दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।
शुक्रवार, 15 जुलाई 2011
बाबू बिन विभाग
सरकार के तीन महत्वपूर्ण विभाग बिना उच्चाधिकारी के काम कर रहे हैं. सरकार इन पदों पर नियुक्ति के लिए योग्य अधिकारी की तलाश कर रही है. पी जे थॉमस की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद से ही सीवीसी का पद रिक्त है. इसी तरह एनएचएआई और आईटी विभाग में भी सचिव का पद खाली है.
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