उधर जो कुछ सरकार की कार्यवाही चल रही थी उसकी पल-पल की खबर बाबा को भी मिल रही थी। सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने बाबा की इस घोषणा पर कडी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ३ जून २०११ का पत्र जारी कर दिया और बाबा पर उल्टा आरोप लगाया कि बाबा रामदेव लिखित आश्वासन के बावजूद अपना वचन भंग कर रहे हैं। इस पर बाबा ने प्रत्यारोप लगाया कि पत्र को सार्वजनिक करके सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया अत: वे जिन्दगी भर कभी भी कपिल सिब्बल से कोई बात नहीं करेंगे। बस यहीं से सरकार और बाबा में आर-पार की ठन गयी।

रामलीला मैदान

रामदेव और उनके साथी सत्याग्रही दिन भर की गर्मी और भूख से शिथिल होकर रामलीला मैदान में पुलिस के साये में अपने को पूरी तरह से सुरक्षित मानकर गहरी निद्रा में सोये हुए थे मीडिया कर्मी भी अपने-अपने साजो-सामान के साथ वहीं सो रहे थे कि रात के अँधेरे में सरकारी आदेश पाकर बहुत बडी संख्या में रिजर्व पुलिस फोर्स व रैपिड ऐक्शन फोर्स के अधिकारी एवम् सिपाही भूखे भेडिये की तरह सत्याग्रहियों पर बुरी तरह टूट पडे और उन पर लाठी चार्ज करके उन्हें रामलीला मैदान से बाहर खदेडने लगे। आधी रात चीख पुकार सुन कर मीडिया कर्मी भी हडबडाहट में उठ बैठे और उन्होंने अपने-अपने कैमरे ऑन कर दिये। पुलिस शायद इस गलतफहमी में थी कि आधी रात गये वहाँ कौन होगा जो उनकी इस बर्बरता पूर्ण कार्रवाई को रिकार्ड करने आयेगा। छीना झपटी में कई के कैमरे टूटे, कईयों के हाथ पैर टूटे और जो बाकी बचे उनके हौंसले टूटे। परन्तु फिर भी मीडिया कर्मी नौजवान डटे रहे, हटे नहीं।
बाबा रामदेव पण्डाल में बने विशालकाय मंच पर अपने सहयोगियों के साथ सो रहे थे चीख-पुकार सुनकर वे मंच से नीचे कूद पडे और अपने समर्थकों के कन्धों पर चढकर भीड में घुस गये। बाबा अपने समर्थकों से शान्ति बनाये रखने के साथ-साथ पुलिस से यह प्रार्थना करने लगे कि इन निहत्थे लोगों को मत पीटें उन्हें गिरफ्तार कर लें; वे गिरफ्तारी देने को तैयार हैं। लेकिन वहाँ सुन कौन रहा था पुलिस कर्मी तो हाई कमान के आदेश से बँधे हुए थे। बाबा को जब ये प्रत्यक्ष दिखने लगा कि ये हैवान उनकी भी जान ले लेंगे तो वे भीड से बचकर मंच के बाईं ओर महिलाओं के झुण्ड में जा छिपे। पुलिस को ऐसा लगा कि बाबा मंच के नीचे घुस गया है अत: उन्होंने मंच को निशाना बनाकर कई राउण्ड आँसू गैस के गोले भी दागे जिससे मंच के चारो ओर लगे पर्दो में आग लग गयी। बाबा के कपडे बुरी तरह फट चुके थे वह किसी महिला कार्यकर्ता की सलवार कमीज पहन दुपट्टे में मुँह छिपाकर महिलाओं के झुण्ड में शामिल होकर पण्डाल से बाहर निकल गया था जबकि पुलिस, मीडिया कर्मी और बाबा के सहयोगी उन्हें पण्डाल और मंच के पीछे बने वी०आई०पी० शिविर में तलाश रहे थे।
५ जून २०११ को सुबह १० बजे तक बाबा को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म रहा। यह सिलसिला दोपहर तब जाकर रुका जब बाबा ने हरिद्वार पहुँचने के बाद पतंजलि योगपीठ में एक प्रेस कान्फ्रेन्स करके अपने सुरक्षित बच निकलने की पूरी कहानी अपनी जुबानी मीडिया के माध्यम से पूरे विश्व को सुनायी और पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से ही अपना आमरण अनशन जारी रखने की घोषणा की।

