कोई और नहीं, अपने ही सितम ढाते हैं. बात जब महिलाओं के उत्पीड़न की हो तो खासकर अपने नाते-रिश्तेदार ही कठघरे में खड़े नजर आते हैं. कई तरह के सर्वे और आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि महिला हिंसा के मामले में ज्यादातर आरोपी व दोषी उनके निजी, करीबी व अपने लोग होते हैं. दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र संघ की एक शाखा यूएन वूमन ने महिलाओं से संबंधित कुछ तथ्य जारी किए हैं.
प्रोग्रेस आफ द वर्ल्ड वूमेन नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब दस फीसदी महिलाएं यौन हिंसा की शिकार हैं और 35 फीसदी महिलाएं अपने पति के हाथों हिंसा की शिकार होती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक चालीस फीसदी महिलाएं खुद मानती हैं कि उनका पति के हाथों पीटा जाना उचित है. यूएन वोमेन के लिए यह सर्वेक्षण साक्षी नामक एक महिला संगठन ने किया है.
इस सर्वे के काम में 109 जज शामिल हुए. इन न्यायाधीशों ने पाया कि 68 फीसदी पुरुष मानते हैं कि महिलाएं उत्तेजक वस्त्र पहनने जाने से हिंसा की शिकार होती हैं और बलात्कार की शिकार बन जाती हैं. सर्वे से यह भी पता चला कि महिलाओं के श्रम का इस्तेमाल कामकाज में न होने के कारण भारत को जीडीपी में 4.3 फीसदी का घाटा उठाना पड़ता है. इस रिपोर्ट के बारे में संयुक्त राष्ट्र की सहायक महासचिव व उप कार्यकारी निदेशक लक्ष्मी पुरी का कहना है कि भारत इन आंकड़ों के जरिए अपने यहां की महिलाओं के जीवन स्तर को बेहतर करने का प्रयास कर सकता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें