रविवार, 4 अक्तूबर 2015

नहीं मनाया दशहरा






लखनऊ। मेरठ के एक गांव में पिछले 150 सालों से दशहरा नहीं मनाया गया। गांव के लोग इसके पीछे देशभक्ति की भावना बताते हैं। मेरठ के इस गांव का नाम गगोल है। इस गांव में 9 लोगों को ठीक दशहरे के दिन अंग्रेजों ने फांसी की सजा दे दी थी। तभी से गगोल गांव के लोगों ने दशहरा न मनाने का फैसला किया जो आज तक कायम है।
गांव के एक बुजुर्ग स्वरूप सिंह ने बताया कि दशहरा कैसे मनाएं! हमारे बुजुर्गों को एन दशहरे के दिन फांसी पर लटका दिया गया था। हम खुशियां मनाएंगे तो हमारे लिए शहीद हुए हमारे पूर्वजों का क्या अपमान नहीं होगा। मेरठ-दिल्ली रोड के बीच स्थित गगोल गांव में आजादी के पहले संग्राम के बाद से आज तक दशहरा नहीं मनाया गया। आजादी की लड़ाई में इस गांव ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। विद्रोह बढ़ा तो अंग्रेजों ने गांव के 9 लोगों को फांसी पर लटका दिया। उन्हीं 9 शहीदों की याद में गगोल गांव में दशहरा नहीं मनाया जाता। गांव के लोगों का कहना है कि गांव में एक पीपल पेड़ के नीचे अंग्रेजों ने 150 साल पहले 9 लोगों को फांसी पर लटका दिया था। इसी पेड़ के नीचे बने मंदिर पर बैठ कर गांव वाले उन वीरों को याद करते हैं।
एक गांव जहां 150 साल से लोगों ने नहीं मनाया दशहरा
मेरठ के एक गांव में पिछले 150 सालों से दशहरा नहीं मनाया गया। मेरठ के इस गांव का नाम गगोल है। इस गांव में 9 लोगों को ठीक दशहरे के दिन फांसी पर अंग्रेजों ने लटका दिया था।
गांव के लोगों ने एक रोचक बात भी बताई कि हालांकि यह फैसला गांव के लोगों द्वारा लिया गया था कि दशहरा केवल उसी घर में मनाया जाएगा जिस घर में इस दिन कोई बच्चा पैदा होगा या फिर गाय को बछड़ा पैदा होगा, लेकिन तब से आज तक किसी घर में कोई बच्चा इस दिन पैदा नहीं हुआ है और न ही खुशियां मनाई गई।
वहीं गांव के ही प्रेम सिंह ने बताया कि जब तक गांव के किसी घर में दशहरा के दिन बच्चा पैदा नहीं होगा तब तक दशहरा न मनाने की आन बंधी हुई है। यहां की एक खास बात यह है कि इस गांव में अलग-अलग समुदायों और वर्गों के लोग रहते हैं और दशहरा नहीं मनाने का फैसला सभी का है।

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