शुक्रवार, 2 मई 2014

इतिहास में आज: दो मई





प्रस्तुति-- रजनीश गोस्वामी, विपुल पांड़ेय

1902 में आज ही के दिन पहली साइंस फिक्शन फिल्म रिलीज हुई थी. फ्रेंच निदेशक जॉर्ज मेलिएस की बनाई इस फिल्म का नाम था "ए ट्रिप टू मून".
फ्रेंच भाषा में बनी इस मूक फिल्म का निर्देशन किया था जॉर्ज मेलिएस ने. यह फिल्म सिनेमा के इतिहास में साइंस फिक्शन फिल्मों की फेहरिस्त में पहले नंबर पर आती है. इसमें खगोलशास्त्रियों के एक समूह की कहानी दिखाई गई थी जो चांद की यात्रा पर जाते हैं. इनके पास तोप के गोलों की शक्ति से चलने वाला एक स्पेस कैप्सूल होता है जिससे वे चांद पर पहुंच कर उसकी सतह पर रिसर्च करते हैं.
लगभग सोलह मिनट की इस ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म को उस समय एक लंबी फिल्म माना गया था. बाद में फिल्म को हाथ से भरे हुए रंगों से सजी रंगीन फिल्म के रूप में भी बाजार में लाया गया. इसके अलावा फिल्म में चांद पर रहने वाले सेलेनाइट्स नाम के अंडरग्राउंड समूहों से टक्कर को भी बखूबी पेश किया गया. अपनी यात्रा के बाद खगोलशास्त्री अपने यान के साथ धरती पर समुद्र में उतर जाते हैं और आते समय अपने साथ चांद के एक निवासी सेलेनाइट को भी ले आते हैं.
निदेशक मेलिएस ने इसके अलावा भी सौ से ज्यादा फिल्में बनाईं लेकिन "ए ट्रिप टू मून" ने उनको सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई. सिनेमा के इतने लंबे इतिहास में आज भी इस फिल्म के उस सीन को याद किया जाता है जहां उन्होंने अपने यान को चांद पर उतरते हुए दिखाया था. सन 2002 में यह फिल्म यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज फिल्म का दर्जा पाने वाली पहली फिल्म बनी.

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