प्रस्तुति--शैलेन्द्र प्रजापति , संजय उपाध्याय
जर्मनी ने 2020 तक दस करोड़ इलेक्ट्रिक कारों को सड़कों पर लाने की योजना
बनाई है. ये कारें पर्यावरण के लिए तो अच्छी हैं, पर जेब पर खूब भारी पड़ती
हैं. मंथन के इस अंक में परखेंगे कि क्या लोग भविष्य की कार को स्वीकार
करेंगे.
जर्मनी की जानीमानी कंपनी फोल्क्सवागेन ने बाजार में अपनी इलेक्ट्रिक कार
उतार दी है. लेकिन अब तक बस दस हजार ही बिक पाई हैं. कार को लेकर कुछ सवाल
खड़े हो रहे हैं, जिनमें पहला है उसका पुरानी बैटरी पर आधारित होना और दूसरा उसकी कीमत जो लोगों को इसे खरीदने के लिए मंजूर नहीं कर पा रही है.
साथ ही मंथन के इस अंक में बात क्वाड्रोकॉप्टर की जिसका ड्रोन के रूप में भी इस्तेमाल होता है. जर्मनी के अलावा भारत में भी खास तौर से ट्रैफिक पुलिस लोगों पर नजर रखने के लिए इन्हें काम में ला रही है. लोग भी अपने शौक के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं, पर अगर ज्यादा ऊंचाई तक ले जाना चाहते हैं, तो इसके लिए लाइसेंस की जरूरत पड़ती है. एक जर्मन टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मॉडल हेलीकॉप्टरों को ऐसी तकनीक से लैस करने में लगे हैं कि प्राकृतिक आपदाओं में मदद मिल सके.
प्रकृति पर ध्यान की जरूरत
मंथन कार्यक्रम में शामिल है एक अन्य अहम रिपोर्ट जो कि आधारित है जैव विविधता और प्रकृति पर इसके प्रभाव पर. हमारी जैव विविधता छोटी छोटी बातों पर निर्भर है. केन्या में मीडा क्रीक लैगून में जब जरूरत से ज्यादा मछली मार ली गई, तो समस्या कई रूपों में सामने आई. मछलियां तो घट ही गईं, मूंगे की चट्टानों पर भी असर पड़ा और जाहिर है मछली मार कर गुजारा करने वाले लोगों के जीवन पर भी.
साथ ही मंथन के इस अंक में बात क्वाड्रोकॉप्टर की जिसका ड्रोन के रूप में भी इस्तेमाल होता है. जर्मनी के अलावा भारत में भी खास तौर से ट्रैफिक पुलिस लोगों पर नजर रखने के लिए इन्हें काम में ला रही है. लोग भी अपने शौक के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं, पर अगर ज्यादा ऊंचाई तक ले जाना चाहते हैं, तो इसके लिए लाइसेंस की जरूरत पड़ती है. एक जर्मन टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मॉडल हेलीकॉप्टरों को ऐसी तकनीक से लैस करने में लगे हैं कि प्राकृतिक आपदाओं में मदद मिल सके.
प्रकृति पर ध्यान की जरूरत
मंथन कार्यक्रम में शामिल है एक अन्य अहम रिपोर्ट जो कि आधारित है जैव विविधता और प्रकृति पर इसके प्रभाव पर. हमारी जैव विविधता छोटी छोटी बातों पर निर्भर है. केन्या में मीडा क्रीक लैगून में जब जरूरत से ज्यादा मछली मार ली गई, तो समस्या कई रूपों में सामने आई. मछलियां तो घट ही गईं, मूंगे की चट्टानों पर भी असर पड़ा और जाहिर है मछली मार कर गुजारा करने वाले लोगों के जीवन पर भी.
अच्छी जिंदगी के लिए शिक्षा जरूरी है. मछुआरों के बच्चे पुराने पेशे को
छोड़ अब पढ़ना चाहते हैं. यह जगह प्रवासी पंछियों का ठिकाना हुआ करती थी.
लेकिन अब उन्हें पहले की तरह खाना नहीं मिलता, इसलिए वे यहां नहीं आ रहे.
पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने इलाके की सुध ली है और अब इसे
फिर से बेहतर करने की कोशिश हो रही है.
एडवेंचर स्पोर्ट्स
माउंटेन क्लाइंबिंग या ट्रैकिंग एक जबरदस्त एडवेंचर है. जर्मनी का आल्पेन फेराइन दुनिया का सबसे बड़ा पर्वतारोही क्लब है. दस साल पहले जर्मनी में करीब दो लाख माउंटेन क्लाइंबर थे. और आज ये संख्या दोगुनी हो चुकी है. जर्मनी के सेक्सनी प्रदेश में एक पहाड़ी इलाका है, सेक्सन स्विट्जरलैंड. यहां करीब एक हजार ऊंची ऊंची चट्टानें हैं. उन पर चढ़ने दुनिया भर के लोग आते हैं. पहली बार इन चट्टानों पर आज से डेढ़ सौ साल पहले क्लाइंबिंग की गयी थी. मंथन में ले चलेंगे आपको इन्हीं चट्टानों पर.
एसएफ/ एएम
एडवेंचर स्पोर्ट्स
माउंटेन क्लाइंबिंग या ट्रैकिंग एक जबरदस्त एडवेंचर है. जर्मनी का आल्पेन फेराइन दुनिया का सबसे बड़ा पर्वतारोही क्लब है. दस साल पहले जर्मनी में करीब दो लाख माउंटेन क्लाइंबर थे. और आज ये संख्या दोगुनी हो चुकी है. जर्मनी के सेक्सनी प्रदेश में एक पहाड़ी इलाका है, सेक्सन स्विट्जरलैंड. यहां करीब एक हजार ऊंची ऊंची चट्टानें हैं. उन पर चढ़ने दुनिया भर के लोग आते हैं. पहली बार इन चट्टानों पर आज से डेढ़ सौ साल पहले क्लाइंबिंग की गयी थी. मंथन में ले चलेंगे आपको इन्हीं चट्टानों पर.
एसएफ/ एएम
DW.DE
- तारीख 30.04.2014
- कीवर्ड मंथन, भविष्य, कार, तकनीक, विज्ञान, सेहर, प्रकृति, पर्यावरण
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