मंगलवार, 12 जुलाई 2011

कर्पूरी स्‍मृति भवन को कर्पूरी की प्रतिमा का इंतजार




समाजवादी चिंतक, ग़रीबों के मसीहा, गुदड़ी के लाल एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली कर्पूरी ग्राम में आज भी लोग पेयजल की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. इंदिरा आवास, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कन्या विवाह योजना समेत विभिन्न सरकारी योजनाओं का सही से क्रियान्वयन नहीं हुआ है. हद तो यह है कि कर्पूरी स्मृति भवन में आज तक कर्पूरी की प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकी है.
दलित बस्तियों में भ्रमण के दौरान लोगों ने चौथी दुनिया को बताया कि उन्हें एक घूंट ठंडे पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. मौजूदा सरकार की अधिकांश योजनाओं के भव्य होर्डिंग्स गांव की शोभा बढ़ा रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही है. यह सब दिखावा है. कन्या विवाह योजना का आवेदन देने के बाद आज भी लोग लाभान्वित होने के लिए शासन-प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. कुल मिलाकर यह योजना जननायक कर्पूरी ठाकुर के गांव में हवा-हवाई साबित हो रही है.
पेयजल सुविधा के लिए कर्पूरी ग्राम ज़रूर ही ज़िले में एक आदर्श ग्राम के रूप में दिख रहा है, क्योंकि गांव में एक वर्ष पहले एक भव्य जलमीनार बनवाया गया है. लेकिन विडंबना यह है कि पंचायत में पर्याप्त पाइपलाइन एवं नलके की कमी के कारण गर्मी में पानी के लिए  लोग मारे-मारे फिर रहे हैं. पूरे पंचायत में लगे तक़रीबन 1600 चापाकल में से आधे से अधिक  ख़राब पड़े हैं. जलमीनार के निकट के दलित मोहल्ले के पांचू राम, सुशील राम, शिवकुमार, सुनीता देवी आदि का कहना है कि सरकारी स्तर पर तो गांववासियों की सुख-सुविधा हेतु का़फी प्रयास किए गए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर संबंधित विभागीय अधिकारियों की अकर्मण्यता के कारण लोग सरकारी घोषणानुसार योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. स़िर्फ कहने भर को है कि गांव में जलापूर्ति की सुदृढ़ व्यवस्था है, लेकिन गांव के दलित बस्तियों में इसकी घोर कमी है. ग्रामीणों का कहना है कि जब गर्मी के प्रारंभिक दिनों में ही पेयजल के लिए हाहाकार मचा है तो जून-जुलाई में क्या हालत होगी? यह सोच कर ही लोग परेशान हो रहे हैं.
दलित बस्तियों में भ्रमण के दौरान लोगों ने चौथी दुनिया को बताया कि उन्हें एक घूंट ठंडे पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. मौजूदा सरकार की अधिकांश योजनाओं के भव्य होर्डिंग्स गांव की शोभा बढ़ा रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही है. यह सब दिखावा है. कन्या विवाह योजना का आवेदन देने के बाद आज भी लोग लाभान्वित होने के लिए शासन-प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. कुल मिलाकर यह योजना जननायक कर्पूरी ठाकुर के गांव में हवा-हवाई साबित हो रही है. गांव के लोग मर्माहत हैं कि नए परिसीमन के तहत ज़िले में दो (उजियारपुर एवं मोरबा) विधानसभा का गठन किया गया, लेकिन जननायक कर्पूरी ठाकुर की पहचान और प्रतिनिधित्व वाले पूर्व ताजपुर विधानसभा क्षेत्र को पुनर्जीवित करने को लेकर स्थानीय प्रतिनिधि से लेकर सरकार तक ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. 1952 के प्रथम विधानसभा चुनाव में पूर्व के ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से कर्पूरी ठाकुर विधायक हुए और बाद में कांग्रेस शासनकाल में ताजपुर विधानसभा क्षेत्र को समाप्त कर दिया गया. इसके बाद वह समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर विधानसभा में पहुंचने लगे. 1985 में कर्पूरी ठाकुर समस्तीपुर ज़िला को छोड़कर सोनवर्षा(सीतामढ़ी) से चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे.
