सोमवार, 11 जुलाई 2011

दिल्‍ली का बाबूः तीव्र सुधार




दीदी के कोलकाता जाने के बाद से रेल मंत्रालय का कार्यभार पीएमओ संभाल रहा है, कम से कम मंत्रिमंडल में नए बदलाव होने तक. इससे मनमोहन सिंह को उन सुधारों को लागू करने का अवसर मिल गया है, जिन्हें दीदी ने रोक रखा था. अभी हाल में मनमोहन सिंह ने रेलवे के उच्चाधिकारियों के साथ एक बैठक की. सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ इस मंत्रालय पर अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है. पीएमओ द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि 100 करोड़ रुपये से अधिक के किसी भी प्रोजेक्ट की देखरेख सिर्फ पीएमओ द्वारा की जाएगी. इससे साफ हो गया है कि 77 हजार करोड़ रुपये के फ्रेट कॉरिडोर सहित अन्य भारी- भरकम प्रोजेक्ट्‌स की निगरानी पीएमओ ही करेगा. यह भी संकेत दिए जा रहे हैं कि भले ही किसी अन्य को इस मंत्रालय का चार्ज दे दिया जाए, लेकिन पीएमओ अपनी पकड़ ढीली करने वाला नहीं है.

अ़फग़ानी बाबू भारत आएंगे

इस कॉलम में पहले भी बताया गया है कि भारी-भरकम वेतन-भत्ते दिए जाने के प्रस्ताव के बाद भी देसी बाबू काबुल जाकर अफगानी बाबुओं को प्रशिक्षण देने में रुचि नहीं दिखा रहे थे, जबकि भारत और अफगानिस्तान के बीच इस संबंध में एक एमओयू भी है. बहरहाल, अधिकारियों को काबुल भेज पाने में असफल सरकार ने अब अफगानी लोकसेवकों को दिल्ली बुलाकर ही प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम बनाया है. उन्हें विभिन्न मंत्रालयों में ऑन जॉब ट्रेनिंग दी जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, अफगानी बाबू जल्द ही दिल्ली आएंगे.

संकटकालीन प्रशिक्षण

कम ही लोगों को मालूम होगा कि नए कैबिनेट सचिव अजीत सेठ, जो के एम चंद्रशेखर से प्रभार लेंगे, भी दिल्ली एयरपोर्ट पर बाबा रामदेव से मिलने गए थे, लेकिन बाबू लोग मीडिया के सामने खुद को लो प्रोफाइल बनाकर रखते हैं, इसलिए वह मीडिया की नज़र से बच गए. इसलिए भी, क्योंकि मीडिया की नज़र तो चार मंत्रियों पर टिकी हुई थी. सेठ के वहां जाने के पीछे यह विचार था कि योग गुरु द्वारा सरकार के लिए जो राजनीतिक संकट खड़ा किया गया था, उससे निबटने का गुर वह सीखना शुरू कर दें, ताकि अपने नए रोल को निभाने में उन्हें परेशानी न हो. बहरहाल सेठ की नियुक्ति को लेकर यह कहा जा रहा है कि उन्हें वरिष्ठता के आधार पर कैबिनेट सचिव बनाया गया है, लेकिन सच्चाई यह नहीं है. कम से कम बिहार राजस्व बोर्ड के चेयरमैन एस पी केशवन उनसे भी वरिष्ठ हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला.

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