शुक्रवार, 9 मई 2014

घोटुल / माड़िया जनजाति





प्रस्तुति- बिनोद कोकट, रतन सेन भारती

 

अबूझमाड़ के अनगढ़ जंगलॊं मे एक ऐसी जनजाति निवास करती है जिसने आजतक अपनी मूल परंपरा और संस्कृति को सहेज कर रखा हुआ है । माड़िया जनजाति को मुख्यतः दो उपजातियों में बांटा गया है, अबुझ माड़िया और बाईसन होर्न माड़िया । अबुझ माड़िया अबुझमाड़ के पहाड़ी इलाको मे निवास करते है और बाईसन होर्न माड़िया इन्द्रावती नदी से लगे हुये मैदानी जंगलो में । बाईसन होर्न माड़िया को इस नाम से इसिलिये पुकारा जाता है, क्योंकि वे घोटूल मे और खास अवसरों में नाचने के दौरान बाईसन यानी की गौर के सींगो का मुकुट पहनते है ।
दोनो उपजातियो की संस्कृति काफ़ी हद तक मिलती जुलती है । ये दोनो ही बाहरी लोगों से मिलना जुलना पसंद नही करते लेकिन दोनो में अबुझ माड़िया ज्यादा आक्रमक हैं, वे बाहरी लोगों के अपने इलाके मे आने पर तीर कमान से हमला करना नही चूकते । जबकी बाईसन होर्न माड़िया बाहरी लोगो के आने पर ज्यादातर जंगलो मे भाग जाना पसंद करते है ।

स्वभाव

माड़िया लोग बेहद खुशमिजाज शराब के शौकीन और मसमुटिया होते है । मसमुटिया छत्तीसगढ़ का स्थानीय शब्द है जिसका मतलब बच्चे की तरह जल्दी नाराज होना और फ़िर तुरंत उसे भूल जाना होता है । माड़िया काकसार नाम के कुल देवता की अराधना करते हैं । अच्छी फ़सल के लिये ये अपने देवता के सम्मान मे शानदार न्रुत्य करते है । संगीत और नाच मे इनकी भव्यता देखने लायक होती है । ये बेहद कुशल शिकारी होते है और इनके पास गजब का साहस होता है । हमला होने पर यह बाघ जंगली भैसे या भालू से लोहा लेने मे नही हिचकते । ये बाघ का बेहद सम्मान करते है और अनावश्यक कभी बाघ का शिकार नही करते । यदी कोई बाघ का शिकार करने के इरादे से इनके इलाके मे जाय तो माड़िया उसे जिंदा नही छोड़ते । माड़िया लोग वचन देने पर उसे निभाने के लिये तत्पर रहते हैं ।

घोटुल

माड़िया लोगो मे घोटुल परंपरा का पालन होता है जिसमे गांव के सभी कुंवारे लड़के लड़कियां शाम होने पर गांव के घॊटुल घर मे रहने जाते हैं । घॊटुल मे एक सिरदार होता है और एक कोटवार यह दोनो ही पद आम तौर पर बड़े कुवांरें लड़कों को दिया जाता है । सिरदार घॊटुल का प्रमुख होता है और कोटवार उसे वहां की व्यवस्था संभालने मे मदद करता है । सबसे पहले सारे लड़के घॊटुल मे प्रवेश करते हैं उसके बाद लड़कियां प्रवेश करती हैं । कोटवार सभी लड़कियों को अलग अलग लड़कों मे बाट देता है । कोई भी जोड़ा दो या तीन दिनो से उपर एक साथ नही रहता । इसके बाद लड़कियां लड़कों के बाल सवांरती है, और हाथो की मालिश करके उन्हे तरोताजा करती है । उसके बाद सभी घोटुल के बाहर नाचते हैं । नाच मे विवाहित औरते हिस्सा नही ले सकती लेकिन विवाहित पुरूष ले सकते हैं । आम तौर पर वे वाद्य बजाते हैं । नाच मे हर लड़के एक हाथ एक लड़की के कंधे पर और दूसरी के कमर पर होता है । यह आग के चारॊ ओर घेरा बना कर नाचते हैं । नृत्य के समय के साथ तेज होता जाता हैं ।