जब जननायक के गांव में सरकारी योजनाओं की वास्तविकता का आकलन करने हम कर्पूरी ग्राम के कर्पूरी स्मारक पहुंचे, तो पता चला कि गुदड़ी के लाल की स्मृति अब एक भव्य स्मारक भवन में स्थापित कर दी गई है. एक बड़े से कमरे में उनकी भव्य तस्वीर लगी है. तस्वीर के नीचे निर्भय होकर जियो स्वाधीन होकर चलो, लोकहित की राह पर स्वहित का विसर्जन कर दो नारा अंकित है, जो आगंतुकों को जननायक का संदेश दे रहा है. कर्पूरी ठाकुर के छोटे भाई स्व.रामस्वार्थ ठाकुर की वयोवृद्ध पत्नी रेशमा देवी (75) एवं उनकी बहू निशा ठाकुर ने जननायक की स्मृतियों को ताज़ा करते हुए बताया कि धन्य है कर्पूरी की यह जन्मभूमि, जहां देश के हर हिस्से के दिग्गज राजनीतिज्ञ आकर उन्हें नमन करते हैं. उन्होंने बताया कि कर्पूरी स्मारक पर लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान जैसे दिग्गजों का आना-जाना लगा रहता है. निशा ठाकुर गांव के ही आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत हैं, जबकि उनके पति एवं कर्पूरी ठाकुर के भतीजा नित्यानंद ठाकुर कर्पूरी ग्राम में स्थित गोकुल कर्पूरी फुलेश्वरी महाविद्यालय में सहायक के रूप में कार्यरत हैं. गांव के विकास के मुद्दे पर कर्पूरी स्मारक भवन में मौजूद जननायक के परिजनों ने संतोष जताते हुए कहा कि सरकार कर्पूरी जी की जन्म एवं कर्मभूमि पर हर सुविधा देने के लिए प्रयासरत है, लेकिन वर्षों से कर्पूरी ग्राम को प्रखंड का दर्ज़ा दिए जाने एवं थाना की स्थापना जैसी लंबित मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जब मुखिया रंजना देवी से पंचायत स्तर पर हुए विकास कार्यों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि योजनाओं एवं विकासात्मक कार्य के मामले में पीसीसी एवं सड़क निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं. पंचायत में कुल 450 लोगों को इंदिरा आवास उपलब्ध कराया गया है तथा 300 आवेदन विचाराधीन हैं. मनरेगा के अंतर्गत 4 पुलियों का निर्माण, ईंट सोलिंग एवं स्थानीय जमुआरी नदी की उड़ाही आदि के कार्य कराए गए हैं. ग्रामीण दबी ज़ुबान से यह भी कहना नहीं भूलते कि कर्पूरी के इस गांव का सरकार लाख ख्याल रखे पर सरकारी योजनाओं की आड़ में मंत्री जी को अंधेरे में रखकर बिचौलियों द्वारा व्यापक पैमाने पर लूट-खसोट की जा रही है. एपीएल/बीपीएल निर्धारण में गड़बड़ी से लोगों में गहरी नाराज़गी व्याप्त है. व्यथित ग्रामवासियों का कहना है कि 15,000 की मासिक आय वाले परिवार को बीपीएल का लाभ मिलने लगा है, लेकिन ज़रूरतमंद सैकड़ों ग़रीब मूकदर्शक बने हुए हैं.
जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली कर्पूरी ग्राम लोग बड़े ही उत्साह से आते हैं, लेकिन उनकी जन्मस्थली कर्पूरी स्मृति भवन पर पहुंचकर वे मायूस हो जाते हैं, क्योंकि स्मृति भवन में आज तक कर्पूरी की प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकी है. इस बात को लेकर कर्पूरी ग्राम के लोग मर्माहित हैं. आक्रोशित ग्रामीण बताते हैं कि 1942 में कर्पूरी जी गांव के ही विद्यालय में शिक्षक थे. उस समय गांधीजी के आह्वान पर पूरे देश में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था. 1942 में ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण और सूरजनारायण सिंह भागलपुर जेल से भागकर समस्तीपुर आए थे और पितौझिया (अब कर्पूरी ग्राम) स्थित विद्यालय में रातभर छिपकर रहे थे. जेपी के विद्यालय में छिपने की ख़बर अंग्रेज़ों को मिली तो जेपी एवं उनके साथी तो यहां से भाग निकले, लेकिन इधर इस मामले में कर्पूरी जी की नौकरी चली गई और उन्हें अंग्रेज़ों की यातनाएं सहनी पड़ी थी. कर्पूरी जी शिक्षक होते तो आज गांव के लिए मात्र रिटायर्ड शिक्षक होते, लेकिन उन्होंने नौकरी को लात मार दी और स्वाधीनता संग्राम को गले लगाया तो आज दुनिया उन्हें जननायक के रूप में जानती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ज़िले में विश्वास यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित है. ऐसे में कर्पूरी ग्राम के लोगों को आशा है कि इस विश्वास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री जननायक की जन्मस्थली कर्पूरी ग्राम का विश्वास भी हासिल करने की कोशिश अवश्य करेंगे.

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