गुरुवार, 7 जुलाई 2011

जेएनयू में सेक्स --- जवाहर लाल का दर्द ना जाने कोय

जेएनयू में सेक्स : आइए लड़का-लड़की को गोली मार दें!

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: सीडी देखकर कतई नहीं लग रहा कि वे कोई महापाप कर रहे, वे वही कर रहे हैं जो हर कोई करता है : जेएनयू में एक लड़की और एक लड़का ने आपसी सहमति से सेक्स किया. सेक्स के दृश्य को किसी तीसरे लड़के के जरिए फिल्माया. जैसा कि बताया जा रहा है, इनका इरादा सीडी को विदेशों में बेचकर कमाने का रहा होगा. लेकिन सीडी कमाई का जरिया बनने की जगह बदनामी का जरिया बन गई.
इस मसले को लेकर पाखंडियों ने आंदोलन खड़ा कर रखा है. सेक्स कुंठितों ने लड़के को फांसी पर लटकाने की मांग कर दी है. पाखंडियों के हो-हल्ले के कारण लड़की जहां कहीं भी होगी, अब घुट-घुट कर जी रही होगी, इस आशंका के कारण कि कहीं उसकी बाकी जिंदगी को ये पाखंडी-कुंठित-ठेकेदार किस्म के लोग अतीत की किसी एक घटना को लेकर खराब न कर दें. तथ्य बता दें आपको, और इसे पुलिस व जेएनयू प्रशासन ने माना है कि दोनों में सेक्सुअल रिलेशन आपसी सहमति से बने और इन लोगों ने आपसी सहमति से ही इसे फिल्माया.
इस पृथ्वी पर जब समय के पहिये को तेजी से, सरपट भागते चले जाने को हजारों लाखों साल बीत चुके हों...  और इसकी स्पीड अब महास्पीड में तब्दील हो चुकी हो, बिलकुल टॉप गीयर में.... तकनीक-विज्ञान-इनवेंशन छलांग पर छलांग लगाकर सारे महारहस्यों पर से परदा हटा रहे हों और सारे महाचुनौतियों को जीतने में बस सफल ही होने वाले हों.... दशक दर दशक फिर सदियां  देखते ही देखते बीतती जाती हों....  पर हाय दुर्भाग्य कि हमारा मन-मस्तिष्क मध्य युग से आगे बढ़ने को तैयार नहीं है. हमारे अपराधी नेतृत्व ने, हमारे महान अंग्रेजी शाषकों ने, हमारे महान राजे-रजवाड़ों ने हमें इतना शिक्षित नहीं किया कि हम अपने होने के अर्थ को पूरी संवेदना के साथ समझ सकते और खुद को भालू-बंदर के दिमागों की भांति सोचते रहने को मजबूर होने की जगह एक महामनुष्य की संवेदना से संचालित हो पाते.... सो, उस दिमागी तौर पर अशिक्षित रहने, पिछड़े रहने, जानवर बने रहने की सुपर एशियन-इंडियन ट्रेजडी को इक्कीसवीं सदी भी झेल रही है.
इसी कारण, इसी महाअज्ञान के चलते हम ज्यादातर लोग आज भी आजादी का मतलब सिर्फ पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी को मानते हैं या फिर तिरंगा झंडा फहरा देने को जानते हैं. लेकिन जो लोग आजादी को डेमोक्रेटिक थाट प्रासेस के साथ जोड़ते हैं और इसे सभ्यता व मनुष्यता के महाविकास के तौर पर लेते हों, उन्हें ठीक-ठीक पता होता है कि क्या करना गलत है, क्या नहीं, भले ही हमारे आदिम कानून में कई ऐसे कामों को अपराध घोषित किया जाता हो जिसे हर कोई करता हो और अपराध के पालनहार सबको करते हुए देखकर भी चुप रहते हों. जैसे पतंग उड़ाने को ले लीजिए. पतंग उड़ाना कानून की किताब में अपराध है. लेकिन इसे अपराध घोषित कर देने भर से पतंगों की उड़ान कम होने की बजाय बढ़ती चली गई है.
