प्रवर्तन निदेशालय की जांच की गति कुछ शिथिल होती दिख रही है. इसका कारण हाई प्रोफाइल मुकदमों से निपटने का दबाव अथवा काम की अधिकता हो सकता है. निदेशालय पर हसन अली मनी लांड्रिंग, 2-जी स्पेक्ट्रम, आईपीएल, कॉमनवेल्थ और हाल में चर्चा में आए 400 करोड़ के बैंक घोटाले की जांच का भार है. जानकारी के अनुसार, पिछले तीन महीने में कम से कम 10 अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की है. 6 अधिकारियों ने तो गत माह संबंधित कागजात भी सौंप दिए. विश्लेषकों का मानना है कि उक्त बाबू, जो समय पूर्व सेवानिवृत्ति चाह रहे हैं, उसका कारण यह नहीं है कि उन्हें निजी क्षेत्र में अच्छे अवसरों की तलाश है, बल्कि संवेदनशील मामलों की जांच और राजनीतिक दबाव के बीच संतुलन बनाना उनके लिए कठिन हो रहा है. ऐसे में उन्हें लग रहा है कि वर्क लोड कम होने के आसार फिलहाल नहीं हैं, इसलिए रिटायरमेंट लेना ही बेहतर है. ऐसे में उन नियुक्तियों को बल मिल सकता है, जो लंबे समय से लंबित हैं. निदेशालय में 1400 पद रिक्त हैं, जिन्हें भरा जाना जरूरी है.
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