राजबाला की मृत्यु

कांग्रेस पार्टी की ओर से उनके महासचिव दिग्विजय सिंह का वक्तव्य आया कि रामदेव सबसे बडा ठग है जिसने भोली भाली जनता को योग के नाम पर लूट-लूट कर ११०० करोड का कारोवार खडा कर लिया है उसका साथी बालकृष्ण नैपाली नागरिक है जिसने झूठा शपथ-पत्र देकर पासपोर्ट बनवाया है। उन्होंने धमकी भरे अन्दाज में कहा कि काँग्रेस के पास इन सबकी जन्म-कुन्डली है और ये सबके सब बहुत शीघ्र ही सीखचों के अन्दर जाने वाले हैं। इस पर अन्ना हजारे ने अगले ही दिन राजघाट पर एक दिन की सांकेतिक सत्याग्रह की घोषणा की जिसमें हजारों की संख्या में सभी वर्गों के लोग एकत्र हुए। अन्ना हजारे ने कहा सिर्फ गोली ही तो नहीं चली वरना रामलीला और जलियांवाला बाग नरसंहार में क्या फर्क है?[5] उन्होंने अगले १६ अगस्त से दूसरी आजादी के लिये सत्याग्रह प्रारम्भ करने की घोषणा भी कर दी। इस सबसे हटकर जो बयान प्रधान मन्त्री मनमोहन सिंह का आया उसने तो सरकार की रही सही कसर ही पूरी कर दी। मनमोहन सिंह ने कहा कि जिस प्रकार दिल्ली में लगातार भीड बढती जा रही थी उसे देखते हुए रातों-रात बल प्रयोग से रामलीला मैदान खाली करवाने के अतिरिक्त और कोई चारा ही न था।
सभी राजनीतिक दलों ने, जिनमें भाजपा के अतिरिक्त समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी शामिल थे, अपने-अपने वक्तव्यों से सरकार पर प्रहार किये। भारतीय जनता पार्टी ने ७-८ जून २०११ की रात में राजघाट पर रात्रि-जागरण करके अपनी सहानुभूति बाबा के प्रति दर्ज की। इसी बीच कांग्रेस का तत्काल वक्तव्य आया कि रामदेव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के एजेण्ट है और ये दोनों संस्थायें उसे सहायता पहुँचा रही हैं। काँग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी का कोई वक्तव्य नहीं आया जबकि ४ अप्रैल को अन्ना हजारे के अनशन पर बैठते ही वह सबसे अधिक चिन्तित दिखायी दी थीं।

प्रार्थना नहीं, अब रण होगा

बाबा रामदेव ने हरिद्वार में जब यह घोषणा की कि सरकार उनकी हत्या करने की योजना बना चुकी थी इसकी गुप्त जानकारी मिलते ही उन्होंने महिला वेश में रामलीला मैदान से निकल भागने का कार्यक्रम बनाया जिसमें उन्हें सफलता भी मिली। अब वे हरिद्वार में रहकर अपने समर्थकों को शस्त्र और शास्त्र दोनों का ही प्रशिक्षण देंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि उस रात यदि थोडे से भी प्रशिक्षित स्वयंसेवक उनके पास होते तो उनकी आँखों के सामने जो कुछ हुआ वह कभी भी न होता। बाबा के इस बयान पर गृह मन्त्री पी० चिदम्बरम् ने अपनी प्रतिक्रिया दी कि अगर बाबा ने ऐसा किया, तो कानून अपना काम करेगा। अपने समर्थकों के साथ अनशन पर बैठे बाबा रामदेव की जब हालत बिगडने लगी तो उन्हें देहरादून के हिमालयन इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेस में भर्ती कराया गया जहाँ ९ दिन तक अनशन के बाद उन्होंने अपने समर्थक सन्त महात्माओं व श्री श्री रवि शंकर के कहने पर अनशन तो समाप्त कर दिया परन्तु स्वदेशी आन्दोलन पूरे जोर शोर के साथ जारी रखने का अपना संकल्प पुन: दोहराया और कहा कि अब यदि उनकी हत्या होती है तो इसकी पूरी जिम्मेवारी कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी की होगी जिनके इशारे पर ४-५ जून २०११ को आधी रात के बाद सत्याग्रह के बावजूद दिल्ली के रामलीला मैदान में राक्षसी काण्ड हुआ।
३ जून २०१२ को बाबा रामदेव और अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर मजबूत जन लोकपाल के लिए और काले धन के विरोध में एक दिन का संयुक्त अनशन किया। काले धन को देश में लाने हेतु सरकार द्वारा कोई ठोस कदम न उठाये जाने पर ९ अगस्त २०१२ को बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान से अनिश्चित कालीन अनशन की शुरुआत की और १४ अगस्त २०१२ को फिरोज़शाह कोटला मैदान में घोषणा की कि उनकी भविष्य की रणनीति सरकार के रवैये पर निर्भर करेगी।