समय तेजी से बदल रहा है, लोग अपनी निजता और अपनी आजादी को लेकर ज्यादा लाजिकल और रेशनल हो रहे हैं, खासकर महानगरों के लोग. इसी कारण महानगरों में सहमति से साथ जीने व सहमति से सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए ज्यादा स्पेस है. खासकर जेएनयू जैसे कैंपस में तो और जहां न सिर्फ विचार के लेवल पर डिस्कशन-इन्नोवेशन होता है बल्कि जीवन शैली और कार्यप्रणाली को लेकर भी खूब बातें होती हैं और इसे व्यवहार में उतारने की जिद्दी कोशिश की जाती है.  लेकिन जेएनयू बहुतों के लिए ईर्ष्या है क्योंकि वे वैसी आजाद जिंदगी नहीं जी पाते जो जेएनयू वाले जीते हैं. इसी कारण ढेर सारे इर्ष्यालुओं ने जेएनयू में पढ़ने वाले एक लड़के व लड़की द्वारा हास्टल के एक बंद कमरे में किए गए सेक्स और इसको फिल्मा कर बनाई गई सीडी पर खूब छाती पीटो अभियान चलाए हैं.
ये हो-हल्ला क्या सिर्फ इसलिए कि इस सीडी में जेएनयू की छात्रा व छात्र हैं? हम विदेशी ब्लू फिल्में देखने के उत्सुक-आदी लोग जब अपने आसपास आपसी सहमति से किसी को ये सब करते देखते हैं तो हम लोगों का पाखंडी जमीर जग जाता है और लगता है खून खौलने. ये इतना बड़ा अपराध नहीं है कि इसके लिए लड़के को जेल भेजा जाए या लड़की को फांसी दे दी जाए. ये पढ़े लिखे लड़के-लड़की अपनी सहमति से सेक्स कर उसे शूट करा रहे थे. उनका ये कदम थोड़ा बचकाना हो सकता है, थोड़ा खराब लग सकता है, लेकिन इसे उनकी भूल मानकर उन्हें माफ कर देना चाहिए और हर व्यक्ति बड़ी से बड़ी गलती करने के बाद जब उसे रियलाइज कर लेता है कि उससे बड़ी गलती हो चुकी है तो शायद इससे बड़ा दंड उसके लिए कुछ नहीं होगा. हालांकि इस काम को भी मैं गलत नहीं मान रहा.
सीडी में दिख रहे लड़के व लड़की पर उंगली वे लोग उठाएं जिन्होंने कभी सेक्सुअल अपराध न किए हों. हमारे यहां परंपरा है कि चोर वही माना जाता है जो पकड़ा जाता है, जो चोरी करते नहीं पकड़ा गया तो समझो कि वह चोरी की रकम से मंदिर बनवाने के बाद महान आत्मा घोषित कर दिया जाता है. यहां जेएनयू के छात्र-छात्रा की सेक्स सीडी से कुछ दृश्य दे रहा हूं, देखिए, ध्यान से देखिए, कितने मानवीय व सहज लग रहे हैं ये. क्या सेक्स के दौरान इस उम्र में हम सभी की मुद्रा ऐसे ही नहीं थी. एक बेहद निष्पाप आचरण को हम लोगों ने पाप और अपराध घोषित कर दिया है. यह बेहद गलत व घिनौना काम है जिसे हम लोग सदियों से करते आए हैं. ऐसे दृश्यों व घटनाओं पर सिर्फ हमें मुस्कराकर आगे बढ़ जाना चाहिए और जरूरत पड़े तो इन कपल्स को आशीर्वाद भी देना चाहिए ताकि इनके मन से इंद्रियजन्य सुखों के प्रति लालसा को जल्द से जल्द कम किया जा सके.
