प्रस्तुति- बिनोद कोकट, रतन सेन भारती
अबूझमाड़ के अनगढ़ जंगलॊं मे एक ऐसी जनजाति निवास करती है जिसने आजतक अपनी मूल परंपरा और संस्कृति को सहेज कर रखा हुआ है । माड़िया जनजाति को मुख्यतः दो उपजातियों में बांटा गया है, अबुझ माड़िया और बाईसन होर्न माड़िया । अबुझ माड़िया अबुझमाड़ के पहाड़ी इलाको मे निवास करते है और बाईसन होर्न माड़िया इन्द्रावती नदी से लगे हुये मैदानी जंगलो में । बाईसन होर्न माड़िया को इस नाम से इसिलिये पुकारा जाता है, क्योंकि वे घोटूल मे और खास अवसरों में नाचने के दौरान बाईसन यानी की गौर के सींगो का मुकुट पहनते है ।
दोनो उपजातियो की संस्कृति काफ़ी हद तक मिलती जुलती है । ये दोनो ही बाहरी लोगों से मिलना जुलना पसंद नही करते लेकिन दोनो में अबुझ माड़िया ज्यादा आक्रमक हैं, वे बाहरी लोगों के अपने इलाके मे आने पर तीर कमान से हमला करना नही चूकते । जबकी बाईसन होर्न माड़िया बाहरी लोगो के आने पर ज्यादातर जंगलो मे भाग जाना पसंद करते है ।
अनुक्रम
स्वभाव
माड़िया लोग बेहद खुशमिजाज शराब के शौकीन और मसमुटिया होते है । मसमुटिया छत्तीसगढ़ का स्थानीय शब्द है जिसका मतलब बच्चे की तरह जल्दी नाराज होना और फ़िर तुरंत उसे भूल जाना होता है । माड़िया काकसार नाम के कुल देवता की अराधना करते हैं । अच्छी फ़सल के लिये ये अपने देवता के सम्मान मे शानदार न्रुत्य करते है । संगीत और नाच मे इनकी भव्यता देखने लायक होती है । ये बेहद कुशल शिकारी होते है और इनके पास गजब का साहस होता है । हमला होने पर यह बाघ जंगली भैसे या भालू से लोहा लेने मे नही हिचकते । ये बाघ का बेहद सम्मान करते है और अनावश्यक कभी बाघ का शिकार नही करते । यदी कोई बाघ का शिकार करने के इरादे से इनके इलाके मे जाय तो माड़िया उसे जिंदा नही छोड़ते । माड़िया लोग वचन देने पर उसे निभाने के लिये तत्पर रहते हैं ।घोटुल
माड़िया लोगो मे घोटुल परंपरा का पालन होता है जिसमे गांव के सभी कुंवारे लड़के लड़कियां शाम होने पर गांव के घॊटुल घर मे रहने जाते हैं । घॊटुल मे एक सिरदार होता है और एक कोटवार यह दोनो ही पद आम तौर पर बड़े कुवांरें लड़कों को दिया जाता है । सिरदार घॊटुल का प्रमुख होता है और कोटवार उसे वहां की व्यवस्था संभालने मे मदद करता है । सबसे पहले सारे लड़के घॊटुल मे प्रवेश करते हैं उसके बाद लड़कियां प्रवेश करती हैं । कोटवार सभी लड़कियों को अलग अलग लड़कों मे बाट देता है । कोई भी जोड़ा दो या तीन दिनो से उपर एक साथ नही रहता । इसके बाद लड़कियां लड़कों के बाल सवांरती है, और हाथो की मालिश करके उन्हे तरोताजा करती है । उसके बाद सभी घोटुल के बाहर नाचते हैं । नाच मे विवाहित औरते हिस्सा नही ले सकती लेकिन विवाहित पुरूष ले सकते हैं । आम तौर पर वे वाद्य बजाते हैं । नाच मे हर लड़के एक हाथ एक लड़की के कंधे पर और दूसरी के कमर पर होता है । यह आग के चारॊ ओर घेरा बना कर नाचते हैं । नृत्य के समय के साथ तेज होता जाता हैं ।गीत
"नृत्य के समय गाये जाने वाले एक गीत के बोल कुछ इस तरह के हैं"पिता अपने पुत्र से कहता है ।
किसी की बेटी के लिये उसकी सेवा मे मत जाना ।
और ना ही किसी अजनबी लड़की के प्यार मे पड़ना ।
मैं अपनी भैस और कुल्हाड़ी बेच कर भी ।
तुम्हारी दो दो शादियां कराउगां ।
फ़िर वह कहता है कि गांव के लोगो ।
यह मेरे बेटे की शादी का जश्न है ।
फ़िर वह थाली भरकर चावल और मांस डालता है ।
फ़िर वह उसमे मसाला डालता है ।
और साथ मे शराब देता है ।
और फ़िर लोगो से कहता है ।
आओ और पेट भरकर खाओ ।
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