रविवार, 24 जुलाई 2011

एमसीडी के सबसे करप्ट फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट में क्या होगा भगवान


 फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट में नया खेल
कमाई के लिए बेहाल है सारे नए इंस्पेक्टर / अनामी शरण बबल

दिल्ली नगर निगम के फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट में कमाई के लिए सारे नए इंस्पेक्टर बेहाल है। दलालों, बिचौलियों की मदद से ये इंस्पेक्टर पूरे इलाके की खबर ले रहे है। गलत काम करने वाले तमाम उधमियों और अवैध फैक्टरी का जायजा का काम चालू हो गया है। अपनी माहवारी तय करने के लिए इंस्पेक्टरों की मदद में दलालों की चांदी हो रही है। वहीं ज्यादातर इंस्पेक्टर अपने इलाके का मूड भांपते हुए ज्यादा से ज्यादा कमाई करने की जुगाड़ भिड़ा रहे है। नए इंस्पेक्टरों से गलत धंधा करने वाले उधमी भी अपने एरिया के इंस्पेक्टर से गोटी बैठाने की जुगाड़ में लगे हैं।
एडीशनल कमीश्नर जनक दिग्गल ने पुराने सभी इंस्पेक्टरों को वापस पुराने डिपार्टमेंट में भेजा गया।  मगर तबादले की इस थोक कार्रवाई के बाद भी तमाम नियम कानून की धज्जियां उड़ाने वाले अनिल कुमार को फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट में ही रहने दिया गया। अपने पिता की मौत के बाद करूणामूलक आधार पर नौकरी पाने वाला अनिल पिछले छह साल से इसी डिपार्टमेंट में है।
अनिल का तबादला नहीं होने से ज्यादातर लोग चकित है। सबों को इसमें दिग्गल के साथ कोई मामला सेट होने की चर्चा गरम है। हालांकि इसमें सच्चाई क्या है यह तो नहीं पता, मगर यमुनापार में एक इंस्पेक्टर के रहते अनिल को भी इंस्पेक्टर बनाकर भेजने के साथ ही इसके पावरफुल होने का मामला दिखने लगा है। गौरतलब है कि शिक्षा दीक्षा और पोस्ट के आधार पर अनिल कुमार अभी इंस्पेक्टर बनने के लायक ही नहीं है। मगर अनिल ने एक ही साथ अलका शर्मा के बाद दिग्गल के साथ भी गोटी फिट करके एमसीडी बेखौफ काम से ज्यादा कमाई में लगा है। हालांकि इस बारे में एओ रामफल भी अपना मुंह खोलने से कतरा रहे है।दिल्ली इक्सप्रेस द्वारा जोर दिए जाने के बाद रामफल ने इसे अपने अधिकार से बाहर कह कर बचाव किया।
उल्लेखनीय है कि निगम के एडीशनल कमीश्नर जनक दिग्गल द्वारा एक ही झटके में कमीश्नर केसी मेहरा तक को बताए बगैर ही सभी इंस्पेक्टरों को यहां से रफा दफा कर दिया गया। पत्रांक एओ-केसी-2011-डी 223के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी रामफल के आदेश के बाद फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट में 17 नए इंस्पेक्टरों को यहां पर तैनात किया गया है।
कमाई के मामले में सबसे मालदार फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट में आने वाले इंस्पेक्टरों में राजेश डोगरा को जीटीकरनाल रोड, राजस्थान औधोगिक नगर समेत अवैध फैक्टरियों से भरे पड़े मालदार इलाके का इंस्पेक्टर बनाया गया है। विपक्ष के नेता जयकिशन शर्मा के सिफारिशी लेटर के बाद दिनेश कुमार शर्मा को भी कमाऊ इलाका वजीरपुर में इंस्पेक्टर बनाकर भेजा गया है। वीआईपी मामविवादित मामलों को निपटाने के लिए रमेश गुप्ता को इंस्पेक्टर बनाया गया है। यह भी मोटी कमाई वाला वीआईपी सेल है। जिसमें निगम के तमाम आला अधिकारियों के साथ साथ मालदार के साथ बड़े इधमियों के करीब होने का नायाब मौका मिलता है। राजेश बंसल को भी ओखला औधोगिक इलाका दिया गया है। जहां के बारे में यह कहावत मशहूर है कि यहां के लोग अगर गाली भी देते हैं तो इंस्पेक्टर के घर पर पैसों की बरसात होने लगती है। गालियों से नवादे जाने की बाट जोहने के लिए बंसल के हमराज के रूप में मनीष कुमार को भेजा गया है। यहां पर ये लोग कदमताल और अपने आला अधिकारियों को पटा करके अगर दो एक साल भी टिक गए तो कई पीढ़ियों के लिए माल जमा कर लेना मामूली बात है। मगर यहां पर टीकना इतना आसान नहीं होता।