कम से कम छात्र-छात्रा के बारे में जितनी जानकारी मिल रही है उससे तो ये साबित हो रहा है कि ये लोग कोई सेक्स रैकेट नहीं चलाते थे, ये लोग पेशेवर पोर्नस्टार बनने की लालसा नहीं रखते थे, इन लोगों का कोई आपराधिक बैकग्राउंड नहीं है, इन लोगों ने अपने कृत्य से किसी दूसरे के निजी जीवन में कोई खलल नहीं डाली. सवाल सिर्फ ये है कि वो सीडी कैसे लीक हो गई. जिसने लीक की, उसे दंडित किया जाना चाहिए या नहीं, इस पर भी मैं अभी एकराय नहीं हूं. सीडी लीक करने वाले से ज्यादा बड़े दोषी सीडी देखकर हाय हाय चिल्लाने वाले हैं क्योंकि सनसनी परोसने जितना अपराध सनसनी को इंज्वाय करते हुए सीसी करने वाला भी होता है. जिन प्राकृतिक कार्यों को हर मनुष्य करता है, उसे किसी दूसरे को करते हुए देखखर हम क्यों आसमान को सिर पर उठा लेते हैं, मुझे समझ में नहीं आता.
हगना, खाना, मूतना, संभोग करना, सांस लेना, सोना.... (माफ करिएगा, बेहद सपाट शब्दों को पढ़कर अंदर से कुछ दरक रहा हो तो क्योंकि यह सब कृत्य इतने ही सपाट सबके जीवन में होते हैं बस इन्हें हम साफ्टनेश का ऐसा मुलम्मा चढ़ाकर पेश करते हैं कि जैसे इसे कोई करता ही न हो, सच्चाई को बेहद सच्चे तरीके से स्वीकार करने से ही उसके प्रति हमारा आकर्षण या तीव्रता का खात्मा होता है वरना सारी जिंदगी हम हगने-मूतने-संभोगने-खाने को ही अंतिम लक्ष्य मानकर जीते रह जाते हैं और मरते हुए पाते हैं कि हम अब तक जिए क्यों थे?) जैसे सार्वजनीन कार्य को लेकर हम इतने परेशान क्यों रहते हैं. गलत है उत्पीड़न करना, वह चाहें सेक्सुअल उत्पीड़न हो या फिजीकल या मेंटल. बाकी अगर ऐसा कुछ नहीं है तो हम लोगों को एक उदार समाज बनाने की दिशा में बढ़ते हुए बिना हो हल्ला किए अपने ज्यादा बड़े उद्देश्यों के लिए लगे रहना चाहिए.
दर्जनों ऐसे महान लोगों के नाम गिनाए जा सकते हैं जो अपने निजी जीवन में सेक्स को लेकर बेहद असंयमित थे. असंयम शब्द भी परंपरागत शब्दावली से उपजा है. ज्यादा खाने वाले, विविध तरीके के खाने वाले को भी तो आप असंयमित कह सकते हैं. अगर कोई नर-मादा अपने सुरक्षा उपायों व स्वास्थ्य उपायों के साथ आपसी सहमति से सेक्स के संबंध स्थापित करते हैं तो इसमें कहां से असंयम, अनैतिकता व अराजकता आ जाती है, मुझे समझ में नहीं आता. ये एक बहुत बड़ा विषय है बात करने के लिए और मुझे पता है कि मुझे मारने के लिए बहुत सारे लोगों के हाथों में पत्थर होंगे लेकिन मुझे कोई परवाह नहीं क्योंकि मैं जो सोचता हूं उसे अभिव्यक्त करने का हौसला रखता हूं, भले ही किसी को दुख पहुंचे.
जेएनयू सेक्स स्कैंडल प्रकरण में मैं न तो लड़कों व न ही लड़की के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई चाहता हूं. इन बच्चों को सिर्फ इस बात को मान लेना चाहिए कि उनकी सीडी लीक हो जाने से उनके जेएनयू के बाहर के पाखंडियों की दबी हुई कुंठा जाग्रत हो चुकी है और वे अपनी सेक्सुअल कुंठा के निराशा में पत्थर लेकर जेएनयू की तरफ दौड़ रहे हैं तो ज्यादा तार्किक बात है और इन पत्थरों से बचने के लिए रणनीति के बतौर माफी मांगकर अलग हो जाना चाहिए और ये माफीनामा वर्तमान समय व समाज के कथित कानूनों से बचने के लिए होना चाहिए न कि असल में.
