बावनी इमली शहीद स्मारक - फतेहपुर -
प्रस्तुति - डा. ममता शरण
हमारे देश को अंग्रेजो की दासता से मुक्त कराने के लिए अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपनी जान भारत माँ के नाम कुर्बान करी थी। इन शहीदो की शाहदत को नमन करने के लिए अनेको जगह शहीद स्मारक बने हुए है, जो की हमें उन आज़ादी के सिपाहियों कि देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए बलिदानो की याद दिलाते है। ऐसे ही एक क्रांतिकारी बाबू बंधू सिंह के शहीद स्मारक के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके है जो की अँगरेज़ सैनिको के सिर काटकर तरकुलहा देवी के चरणो में चढ़ा देते थे। आज हम आपको ऐसे ही एक और स्मारक के बारे में बता रहे है जो की इतिहास में बावनी इमली के नाम से जाना जाता है। असल में यह एक इमली का पेड़ है जिस पर अंग्रेजो ने 28 अप्रेल 1858 को 52 क्रांतिकारियों को एक साथ फांसी पर लटका दिया था। यह पेड़ गवाह है अंग्रेजो की नाक में दम करने वाले क्रांतिकारी जोधा सिंह अटैया और उनके 51 साथियो की शाहदत का।Image Credit Bhaskar.com |
Image Credit Vicky Mansingh |
Image credit Vicky Mansingh |
जोधा सिंह 28 अप्रैल 1858 को अपने इक्यावन साथियों के साथ खजुआ लौट रहे थे तभी मुखबिर की सूचना पर कर्नल क्रिस्टाइल की सेना ने उन्हें सभी साथियों सहित बंदी बना लिया और सभी को इस इमली के पेड़ पर एक साथ फांसी दे दी गयी। बर्बरता की चरम सीमा यह रही कि शवों को पेड़ से उतारा भी नहीं गया। कई दिनों तक यह शव इसी पेड़ पर झूलते रहे। चार मई की रात अपने सशस्त्र साथियों के साथ महराज सिंह बावनी इमली आये और शवों को उतारकर शिवराजपुर गंगा घाट में इन नरकंकालों की अंत्येष्टि की।
तभी से यह इमली का पेड़ भारत माता के इन अमर सपूतो की निशानी बन गया। आज भी यहाँ पर शहीद दिवस 28 अप्रेल को और अन्य राष्ट्रीय पर्वो पर लोग पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचते है। (राष्ट्रीय स्तर पर शहीद दिवस 23 मार्च को क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शाहदत कि याद में मनाया जाता है, पर यहाँ पर 28 अप्रेल को भी इन 52 क्रान्तिकारियों की याद में शहीद दिवस मनाते है) । साहित्यकार वेद प्रकाश मिश्र ने शहीद स्माकर बावनी इमली पर अमर शहीदों की गाथा को काव्य रूप प्रदान करने करते हुए कृतियां सृजित की हैं। इन कृतियों में बावनी इमली और दूसरी फतेहपुर क्रांति के पुरोधा, दरियाव गाथा व हिकमत-जोधा शामिल हैं।
Image Credit Jagran.com |
Jangamwadi math (वाराणसी) : जहा अपनों की मृत्यु पर शिवलिंग किये जाते हे दान
वफादार कुत्ता जिसने रणभूमि में मारे कई मुग़ल सैनिक
तरकुलहा देवी (Tarkulha Devi) - गोरखपुर - जहाँ चढ़ाई गयी थी कई अंग्रेज सैनिकों कि बलि
कहानी राजा भरथरी (भर्तृहरि) की - पत्नी के धोखे से आहत होकर बन गए तपस्वी
भूपत सिंह चौहाण - इंडियन रॉबिन हुड - जिसे कभी पुलिस पकड़ नहीं पायी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें