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प्रस्तुति- राकेश कुमार सिन्हा
मराठवाडा में सूखे के चलते किसानों के हाल बुरे हैं। इसका यहां के युवाओं के जीवन पर भी खासा असर पड़ा है। उनकी शादियां नहीं हो रही है।
कोई भी लड़की या लड़का इस सूखा प्रभावित क्षेत्र में नहीं शादी नहीं करना चाहता। उस्मानाबाद जिले के कलंब तालुका में ऐसा ही एक गांव है खामसवाड़ी। जहां करीब 200 कुंवारे और 100 कुंआरियां रिश्ते की बाट जोह रहे हैं। उनकी उम्र बढ़ती ही जा रही है, लेकिन ब्याह नहीं हो पा रहा है।
खामसवाड़ी गांव के सुशील पाटिल बताते हैं कि सिर्फ हमारे गांव में 25 से लेकर 35 साल की उम्र के 200 कुंवारे हैं, जो स्नातक हैं। इतने पढ़े-लिखे होने के बावजूद इस गांव में कोई अपनी बेटी नहीं ब्याहना चाहता।
पाटिल ने बताया कि खामसवाड़ी ही नहीं आसपास के गांवों में करीब 1500 युवा कुंवारे हैं जिनकी शादी नहीं हो रही है। ऐसी नौबत इसलिए है क्योंकि यहां बीते पांच साल से अच्छी बारिश नहीं हुई।
लोग लगातार सूखे की मार से बेहाल हो चुके हैं। इस गांव के किसान खेतिहर हैं और ज्यादातर लोग गन्ने और सोयाबीन की खेती करते हैं। करीब 10 हजार की आबादी वाले इस गांव में तीन हजार से ज्यादा परिवार हैं। सूखे के कारण न हाथ में काम है और न खाने को अनाज। ऊपर से कर्ज का बोझ।
गांव के 200 कुंवारे और 100 कुंवारियां जोह रही हैं रिश्ते की बाट
कुछ बड़े किसानों को तो बैंक भी कर्ज दे देती है लेकिन पांच-छह एकड़ वाले काश्तकारों का बैंक में खाता खुलना भी दूभर है। ऐसे लोग पूरी तरह से साहूकारों के रहमोकरम पर निर्भर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े गाजे-बाजे के साथ जनधन योजना की शुरुआत की थी। इसका मकसद गरीब लोगों के लिए बैंक खाता खोलना था, लेकिन उस्मानाबाद के खामसवाड़ी गांव में इस योजना का कोई असर नहीं है।
किसानों को बैंक में खाता खुलवाने के लिए कई दिनों तक बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस गांव के किसान रमेश रावसाहेब शेलके बताते हैं कि सूखे की मार झेल रहे और कर्ज से परेशान तीन किसानों ने हाल में ही आत्महत्या कर ली। गांव के ज्यादातर किसानों का मानना है कि खरीफ बीमा मिलने पर रवि की फसल उनके लिए फायदेमंद हो सकती है।
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