मैं यह भी जानता हूं कि जो लोग इनके खिलाफ हल्ला कर रहे हैं, जो लोग इनके खिलाफ रिपोर्ट लिखेंगे या लिखवाएंगे, जो लोग इनको अपराधी साबित करने के लिए बहस करेंगे, जो लोग इन्हें अपराधी होने का फैसला सुनाएंगे, सब अपने जीवन में सेक्स अपराधी रह चुके हैं लेकिन इनका अपराध कभी लीक नहीं हुआ, इनका अपराध कभी सार्वजनिक नहीं हुआ. इसलिए ये पूरे मजे ले लेकर इस प्रकरण के हर एक बिंदुओं पर बहस जिरह करेंगे और इन निर्दोष युवाओं को महान अपराधी साबित कर जिंदगी भर अपराधबोध से ग्रस्त रहते हुए मर-मर कर जीने को बाध्य करेंगे.
ध्यान रखिए, जो जितना कुशाग्र होता है, वो उतना प्रयोगधर्मी होता है और प्रयोगधर्मी के साथ ये खतरा होता है कि कभी वो सो-काल्ड वैल्यूज की परवाह न करते हुए प्रयोग कर डाले और तत्कालीन समाज उसे मारो-मारो कह कर खदेड़ ले. पर वे जो जड़ किस्म के मनुष्य हैं जिनका पूरा जीवन धंधा-पानी कर पैसे बटोरने के बाद खाने-हगने-सोने में बीत जाता है, वे कभी किसी किस्म के अपराधी नहीं माने जाएंगे क्योंकि उनमें समय से परे जाकर सोच पाने, जी पाने की दृष्टि नहीं है. वे अपराध करेंगे भी तो सिस्टम में रहकर, किसी वेश्या के कोठे पर दारू पीकर जाएंगे और गाड़ पर लात खाकर चले आएंगे चुपचाप और सुबह सवेरे उठकर अपने बच्चों व पत्नी को ये करो, वो न करो टाइप की नैतिकता का पाठ पढ़ाएंगे.
कहना तो बहुत कुछ चाहता हूं लेकिन फिलहाल वाणी पर विराम लगाता हूं. सोचता हूं कि किन जाहिलों के बीच ऐसी बात कर-कह रहा हूं. और  वे जाहिल मुझको समाज विरोधी घोषित कर रहे होंगे क्योंकि उनके समाज के कथित कठोर दीवारों को मेरे इन विचारों-सोच से खतरा पैदा हो रहा होगा. ये हमेशा हुआ है. जिन जिन ने आगे की बात जब जब की उन्हें मारा गया, सूलियों पर चढ़ाया गया. और, शायद मारे जाने व सूली पर चढ़ाए जाने के डर से ही बहुत सारे विद्वान यथास्थितिवादी हो जाते हैं और सारे सुखों का उपभोग करते हुए सिर्फ उतना ही बोलते कहते करते हैं जो समाज व सिस्टम को सूट करे अन्यथा इससे आगे बोलने करने कहने पर बागी कहकर मारे व दुत्कारे जाने का खतरा पैदा हो जाता है.
मैं जेएनयू के कथित सेक्स स्कैंडल को सेक्स स्कैंडल मानने से इनकार करता हूं. इन लड़के लड़की को निर्दोष पाता हूं. इन्हें इनके किए गए के आधार पर बाकी जीवन को लांछित किए जाने को महाअपराध कहता हूं. मेरा सभी सोचने समझने वाले लोगों से अपील है कि इस मुद्दे पर संकुचित दिमाग से कुछ भी तय न करें. जेएनयू व दिल्ली में रह रहे बुद्धिजीवी इस प्रकरण पर अगर इस तरह की हिंसक प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे तो इस देश के पिछड़े इलाकों, अपढ़ लोगों की बस्तियों में क्या हाल होगा, इसकी कल्पना भर कर सकते हैं और इसकी बानगी आए दिन देखते रहते हैं. आनर किलिंग व प्रेमियों का मर्डर इसी घटिया परंपरावादी सोच का नतीजा है. दिल्ली व जेएनयू के जाहिलों, अपने मानसिक दिवालियेपन के खोल से निकलो और अपनी फटी कमीज सिलो, न कि दूसरे की फटी कमीज पर ताली बजाकर हंसो. ((इस प्रकरण की कुछ तस्वीरें आप देखकर खुद तय करिए कि जो कुछ ये कर रहे हैं, वह बेहद सहज व सामान्य है या नहीं... क्लिक करें.. 1 2 3 4 5 6 7 ))
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
yashwant@bhadas4media.comThis e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it

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Comments (16)Add Comment
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written by हेमंत कुमार सिंह, March 14, 2011
यशवंत जी आपकी वेबसाइट का नियमित रूप से पाठक हूं,आप आये दिन लोगों की ऐसी तैसी करते रहते हैं लेकिन बहुत प्यार से पूछना चाह रहा हूं कि आप जब आफिस जाते हैं और आपके परिवार की कोई महिला किसी परपुरूष के साथ ऐसी स्थिति में संलग्न पायी जाती है तो आप क्या कहेगें.................
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written by Rudra singh, February 14, 2011
Kya bharti sanskrity ka koyi aavachitya nahi bacha hai , kya hamare yuva ko aage bhadane aur pase kamane ke koyi shadhan shesh nahi bache hai .
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written by babulal sharma, February 11, 2011
yashvant bhai, tum bhi na chutiya ho gaye ho. jo bhosdi ke news site wale dikhate hain, vahi tum bhi dikhane lag gaye ho. jab bhi chudai se judi khabar hoti hai, tumhari kalam badi lambi chalne lagti hai. poora akhabaar chhap dete ho. fir ye kya chutiyapanthi hai ki campus me ho rahi chudai ko jayaj thahra rahe ho. tum konse bhosdi ke dilli me hi paida hue ho? saale dehat me paida hue, pale badhe aur baate vilayat jaisi. na bhai, bas karo. bhadas ko vaise hi log bahut clik karte hain, aisi cheeje ispe mat daalo, nahi to log ise hi gaand me daal denge.bhagwan tumhe sadbuddhi de. bahu-bediya sab ke ghar me hoti hain. tumhare bhi hongi.
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written by Sanjay Bhati Editor SUPREME NEWS Mo n. 09811291332,09311808705, February 11, 2011
Thank you yeswant je ..... cd blakmelaro ne blakmeling me nakamyab hone par sarvjanik ki hogi . dono bache muhumanga dam blakmelaro ko nahi de paye honge / dusra in lago se larki ne kish dene se bhi inkar kar diya hoga (3) ye bhi paki bat hai ki in logo ne larki se sex karne ki bhi koshis ki hogi larki ne inko ghas nhi dali hogi tab ja kar cd sab k samne aai hogi .......eak dusri ghatna grerater noida ki mahila reporter ki hai jo apne eak prami or uske kuch dosto ke sath mojmasti karti rahati thi is se uska karcha chalta tha .ye bat kuch bade dhongi reportero ke pas tak gai to kuchho ne is par khabar likhane k nam par mujh se uska mo.no le liya . bad me pata chala ki uski khabar to kahi nahi chapi lakin kuch reportero ne use apne office bula kar uske sath muhu kala kiya or uski vidiyo bhi bana li .or ab tak uske sath riste banaye huye hai .
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written by akhilesh, February 10, 2011
tab to bhaiya swami Nityanand ka kaya kasoor. Unhone kaya galat kiya. Mathura me ek Tathakathit sanyasi apni biwi ka blue film banata hai, Uska kaya kasoor. Ummid hai yashwant, In Mahapurusho ka bhi aap naitik samarthan denge.
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written by pushpendra mishra Naidunia jabalpur, February 10, 2011
aap ke vichar krantikari hai.jisse har yuva sahmat hoga jo thoda bhi sagjan hai. mai to puri tarah aap se sahmat huain. bhai sahab likhte rahie aur hame nae vicharo se parichit karte rahie.
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written by Dalip kumar meena, February 10, 2011
friends, ye bahut hi sharmnaak baat hai...isse jnu ki image ko daag lag gyaa hai..iske piche B.a language valo kaa haath hai...en language valo ko sharm aani chahiye...aisi harkto se..openly karne ki kaha nobat aa rahi thi...ye asamagik tatav har mahol ko ganda karte hai..in par shakt se shakt karvai ho..tabhi inko sabk milega...
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written by kabeer, February 10, 2011
'koi yun khudkushi nahin karta, kaash chapti khabar saleeke se'
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written by kabeer, February 10, 2011
yashwant ji, ladki aapki beti hoti to? kya aapki patrakarita isi tarah ubaal marti. imaandari se likhiyega.
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written by sikanderhayat, February 10, 2011
yashvant bhai ye sach ha ki free sex ko roka nahi ja sakta ha isi parkar free sex k baad hone vali tamam tarah ki dushvareyo ko bi tala nahi ja sakta isleya ladkeyo ko is mudde par safdaan rehna chahiye aap mahan ha lakin ye sach ha ki ladki ka pati itna mahan shayad nahi hoga
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written by shrivastav.s, February 10, 2011
यशवंत! पत्रकार हो, सो इतने नादान तो नहीं ही होओगे कि तस्वीरों की भाषा को न समझो। लेकिन, किसी की मशा भांप सको, इतने इनलाइटेंड भी नहीं हो। तुम लिख रहे हो कि ब्लू फिल्म बना रहे छात्र-छात्रा की मंशा पेशेवर पोर्नस्टार बनने की नहीं थी अथवा वे कोई सेक्स रैकेट चला रहे हो, ऐसा नहीं लगता। समझदार आदमी, तुम्हारे दावे के पक्ष में सुबूत क्या है। विद्या के मंदिर में कुकृत्य करते वे तुम्हें बड़े मानवीय और सहज लग रहे हैं, तो तनिक यह बताओ, चोर-डकैत-हत्यारे किसी वारदात को क्या असहज होकर अंजाम दे सकते हैं। हर माहिर आदमी अपनी फील्ड में सहज होकर ही काम करता है। तुम कह कैसे सकते हो कि यह सेक्स रैकेट नहीं है। वीडियो आटोमोटिव कैमरे से शूट किया गया है, या किसी थर्ड पर्सन ने किया है, जरा बताओगे। ​
तुम कह रहे हो, ​हगना, खाना, मूतना, संभोग करना, सांस लेना, सोना.... सारी जिंदगी हम हगने-मूतने-संभोगने-खाने को ही अंतिम लक्ष्य मानकर जीते रह जाते हैं और मरते हुए पाते हैं कि हम अब तक जिए क्यों थे?)​
जरा बताओ तो, तुमने जिंदगी का कौन सा लक्ष्य शर किया है। शब्दों-शब्दों में परमहंस बनने चले हो। ​​​तुम और कुछ नहीं, एक सवाल का जवाब दो, ​रसोई घर में हगोगे तो खाना कहां और कैसे खाओगे। पुराने जमाने में, जब आदमी के पास साधन कम थे, टट्टी करके उसपर राख डाल देता था, ताकि संक्रामक रोग न फैले। तुम चाहते हो, नई पीढ़ी सरेराह हगकर उसे शरीर में लपेट कर घूमे? यह बेशर्मी ही नहीं होगी, बल्कि महामारी भी फैलाएगी। सेक्स ​में मौज किसको न आएगी, पर हर लड़की जिस दिन नंगी होगी, हर युवक उत्तेजित होगा, उस दिन ब्लूफिल्म नहीं बनेगी। हर गली-चौराहा सेक्स का अड्डा होगा। तुम्हारी भाषा में इसे वेश्यावृत्ति नहीं कहा जा सकता, लेकिन तब कहने-न कहने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। जो कार्य तुम्हें बड़े प्राकृतिक समझ आ रहे हैं, वे तो पशु भी करते हैं। तो फिर तुम हो क्या। बुद्धिमान पशु, या बुद्धिहीन मनुष्य।
