बुढी़ गंडक की विभीषिका से उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर एवं समस्तीपुर तथा अन्य प्रभावित क्षेत्रों को बचाने के लिए ददौल घाट पर बैराज बनाने की महत्वाकांक्षी योजना वर्षों से खटाई में पड़ी है। इस संबंध में सिंचाई विभाग के समस्तीपुर स्थित मास्टर प्लांनिग अंचल ने एक विस्तृत योजना तैयार कर वर्ष 1983 में बिहार सरकार को सौंपी थी लेकिन 28 वर्षों में भी यह कार्य पूरा नहीं हो सका है। फलस्वरूप लोगों में काफी रोष है। राजद नेता फैजुर रहमान फैज ने ददौल घाट बैराज योजना को जल्द पूरा करने की मांग वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की है। उन्होंने कहा कि इस योजना के पूरा होने से इस क्षेत्र के लोगों को सिंचाई के लिए पानी और बिजली की व्यवस्था होगी। ज्ञात हो कि वर्ष 1987 के बाढ़ में तिरहुत कृषि महाविद्यालय ढोली के समीप मुरौल गांव में बूढ़ी गंडक तटबंध टूटने से मुजफ्फरपुर जिले का सकरा तथा वैशाली जिले के पातेपुर प्रखंड में जानमाल की जो हानि हुई, उससे कहीं अधिक विध्वंस समस्तीपुर जिले में हुआ। सात लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई तथा करोड़ो रुपयों की फसल बर्बाद हो गई।
हजारों मकान ध्वस्त हो गए। 39 लोगों की मृत्यु बाढ़ के पानी में डूबने से हो गई थी। जानकारों का कहना है कि समस्तीपुर जिले की इस बर्बादी को बचाया जा सकता था यदि ददौल घाट बैराज योजना को पूरा कर नून नदी तटबंध के साथ ही सुल्तानपुर नून नदी लिंक चैनल योजना पूरी हो जाती। लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। वैसे नून नदी परियोजना पर वर्तमान में कार्य जारी है लेकिन ददौल घाट बैराज योजना अब भी खटाई में पड़ी हुई है। गौरतलब है कि बूड़ी गंडक नदी हर वर्ष बरसात में मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय सहित खगड़िया जिलों में प्रलंयकारी बन जाती है। करोड़ों की संपत्ति के साथ-साथ सैकड़ों जानें हर वर्ष इस नदी में समा जाती है। बाढ़ सहायता एवं बचाव कार्य के नाम पर भी हर वर्ष सरकारी राजस्व की भारी बर्बादी होती है। इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या पर नियंत्रण के उद्देश्य से सरकार ने अनुसंधान एवं योजना कार्य के लिए समस्तीपुर में एक अधीक्षण अभियंता को पद-स्थापित किया।
इस अंचल के अधीन समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, खगड़िया आदि का क्षेत्र है। इसी अंचल ने समस्तीपुर से 23 मील पश्चिम बूढ़ी गंडक के ददौल घट पर 39.35 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले बैराज योजना का प्रारंभिक प्रतिवेदन राज्य सरकार को 28 वर्ष पूर्व 1983 ईस्वी में सौंपा था। इस योजना के कार्यान्वयन से 3.85 लाख एकड़ कृषि योग्य भूमि के सिंचित होने का अनुमान लगाया गया था। साथ ही मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय तथा खगड़िया जिलों की बाढ़ से योजनाबद्ध ढंग से सुरक्षा होती। इतना ही नहीं, इस योजना से पनबिजली उत्पादन की भी संभावना थी। 28 वर्ष पूर्व बनी इस योजना की फाइल अब तक दफ्तरों में उपेक्षित पड़ी है लेकिन सिंचाई विभाग के समस्तीपुर स्थित मुख्य अभियंता एवं संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
इस क्षेत्र की जनता को सुशासन की सरकार के नाम पर दूसरी पारी खेलने वाले बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल वर्तमान जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी पर भरोसा है कि वह इस योजना को जल्द शुरू कराने की दिशा में पहल करेंगे। अब देखना है कि समस्तीपुर जिले के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक एवं राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ददौल घाट बराज योजना की शुरुआत कब तक कराते हैं या वह भी पूर्व जल संसाधन मंत्रियों की तरह उक्त योजना को नजर अंदाज कर देंगे। यह तो आनेवाला वक्त ही बतायेगा।
हजारों मकान ध्वस्त हो गए। 39 लोगों की मृत्यु बाढ़ के पानी में डूबने से हो गई थी। जानकारों का कहना है कि समस्तीपुर जिले की इस बर्बादी को बचाया जा सकता था यदि ददौल घाट बैराज योजना को पूरा कर नून नदी तटबंध के साथ ही सुल्तानपुर नून नदी लिंक चैनल योजना पूरी हो जाती। लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। वैसे नून नदी परियोजना पर वर्तमान में कार्य जारी है लेकिन ददौल घाट बैराज योजना अब भी खटाई में पड़ी हुई है। गौरतलब है कि बूड़ी गंडक नदी हर वर्ष बरसात में मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय सहित खगड़िया जिलों में प्रलंयकारी बन जाती है। करोड़ों की संपत्ति के साथ-साथ सैकड़ों जानें हर वर्ष इस नदी में समा जाती है। बाढ़ सहायता एवं बचाव कार्य के नाम पर भी हर वर्ष सरकारी राजस्व की भारी बर्बादी होती है। इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या पर नियंत्रण के उद्देश्य से सरकार ने अनुसंधान एवं योजना कार्य के लिए समस्तीपुर में एक अधीक्षण अभियंता को पद-स्थापित किया।
इस अंचल के अधीन समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, खगड़िया आदि का क्षेत्र है। इसी अंचल ने समस्तीपुर से 23 मील पश्चिम बूढ़ी गंडक के ददौल घट पर 39.35 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले बैराज योजना का प्रारंभिक प्रतिवेदन राज्य सरकार को 28 वर्ष पूर्व 1983 ईस्वी में सौंपा था। इस योजना के कार्यान्वयन से 3.85 लाख एकड़ कृषि योग्य भूमि के सिंचित होने का अनुमान लगाया गया था। साथ ही मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय तथा खगड़िया जिलों की बाढ़ से योजनाबद्ध ढंग से सुरक्षा होती। इतना ही नहीं, इस योजना से पनबिजली उत्पादन की भी संभावना थी। 28 वर्ष पूर्व बनी इस योजना की फाइल अब तक दफ्तरों में उपेक्षित पड़ी है लेकिन सिंचाई विभाग के समस्तीपुर स्थित मुख्य अभियंता एवं संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
इस क्षेत्र की जनता को सुशासन की सरकार के नाम पर दूसरी पारी खेलने वाले बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल वर्तमान जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी पर भरोसा है कि वह इस योजना को जल्द शुरू कराने की दिशा में पहल करेंगे। अब देखना है कि समस्तीपुर जिले के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक एवं राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ददौल घाट बराज योजना की शुरुआत कब तक कराते हैं या वह भी पूर्व जल संसाधन मंत्रियों की तरह उक्त योजना को नजर अंदाज कर देंगे। यह तो आनेवाला वक्त ही बतायेगा।
अफजल इमाम मुन्ना
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