400 साल पुरानी परंपरा
धर्म
की नगरी काशी में गुरुवार को सारी रात जलती चिताओं के बीच महाश्मशान
मणिकर्णिका घाट पर सेक्स वर्कर्स रात भर नृत्य करती रहीं। दरअसल ये सेक्स
वर्कर्स काशी विश्वनाथ के रूप बाबा मसान्नाथ के दरबार में हाजरी लगाकर
वरदान मांगने आई थी कि "अगले जन्म में मुझे बिटिया न कीजो" महाश्मशान घाट
पर यह परम्परा 400 साल पहले राजा मान सिंह के जमाने से चली आ रही है जिसको
आज भी ये लोग निर्वहन करते हैं।
बार में काशी के कलाकारों को बुलाया था। तब
महाश्मशान घाट होने के कारण कलाकारों ने आने से इनकार कर दिया। उसी वक़्त
हमने ने आगे बढ़कर इस परम्परा का निर्वहन किया और आज तक बाबा मसान नाथ के
दरबार में नृत्य कर रही हैं। साथ ही हम कालांजलि और बाबा के दरबार में यह
गुहार लगाते हैं कि अगले जन्म में हमें बिटिया का जन्म मत देना।"
धार्मिक
नगरी काशी का मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिका महाश्मशान घाट जहां पर वैदिक रीति से
अंतिम संस्कार किया जाता है। कहा जाता है कि यहां अंतिम संस्कार होने पर
जीव को स्वयं भगवान शिव देते हैं तारक मंत्र। लेकिन इस जगह से कुछ इस तरह
की परम्परा भी जुड़ी हुई हैं। इस बारे में स्थानीय निवासी गुलशन कपूर का
कहना है, "सत्रहवीं शताब्दी में काशी के राजा मानसिंह ने इस पौराणिक घाट पर
भगवान शिव जो मसान नाथ के नाम से श्मशान के स्वामी है के मंदिर का निर्माण
कराया। निर्माण के बाद उन्होंने यहां के प्रसिद्द संगीत घरानों को संगीत
की स्वरलहरियां छेड़ने के लिए बुलाया लेकिन ऐसा स्थान जहां चिताएं जलती हों
वहां संगीत की सुरों को छेड़ता भी तो कौन? कोई कलाकार यहां नहीं आया। उस
वक़्त राजा मानसिंह का मान रखने के लिए नगर वधुओं ने यहां सारी रात नृत्य
किया तब से यह परंपरा कायम है।"
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