माड़िया नृत्य और साजसज्जा

गीत

"नृत्य के समय गाये जाने वाले एक गीत के बोल कुछ इस तरह के हैं"
पिता अपने पुत्र से कहता है ।
किसी की बेटी के लिये उसकी सेवा मे मत जाना ।
और ना ही किसी अजनबी लड़की के प्यार मे पड़ना ।
मैं अपनी भैस और कुल्हाड़ी बेच कर भी ।
तुम्हारी दो दो शादियां कराउगां ।
फ़िर वह कहता है कि गांव के लोगो ।
यह मेरे बेटे की शादी का जश्न है ।
फ़िर वह थाली भरकर चावल और मांस डालता है ।
फ़िर वह उसमे मसाला डालता है ।
और साथ मे शराब देता है ।
और फ़िर लोगो से कहता है ।
आओ और पेट भरकर खाओ ।

विवाह

जैसा कि इस गीत से स्पष्ट है माड़िया जनजाती मे विवाह के लिये लड़की की कीमत अदा करनी पड़ती है कीमत ना दे पाने की स्थिती मे लड़के को लड़की के पिता के घर कुछ समय तक काम करना पड़ता है यह अवधी तीन से सात वर्ष तक की हो सकती है । ऐसे विवाह के तय होने पर सेवा के प्रथम वर्ष जोड़े को शारीरिक संबध बनाने की छूट नही होती है, किंतु यदि लड़की की सहमति हो तो उसके बाद यह बंधन हट जाता है । माड़िया लोगों मे विवाह ही जीवन का सबसे बड़ा खर्च होता है । विवाह करने के लिये लड़की की कीमत दोनो पक्ष बैठ कर तय करते हैं । और वर पक्ष को यह कीमत चुकानी होती है ।

नवयुवकों व युवतियों द्वारा यौन संबध बनाने में छूट

माड़िया लोगों मे कुवांरे युवक युवतियों को शारीरिक संबंध बनाने की छूट होती है । घोटुल मे बड़ी उम्र के युवक युवतियां छोटी उम्र के युवक युवतियों को शारीरिक शिक्षा की सीख देते हैं । यहा पर विवाह की आपसी सहमती बन जाने पर युवक युवतियों को शादी करने के लिये परिवार वालों को बताना होता है । उनके राजी ना होने पर अक्सर वे जंगल भाग जाते हैं । लेकिन ऐसी शादी मे भी कीमत तो चुकानी ही पड़ती है । अबूझमाड़िया घोटुल मे लड़कियां रात मे नही सोती, लेकिन लड़के रात मे घोटुल मे ही रुकते हैं । लेकिन बाइसन हार्न माड़िया मे वे रात घोटुल मे ही बिताते है |

रीति रिवाज

माड़िया महिलायें अपने पति के साथ खाट पर नही सोती, और किसी उम्र से बड़े पुरुष के घर पर होने पर वह खाट पर नही बैठती । यदि माड़िया को बाघ उठाकर ले जाय तो वे उसे दैवीय प्रकोप समझते हैं । खासकर इसे पत्नी के अवैध संबंध से जोड़ा जाता है । यदि बाघ कम समय मे उसी माड़िया के दूसरे जानवर को भी ले जाय तो वह अपनी पत्नी पर कड़ी नजर रखना शुरू कर देता है । माड़िया समाज मे अनैतिक संबंधॊ को बिल्कुल बर्दाश्त नही किया जाता । लेकिन यदि महिला अपने पति से खुश ना हो तो वह बिना किसी विरोध के दूसरा पति चुन सकती है, बशर्ते वह व्यक्ति पहले को पत्नी के उपर खर्च की गयी विवाह की कीमत चुका दे । माड़िया जाति मे बहुविवाह की इजाजत भी है, लेकिन विवाह मे आने वाले भारी खर्च के कारण ऐसा यदा कदा ही होता है । इनमे विधवा विवाह की भी इजाजत है ।

म्रुत्यु

माड़िया जनजाति मे मौत के बाद आम तौर पर कब्र मे दफ़नाया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में शव को जलाया भी जाता है । यह उम्र मौत के कारण और व्याधि इत्यादि पर निर्भर करता है । बच्चों को महुआ के पेड़ के नीचे दफ़नाया जाता है, ऐसा माना जाता है कि महुआ के पेड़ से रस पाकर उसकी आत्मा तृप्त हो जायेगी । इनके इस गाने से आप मृत्यु के बारे मे इनकी सोच के बारे मे आप जान सकते है अपने शरीर पर गर्व मत करो तुम्हे एक दिन ऊपर जाना ही होगा। तुम्हारी मां भाई और रिश्तेदार उन्हे छोड़कर तुम्हे जाना ही होगा। तुम्हारी झोपड़ी मे भले खजाना भरा हो पर तुम्हे जाना ही होगा।

सन्दर्भ

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