जिसने मनाया दशहरा, नहीं रहा दुनिया देखने को जिंदा
Posted on: October 17, 2010 06:58 AM IST | Updated on: October 17, 2010 06:58 AM IST
हिमाचल प्रदेश में बैजनाथ अपने प्राचीन शिव मंदिर के कारण पूरे साल सैलानिओं की चहल-पहल से गुलजार रहता है। दशहरे के दिन इस पूरे शहर में वीरानी छाई रहती है। मान्यता है कि यहां पर रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप करते हुए अपने दस शीश अर्पित कर दिए थे। इलाके के लोगों की माने तो जिसने भी दशहरा मनाने की कोशिश की वो अगला दशहरा नहीं देख पाया। खास बात यह भी है कि पूरे शहर में एक भी सुनार की दुकान नहीं है। अगर दुकान खोली भी गई तो वह जलकर खाक हो गई।
इलाके के राम दित्ता ने बताया कि जिस किसी ने भी रामलीला या दशहरा मानाने की कोशिश की उसकी मौत हो गयी। लोगों में धारणा बन गयी की ऐसा रावण की नाराजगी के कारण हुआ। दूसरी तरफ बैजनाथ मंदिर के पुजारी रमेश के मुताबिक यहां पर रावण ने शिव ओ 10 शीश भेंट किये थे। तब से इसे रावण की तपस्थली के तौर पर जाना जाता है और उनके सम्मान में दशहरा नहीं मनाया जाता। यहां तक की सोने की लंका के चक्कर में शहर में कोई सोने की दुकान तक नहीं है। उन्होंने बताया कि बैजनाथ में रावण का एक मंदिर भी है जहां उसके पैरों के चिन्ह हैं और रावणेश्वर लिंग भी है। हालांकि यह हिस्सा काफी खराब हो चुका है।
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