दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।
सोमवार, 11 जुलाई 2011
दिल्ली का बाबूः तीव्र सुधार
दीदी के कोलकाता जाने के बाद से रेल मंत्रालय का कार्यभार पीएमओ संभाल रहा है, कम से कम मंत्रिमंडल में नए बदलाव होने तक. इससे मनमोहन सिंह को उन सुधारों को लागू करने का अवसर मिल गया है, जिन्हें दीदी ने रोक रखा था. अभी हाल में मनमोहन सिंह ने रेलवे के उच्चाधिकारियों के साथ एक बैठक की. सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ इस मंत्रालय पर अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है. पीएमओ द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि 100 करोड़ रुपये से अधिक के किसी भी प्रोजेक्ट की देखरेख सिर्फ पीएमओ द्वारा की जाएगी. इससे साफ हो गया है कि 77 हजार करोड़ रुपये के फ्रेट कॉरिडोर सहित अन्य भारी- भरकम प्रोजेक्ट्स की निगरानी पीएमओ ही करेगा. यह भी संकेत दिए जा रहे हैं कि भले ही किसी अन्य को इस मंत्रालय का चार्ज दे दिया जाए, लेकिन पीएमओ अपनी पकड़ ढीली करने वाला नहीं है.
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