कमाई के मामले में तो कहा जाता है कि इसके गुसलखाने में ही लेन देन के सौदे फिक्स होते है। गुसलखाने के बाहर बैठने वाला भी रोजाना नमस्ते करके गांधी बाबा को घर ले जाता है। जीवन सिंह और विजय सिंहकोभी आनंद विहार और नारायणा समेत रामा रोड और आसपास के मालदार इलाके मिले है। यहां पर भी आला अधिकारियों के चारण वंदना के बगैर लंबे समय तक टीके रहना नामुमकिन है। शशि कुमार शर्मा और इजहार अहमद को इस समय का सबसे मालदार और गरम इलाका नरेला और बवाना के कई सेक्टरो समेत पूरा इलाका दिया गया है। यह एक विकसित हो रहा नया औधोगिक क्षेत्र है। जाहिर है कि उधमियों के साथ मिलकर अंधा बांटे रेवड़ी खाने में ये इंस्पेक्टर भी पीछे कैसे रह सकते हैं ?
वेस्ट दिल्ली के पीरागढ़ी, नांगलोई, मुंडका, सावनपार्क समेत सभी बड़े और पुराने औधोगिक क्षेत्रों को राजेश कुमार शर्मा और मुकेश अग्रवाल कोसौंपा गया है। यही हाल यमुनापार में है। पूरे इलाके को दो भागों में बांट करके मुदित शर्मा और ब्रहप्रकाश को मंडावली, करावल नगर, जवाहरनगर,झिलमिलपटपड़गंज दिलशाद गार्डन जैसे कमाई के मामले में दूसरे इलाकों के कान काटने वाले साबित होते रहे है। युद्धवीर स्ंह को रिठाला, लारेंसरोड, मंगोलपुरी तो रणवीर सिंह को समयपुर बादली लिबासपुर, हैदरपुर,, शालामार समेत सुलतानपुर जैसा इलासका सौंपा गया है। जहां के बारे में कहा जाता है कि दलालों की मदद से इंस्पेक्टरों को गड्डियां ले जाने के लिए भी टाटा 407 लानी पड़ती है।
मायापुरी, ख्याला, तिलकनगर, बसई दारापुर, नवादा, और केशोपुर जैसे दर्जनों औधोगिक क्षेत्र में बतौर इंस्पेक्टर के रूप में राजेन्द्र कुमार और हरदीप सिंह को भेदा गया है। इस इलाके के बारे में रहा जाता है कि दो चार नेताओंको अगप फिट कर लिया जाए (कुछ विधायक समेत आधा दर्जन पार्षद है) तो यहां के इंस्पेक्टरों को भी नोट ले जाने के लिए ट्रक लानी पड़ती है।
ज्वाईन करने के साथ ही कमाई के लिए बेहाल इन इंस्पेक्टरों से एमसीडी को क्या लाभ होगा यह तो भगवान भी नहीं बता सकता, मगर अवैध फैक्टरियों के लिए ये जितना संजीवन बनते है ( जैसा कि अब तक के सारे इंस्पेक्टर यहां आकर कमाई के नशे में
संजीवन ही बन जाते हैं) तो इनको भी महेन्द्रा के चैंपियन जैसी ही किसी मालवाहक की ही जरूरत पड़ेगी।
 यानी दिल्ली के नोट उगलने वाले तमाम इलाकों में ये इंस्पेक्टर काम संभाल चुके है। दान दक्षिणा लेने से पहले अधिकारियों के चरण पर मासिक चढावा की रकम फिक्स करनी पड़ती है। खासकर आला अधिकारियों से लेकर पार्षदों और विपक्षी पार्टी से लेकर सबों को खुश रखना पड़ता है।। अब देखना है कि दिल्ली को कागजी तौर पर अवैध फैक्टरी से मुक्त कराने के इस अभियान को कितना फलीभूत करके अपनी औकात और हैसियत को कितना बढ़ा पाते है। सबसे कड़वी सच्चाई तो यह है कि यहां फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट मेंआने और नोटों की फसल जमकर काटने का मौका हर किसी को जिंदगी में बार बार नहीं नसीब होता।
गौरतलब है कि चुनावी साल होने से यहां के इंस्पेक्टरों को इस बार कुछ ज्यादा ही दान दक्षिणा देना पड़ सकता। वहीं इस डिपार्टमेंट की हेड अलका शर्मा को भी अन नए इंस्पेक्टरों के साथ भी कदमताल बैठानी पड़ेगी। यानी नए इंस्पेक्टरों के आने से छोटे बड़े दलालों, बाबूओं, से लेकर हर स्तर के हिस्सेदार अपने रकम और मासिक चढ़ावे को लेकर फिलहाल आशंकित है।   

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