बुधवार, 13 जुलाई 2011

गांजे की अवैध खेती और तस्‍करी बढ़ी




किसी ज़माने में मध्य प्रदेश के मालवा अंचल का मंदसौर और रतलाम ज़िला अफीम की अवैध खेती और तस्करी के लिए बदनाम था. इस दौरान सरकार ने कई  सख्त क़ानून लगाते हुए अफीम और गांजे की खेती पर बैन लगाया. पर कहते हैं ना कि जब भी कोई नया क़ानून बनता है, उसके पालन से पहले उसका तो़ड पहले खोज लिया जाता है. इसी का परिणाम है कि अब राज्य के कई ज़िलों में गांजे की अवैध खेती हो रही है. बड़े पैमाने पर गांजा राज्य से बाहर तस्करी के लिए भेजा जा रहा है. प्रशासन कभी कभार ही सक्रिय होकर गांजे की खेती और तस्करी के मामले में गिरफ़्तारी करता है.
जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र के बड़े शहरों में गांजा भेजा जाता है जहां गांजे से हेरोइन और दूसरे नशीले पदार्थ बनाए जाते हैं. जिनकी भारत के बड़े शहरों और विदेशों में बड़ी मांग है. गांजे की अवैध खेती से लेकर तस्करी तक का कारोबार करोड़ों रूपयों का है.
राज्य के वन प्रधान ज़िलों में जंगलों के बीच खाली पड़ी ज़मीन पर गांजे की अवैध खेती धड़ल्ले से की जाती है और जब फसल पक जाती है तो उसे तस्करी के लिए बाहर भेज दिया जाता है. खरगौन, बड़वानी, खण्डवा, सिवनी, बालाघाट ज़िलों में पुलिस आबकारी और वन विभाग के कर्मचारियों ने ऐसे कई मामले पकड़े हैं. पिछले दिनों सतना ज़िले के लालपुर गांव में लगभग 45 लाख रुपये का अवैध गांजा पकड़ा गया. यह गांजा आबकारी विभाग के एक क्लर्क की मदद से ले जाया जा रहा था. लेकिन पुलिस की सक्रियता से उसे मौके पर ही पकड़ लिया. पुलिस को गांजे की तस्करी की सूचना अपने मु़खबिरों से मिली थी.
हाल ही में शिवपुरी ज़िले के खनिमांधना विकास खण्ड में पुलिस ने गांजे की अवैध खेती का एक और मामला पकड़ा था और इस मामले में एक किसान दंपत्ति सूरजसिंह और उसकी पत्नी रामकली को हिरासत में लिया था. ज़िला पुलिस अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि सूरज सिंह और उसकी पत्नी खेत में साग सब्ज़ियों के बीच अवैध रूप से गांजे की फसल उगाते थे. पुलिस ने उनके दो खेतों से 21 किलो गांजे के पौधे और घर से सवा किलो सूखा गांजा बरामद किया है.
जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र के बड़े शहरों में गांजा भेजा जाता है जहां गांजे से हेरोइन और दूसरे नशीले पदार्थ बनाए जाते हैं. जिनकी भारत के बड़े शहरों और विदेशों में बड़ी मांग है. गांजे की अवैध खेती से लेकर तस्करी तक का कारोबार करोड़ों रूपयों का है.
पिछले दिनों भोपाल के उपनगर मिसरोद में आबकारी विभाग का अर्जुन मीणा, तीन अन्य व्यक्तियों के साथ 20 किलोग्राम गांजे की तस्करी के आरोप में पुलिस की गिरफ़्त में आया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि आबकारी हवलदार अर्जुन मीणा की इन तस्करों से मिली-भगत रही है और वह शिवकुमार उ़र्फ मुन्ना नाम के तस्कर से इस सिलसिले में मिलने आया था. इन गिरफ़्तारियों से पता चलता है कि गांजे की तस्करी और अवैध खेती का धंधा ज़ोरों पर है और इसे रोकने के लिए पुलिस को अपनी सक्रियता बढ़ानी होगी.

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