विदाई नहीं
(13 Jun) कौशांबी। आमतौर पर देखा जाता शादी के बाद दुल्हन अपने पति के साथ ससुराल जाती है। लेकिन दुनिया में एक ऎसा गांव भी है जहां शादी के बाद लडकियों की विदाई नहीं होती है। जी हां, यूपी के कौशांबी में स्थित "दामादों का पुरवा" गांव में होता है। अपनी इस विशेष परंपरा के लिए पुरवा गांव पूरे इलाके में मशहूर है। इस गांव में शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पडता है।ससुराल वालों की तरफ से दामाद को रोजगार अथवा रोजगार के साधन मुहैया कराए जाते हैं। 60 परिवारों का है गांव .... दामादों का पुरवा गांव में 60 परिवार रहते हैं और यहां मुस्लिम परिवारों की संख्या ज्यादा है। इस गांव में दामादों मोहल्ला अलग से हैं जहां ज्यादातर लोग बाहर से आकर रहे हैं। शादी के बाद वो लोग यहां डेयरी, जनरल स्टोर्स, छोटी-मोटी दुकानें चलाने जैसे कार्य करते हैं। सालों से चली आ रही है परंपरा--- दामादों के गांव पुरवा की घर जमाई वाली यह परंपरा 35 सालों से चली आ रही है। इस गांव की लडकियों की शादियां पडौसी जिले कानपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद अथवा बांदा आदि में हुई हैं। ये सभी लडकियां शादी के बाद अपने पति के
(13 Jun) कौशांबी। आमतौर पर देखा जाता शादी के बाद दुल्हन अपने पति के साथ ससुराल जाती है। लेकिन दुनिया में एक ऎसा गांव भी है जहां शादी के बाद लडकियों की विदाई नहीं होती है। जी हां, यूपी के कौशांबी में स्थित "दामादों का पुरवा" गांव में होता है। अपनी इस विशेष परंपरा के लिए पुरवा गांव पूरे इलाके में मशहूर है। इस गांव में शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पडता है।ससुराल वालों की तरफ से दामाद को रोजगार अथवा रोजगार के साधन मुहैया कराए जाते हैं। 60 परिवारों का है गांव .... दामादों का पुरवा गांव में 60 परिवार रहते हैं और यहां मुस्लिम परिवारों की संख्या ज्यादा है। इस गांव में दामादों मोहल्ला अलग से हैं जहां ज्यादातर लोग बाहर से आकर रहे हैं। शादी के बाद वो लोग यहां डेयरी, जनरल स्टोर्स, छोटी-मोटी दुकानें चलाने जैसे कार्य करते हैं। सालों से चली आ रही है परंपरा--- दामादों के गांव पुरवा की घर जमाई वाली यह परंपरा 35 सालों से चली आ रही है। इस गांव की लडकियों की शादियां पडौसी जिले कानपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद अथवा बांदा आदि में हुई हैं। ये सभी लडकियां शादी के बाद अपने पति के
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें