प्रस्तुति- नलिन चौहान
Shahidi Diwas...........
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- Shivnath Jha Thanks for sharing thread Nalin Chauhan saheb
दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।
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