जंगमवाड़ी मठ - वाराणसी :
जहा अपनों की मृत्यु पर शिवलिंग किये जाते हे दान
जंगमवाड़ी मठ
(Jangamwadi Math) वाराणसी के सारे मठो में सबसे पुराना है। इसे Jnana
Simhasana और Jnana Peetha के नाम से भी जाना जाता है। Jangam का अर्थ
होता है शिव को जानने वाला और wadi का अर्थ होता है रहने का स्थान। मठ
50000 sq feet में फैला हुआ है।
Jangamwadi math में शिवलिंगों की स्थापना को लेकर एक विचित्र परंपरा चली आ रही है। यहां आत्मा की शांति के लिए पिंडदान नहीं बल्कि शिवलिंग दान होता है।
Jangamwadi math में शिवलिंगों की स्थापना को लेकर एक विचित्र परंपरा चली आ रही है। यहां आत्मा की शांति के लिए पिंडदान नहीं बल्कि शिवलिंग दान होता है।
इस मठ में एक दो नहीं बल्कि कई लाख शिवलिंग एक साथ विराजते
हैं। यहां मृत लोगों की मुक्ति और अकाल मौत की आत्मा की शांति के लिए शिवलिंग स्थापित
किए जाते हैं। सैकड़ों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के चलते एक ही छत के नीचे दस लाख
से भी ज्यादा शिवलिंग स्थापित हो चुके हैं।
हिंदू धर्म में जिस विधि-विधान से पिंडदान किया जाता
है। ठीक वैसे ही मंत्रोचारण के साथ यहा शिवलिंग स्थापित किया जाता है। एक वर्ष में कई हजार शिवलिंगों की स्थापना श्रद्धालुओं द्वारा कर दी जाती है। जो शिवलिंग ख़राब होने लगते है, उसकों मठ में ही सुरक्षित स्थान पर रख दिया जाता है।
Inside Jangamwadi math |
सबसे ज्यादा सावन के महीने में शिवलिंगों की स्थापना होती है। इस मठ में ये परंपरा पिछले 250 सालों से अनवरत यूं ही चली आ रही है।
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