भारत-नेपाल सीमा को मा़फियाओं ने मूर्ति तस्करी के लिए चुना है. पूछताछ के दौरान तस्करों ने स्पष्ट कहा कि कि मुख्य सरगना नेपाल में बैठा हुआ है और उसके एजेंट सरहद पर जगह-जगह अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. उनके माध्यम से मूर्तियां चोरी कराई जाती हैं. विगत मार्च में सदर थाना क्षेत्र में एसओजी ने दस करोड़ की बुद्ध की प्रतिमा बरामद की थी.चार करोड़ रुपए मूल्य की अष्टधातु निर्मित भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ सोनभद्र पुलिस ने 9 अगस्त 2008 मूर्ति तस्करों छोटे मिया, बंशगोपाल, बंशीधर और मनोज को पकड़ा. 13 अगस्त को मुट्ठीगंज, इलाहाबाद पुलिस ने अष्टधातु से बनी बुद्घ की मूर्ति के साथ तस्कर कमलाकांत यादव को पकड़ा. मूर्ति चोर ने बताया कि इलाहाबाद और कौशांबी जनपद में अनेक मूर्ति चोरियों में शामिल रह चुका है. मथुरा जनपद पुलिस की एस.ओ.जी. टीम ने मुठभेड़ के दौरान दो तस्करों को तीन अष्टधातु मूर्तियों के साथ पकड़ा. पकड़े गए तस्करों के पास भगवान बुद्ध और राधाकृष्ण की मूर्ति बरामद हुई. 21 मई 2009 को आज़मगढ़ जनपद की पुलिस ने चेकिंग के दौरान योगेंद्र, अजय कुमार, रमेश निशाद तथा रामचंद्र को तीन किलोग्राम वजन की भगवान बुद्ध की अष्टधातु की प्रतिमा के साथ गिरफ़्तार किया. 19 जून 2009 को बकेवर, इटावा के ग्राम धर्मपुरा के महामाया देवी मंदिर से अष्टधातु की बुद्ध की बहन महामाया की मूर्ति चोरी हुई. कर्वी चित्रकूट जनपद की मध्यप्रदेश से लगी सीमा के पास गांव चितरा गोकुलपुर में बेशक़ीमती मूर्ति बेचने जा रहे एक तस्कर को एसओजी ने गिरफ़्तार किया है. बरामद अति प्राचीन मूर्ति बुद्ध की है, जोकि अष्टधातु निर्मित थी. भारत-नेपाल की खुली सीमा मूर्ति तस्करों के लिए सबसे सरल मार्ग बन गया है. पूर्वाचंल के प्राचीन बौद्ध मठ और मंदिरों से अष्टधातु की बेशक़ीमती मूर्तियां चुराकर अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेच रहे हैं. इस कारोबार में सबसे ऊंची बोली बुद्ध प्रतिमा की है. निरंतर बुद्ध मूर्तियों की बरामदगी से यह बात प्रमाणित भी होती है.
भारत-नेपाल सीमा को मा़फियाओं ने मूर्ति तस्करी के लिए चुना है. पूछताछ के दौरान तस्करों ने स्पष्ट कहा कि कि मुख्य सरगना नेपाल में बैठा हुआ है और उसके एजेंट सरहद पर जगह-जगह अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. उनके माध्यम से मूर्तियां चोरी कराई जाती हैं. विगत मार्च में सदर थाना क्षेत्र में एसओजी ने दस करोड़ की बुद्ध की प्रतिमा बरामद की थी. इसके पहले 09 अगस्त में लोटन कोतवाली क्षेत्र से एसओजी ने दस किलोग्राम अष्टधातु की बुद्ध की प्रतिमा के साथ दो मूर्ति तस्करों को पकड़ा था. बरामदग़ी के दौरान तस्करों ने स्पष्ट किया था कि उनका मुख्य सरगना काठमांडू में बैठा हुआ है. यह घटनाएं महज़ बानगी मात्र हैं. छोटी-बड़ी सभी घटनाओं को मिला दिया जाए तो बलरामपुर से लेकर महाराजगंज सीमा तक पिछले एक वर्ष में तीन दर्जन से अधिक बेशक़ीमती प्रतिमाएं बरामद हुई हैं. पकड़े गए मूर्ति तस्करों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सबसे महंगी प्रतिमा बुद्ध की है. स़िर्फ सिद्धार्थनगर की ही बात करें तो पिछले एक वर्ष में यहां बुद्ध की तीन प्रतिमाएं दस-दस करोड़ की पाई गई हैं. अष्टधातु की यह प्रतिमाएं पुरानी और वजनी हैं. अष्टधातु की मूर्तियों के निशाने पर होने के धार्मिक ही नहीं आर्थिक आधार भी हैं.
प्राचीन भारत में धातुओं को शोधन करने की प्रक्रिया को जानने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. इस शोध के लिए भी इन मूर्तियों की तस्करी की जा रही है. तस्करों ने पुलिस के सामने स्वीकार भी किया है कि वे इन मूर्तियों से स्वर्ण जैसी क़ीमती धातु को अलग करने का प्रयास कभी नहीं करते, जबकि मूर्ति चोरी में मिलने वाले धन से अधिक धन मूर्ति से स्वर्ण अलग करने में मिल सकता है. पहले प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां पाषाण निर्मित चुराई जाती थी, पर पिछले कुछ वर्षों से अष्टधातु की मूर्तियां तस्करों के निशाने पर हैं. उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मूर्ति तस्कर गिरफ़्तार किए जा चुके हैं. वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल से पिछले एक वर्ष में लगभग सौ करोड़ रुपए की मूर्तियां चोरों ने चुरा ली. पिछले एक दशक में मूर्ति चोरी एक हाई क्लास परफॉर्मेंस और ईजी टारगेट के रूप में उभरी है.
क्यों चोरी हो रही हैं, अष्टधातु की प्राचीन मूर्तियां? सोने चांदी की मूर्तियों पर माफियाओं की नज़र क्यों नहीं? सारनाथ से चोरी हुई भगवान बुद्ध की स्वर्ण प्रतिमा का मामला अपवाद माना जा सकता है. यह प्रतिमा स्वर्ण के कारण नहीं वरन एंटिक पीस के कारण ही बेशक़ीमती थी. वहीं सामान्य तरीक़े से रखा भगवान बुद्ध का दांत उन्होंने नहीं उड़ाया, जबकि इसकी क़ीमत मूर्ति की क़ीमत से कई कई गुणा ज़्यादा है. एंटिक पीस की मूर्तियों को खुले बाज़ार में नहीं बेचा जा सकता. इस काले कारोबार के दस्तूर के अनुसार चोरी के पहले ही प्रतिमाओं का सौदा हो जाता है. जब सौदे की पेशगी अदा हो जाती है, तभी चोरी की घटना को अंजाम दिया जाता है. लगातार हो रहे मूर्तियों की तस्करी से लगता है कि प्रदेश सरकार बुद्ध की मूर्तियों को तस्करों से बचा पाएगी. पुलिस के एक अलाधिकारी बताते हैं कि जब तक धारा 30(1) एंसिएंट मोनोमेंट एंड आर्कियोलॉजिकल साइट एंड रमेन एक्ट 1958 में कड़े प्रावधान नहीं किए जाते, तब अष्टधातुओं की मूर्तियों पर ़खतरा मंडराता ही रहेगा. उत्तर प्रदेश पुलिस के पास बुद्ध मूर्ति चोरी की घटनाओं का विस्तृत रिकॉर्ड न मिल पाने के कारण यह अनुमान लगाना कठिन है कि प्रदेश में प्रतिवर्ष कितनी बुद्ध की मूर्तियां चोरी हो रहीं हैं. यूपी के सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, कौशांबी, कुशीनगर, वाराणसी, फर्रु़खाबाद जैसे प्राचीन बौद्ध क्षेत्रों पर मूर्ति तस्करों की नज़र है. तस्कर प्राचीन मंदिरों और मठों में पर्यटक के वेश में मूर्तियों की खोज बीन में लगे रहते हैं. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का अपने जन्मदिन पर भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की सार्वजनिक घोषणा के बाद भी भगवान बुद्ध की मूर्तियों पर गहराता संकट चिंता का सबब बना हुआ है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें