दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।
मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य गुजरात में शराबबंदी लागू है, लेकिन वहां के सभी शहरों में अवैध रूप से शराब का कारोबार धड़ल्ले से होता है. वजह, मध्य प्रदेश से तस्करी के ज़रिए रोज बड़ी मात्रा में शराब गुजरात भेजी जाती है. तस्करी के इस कारोबार में शराब कारखाने से लेकर सरकारी एवं ग़ैर सरकारी शराब ठेकेदार, पुलिस और आबकारी विभाग के कर्मचारी शामिल हैं. गुजरात की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के झाबुआ ज़िले के पिटोल कस्बे से रोज ही अवैध रूप से शराब गुजरात भेजी जाती है. कभी-कभी पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा दिखाने के लिए छापामारी करके कुछ मात्रा में शराब पकड़ ली जाती है. जानकारों का कहना है कि छापे की कार्रवाई भी तस्करों के सहयोग से ही अंजाम दी जाती है. अवैध गतिविधियों के लिए कुख्यात हो चुके पिटोल में एक बार फिर पुलिस ने अब तक की सबसे बड़ी छापामार कार्रवाई करते हुए अंग्रेजी शराब की लाइसेंसी दुकान से सटे एक कथित गोडाउन से 2438 पेटी शराब बरामद की है.गत 9 मार्च को रात्रि लगभग 12 बजे पुलिस ने पिटोल कस्बे में सरकारी शराब की दुकान के पास स्थित एक गोदाम पर छापा मारकर अवैध रूप से रखी गई 2438 पेटी शराब बरामद की, जिसका मूल्य लगभग 50 लाख रुपये बताया जाता है. गुजरात में इस शराब का मूल्य बढ़कर एक से सवा करोड़ रुपये हो जाता है. इसमें अधिकांश शराब हाई रेंज की है. छापे में 960 पेटी रॉयल स्टार व्हिस्की, 356 पेटी ब्लू चीफ क्वार्टर, 780 पेटी पॉवर स्ट्रांग-5000 बीयर, 60 पेटी एरिस्टोक्रेट प्रीमियम, 50 पेटी एरिस्टोक्रेट व्हिस्की, 90 पेटी एसी ओल्ड रिजर्व एवं दो पेटी बोदका बरामद हुई. पुलिस ने मौक़े से उमाकांत जायसवाल एवं सुखदेव चौहान को गिरफ़्तार किया. झाबुआ और गुजरात मध्य प्रदेश का झाबुआ ज़िला मूलत: आदिवासी बहुल क्षेत्र है. राज्य की प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आय जहां 21 हज़ार रुपये है, वहीं झाबुआ ज़िले में यह आय 11621 रुपये है. यानी यह ज़िला राज्य का अति ग़रीब क्षेत्र है. राज्य की कुल आबकारी आय 1536 करोड़ रुपये की तुलना में झाबुआ ज़िले में आबकारी आय लगभग 75 करोड़ रुपये बताई जाती है, जो राज्य के किसी भी संपन्न ज़िले की आबकारी आय से कहीं ज़्यादा है. इससे स्पष्ट है कि सरकारी ठेकों और दुकानों को वैध रूप से आपूर्ति की जाने वाली शराब की एक बड़ी मात्रा तस्करी द्वारा गुजरात भेज दी जाती है. तस्करी के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-59 का उपयोग किया जाता है. रात में दो बजे से सुबह छह बजे तक ट्रकों, ट्रालियों और अन्य वाहनों के ज़रिए शराब गुजरात पहुंचाई जाती है. इसके लिए झाबुआ ज़िले के सीमावर्ती कस्बों और गांवों में बड़ी मात्रा में अवैध रूप से शराब का भंडारण किया जाता है. इसे भी पढ़े...Tags: English Gujarat Madhya Pradesh Police alcohol contractors employees illegal smuggling अंग्रेजी अवैध कर्मचारी गुजरात ठेकेदार तस्करी पुलिस मध्य प्रदेश शराब April 2nd, 2010 | Print This Post | Email This Post |283 views |
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