यह मत समझना कि मै ​तुम्हारी पीड़ा समझ नहीं रहा हूं। सच तो यह है कि तुम उपचार गलत कर रहे हो। समर्थन व्यक्ति उसी का करता है, जिसमें खुद इंट्रेस्टेड होता है। अपना इरादा स्पष्ट करो। ​
जिनके नक्श को फॉलो करने की कोशिश कर रहे हो, वे ही रजनीश बोले तो ओशो, एक गलती कर जीवन भर पछताए। संभोग से समाधि का प्रलाप किया, तो उनके चेले-चांटी जुट गए। समाधि तो भूल गई, सम्भोग में ही डूबे पड़े हैं और जमकर मौज कर रहे हैं। गुरु भी धन्य हो गया, चेले भी।
उम्मीद करता हूं, गलत चीज की फर्जी पैरवी बंद करोगे। दो-चार-दस, जितने भी इस ब्लाग के पाठक हैं, उनको बरगलाने का प्रयास नहीं ही करोगे।
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written by Chandan Singh (Patna), February 10, 2011

Mai apke Vichar se Bilkul sahmat hu.... Ye Image ye jarur bata raha hai ki koi jor jabardasti nahi hai balki...... apsi sahmati kai anusar hai....... are halla karne bale salo tum us rajnetao or ministro pe ungli kio nahi uthate jo sare aam Larki ke sath balatkar karta hai..... ye koi sandal to nahi hai jo halla kar raha hia kahi usme ye pakhandi to nahi samil hai.....

Prakash J apki manobirti to sexual lagti hai kiya irada hai....... esme to koi galt bat nahi likhi hai........ bran wash karo

chandan singh
Reporter TV 99
madhepura 09334572522
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written by sudhir, February 10, 2011
yasvant ji sooch samaj ker likha karo...
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written by prakash, February 10, 2011
अरे भाई साहब, आपने भी तो हिट के लिए क्या शब्दों की चासनी में लड़की की इज्जत बेंच दी। क्या आपको नहीं लगता कि आपको कम से कम इस खबर से दूर रहना चाहिए था। आपने फोटो फीचर बनाकर कौन सा सामाजिक सरोकार दिखाया है।
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written by Ravi Shankar, February 10, 2011

नाजुक दौर से गुजर रहा है देश........
ये बातें जब सुनने में आयी जिन्होनें ना सिर्फ अपने पेशे को,बल्कि अपने संस्थान के कई वर्षो की ईमानदारी व साफ सुथरें माहौल की तपस्या को केवल चंद मिनटों में तार तार कर दिया।मै उस लडके लडकी की बात नही कर रहा। मै बात कर रहा हूं जे एन यू प्रबंधन की,और दिल्ली पुलिस की।
मै आई आई टी के बगल 1 साल से ज्यादा जियासराय इलाके में रहा हूं कभी।जे एन यू में किसी ना किसी अपने शहर के मित्रों से मिलने जाता रहा। वहां के माहौल से वाकिफ हूं,हायर ऐडयूकेशन में प्रेम संभव है।संभव है कि लडका लडकी जिन्होंने आपसी सहमति से सेक्स किया,आगे के लिए उन्होनें एक साथ जीने शादी करने के बारे में सोचा हो। लेकिन किसी तीसरें जिसने ये कांड को अजांम दिया।उसने और जे एन यू ने उन सपनों को भी तोड दिया और उनके साथ उस लडके लडकी के कैरियर को भी चौपट कर दिया। शर्म आनी चाहिऐं जे एन यू प्रबंधन को
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written by santosh jain.raipur, February 10, 2011
Marji se kiya gaya sambhog pavitra hai ,aour jabran kiya gaya sahwas balatkar hai chahe patni (wife)hi kyo na ho,sambhog ka matlab hi hai barabar ka bhog ,yadi koi iska virodh karta hai to vah lomdi ko angoor nahi milne par use khatta batane wali bat hai,Bimar logo apna elage karwao,

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