सम्मान एवं यश-प्रसार

  • न्यू यॉर्क,अमेरिका की संस्था नसाऊ काउण्टी ने योगऋषि स्वामी रामदेव को सम्मानित किया तथा ३० जून २००७ को स्वामी रामदेव दिवस के रूप में मनाया गया ।
  • न्यू जर्सी की सीनेट व जनरल असेम्बली द्वारा स्वामीजी को सम्मानित किया गया ।
  • ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में स्वामीजी का सम्मान किया गया ।
  • कलिंगा इन्स्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नॉलोजीभुवनेश्वर ने स्वामीजी को जनवरी २००७ में डी०लिट्०(योग) की मानद उपाधि प्रदान की गयी ।
  • बेरहामपुर विश्वविद्यालय द्वारा स्वामीजी को डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि प्रदान की ।
  • इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा लगातार दो वर्षों से तथा देश की अन्य शीर्ष पत्रिकाओं द्वारा स्वामीजी को देश के सबसे ऊँचे, असरदार, शक्तिशाली व प्रभावशाली ५० लोगों की सूची में सम्मिलित किया गया ।
  • एसोचैम द्वारा स्वामीजी को ग्लोबल नॉलेज मिलेनियम ऑनर सहित देश-विदेश की अनेक संस्थाओं व सरकारों ने भी प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किये हैं ।
  • राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति, आन्ध्रप्रदेश द्वारा स्वामीजी को महामहोपाध्याय की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया ।
  • ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय द्वारा स्वामीजी को ऑनरेरी डॉक्ट्रेट प्रदान की गयी ।
  • एमिटी यूनीवर्सिटी,नोएडा ने मार्च,२०१० में डी०एससी०(ऑनर्स) प्रदान की।
  • डी०वाई०पाटिल यूनीवर्सिटी द्वारा अप्रैल २०१० में डी०एससी०(ऑनर्स) इन योगा की उपाधि दी गयी।
  • जनवरी २०११ में महाराष्ट्र के राज्यपाल के० शंकरनारायण द्वारा चन्द्रशेखरानन्द सरस्वती अवार्ड प्रदान किया गया।

सन्दर्भ

  1. http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_7942145.htmlबाबा रामदेव ने भी गलत तथ्यों से बनवाया पासपोर्ट
  2. वनास मंजूषा २००९ वरिष्ठ नागरिक समाज (स्मारिका) पृष्ठ २०
  3. वनास मंजूषा २००९ वरिष्ठ नागरिक समाज (स्मारिका) पृष्ठ २१
  4. "आत्मकथा रामप्रसाद बिस्मिल प्रथम खण्ड-ब्रह्मचर्य व्रत का पालन". "सब व्यायामों में दण्ड-बैठक सर्वोत्तम है। जहाँ जी चाहा, व्यायाम कर लिया। यदि हो सके तो प्रोफेसर राममूर्ति की विधि से दण्ड-बैठक करें। प्रोफेसर साहब की विधि विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है। थोड़े समय में ही पर्याप्‍त परिश्रम हो जाता है।"
  5. "Anna to fast in support of Baba Ramdev". New Delhi: The Hindustan Times. June 5, 2011. अभिगमन तिथि: 6 June 2011.
  • वनास मंजूषा प्रकाशक:वरिष्ठ नागरिक समाज (पंजीकृत) ग्रेटर नोएडा पुस्तकालय, बीटा टू ग्रेटर नोएडा २०१३१० भारत

इन्हें भी देखें

बाह्य सूत्र

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