शनिवार, 23 जुलाई 2011

राष्ट्रपति ने किया सरकारी धन का गलत इस्तेमाल


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: गोवा हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील एरिस रॉडरिक्स ने आरटीआई से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं. इससे पता लगा है कि महामहिम राष्ट्रपति महोदया चार दिन की सरकारी यात्रा पर कुनबे के साथ गोवा गईं पर सरकारी काम कुछ नहीं किया. वे दरअसल घूमने और मौज-मस्ती के इरादे से गईं थीं. मतलब साफ है, प्रतिभा के भी दामन दागदार हैं. उन्होंने सरकारी धन का बेहूदा इस्तेमाल किया.
यह प्रकरण है तो पुराना लेकिन अब भी ताजा है और तब तक इस पर चर्चा होती रहेगी जब तक इस पर बड़े बड़े आफिस मौन रहेंगे. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल अपने कुनबे और लाव-लश्कर के साथ इस साल के जनवरी महीने में गोवा गईं थीं. छुट्टियां मनाने. आराम फरमाने. हालांकि उनकी यात्रा निजी थी या आफिसियल, यह बात उनकी गोवा यात्रा खत्म होने के बाद काफी दिनों तक स्पष्ट नहीं हो पाया था. खुद राष्ट्रपति कार्यालय चुप्पी साधे रहा. गोवा सरकार के लोग भी मुंह बंद किए रहे. गोवा पुलिस वहां के पत्रकारों को राष्ट्रपति की यात्रा निजी होने की बात कहकर उनसे दूर रहने के मौखिक निर्देश देती रही.
लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर राष्ट्रपति का गोवा दौरा निजी था तो सरकारी धन क्यों बर्बाद किया गया. और, दौरा सरकारी था तो सरकार बताए कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल कौन सा सरकारी काम करने गोवा गईं थीं. और वे अपने कुनबे के साथ क्यों गईं थी. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की गोवा यात्रा के दौरान तीन फोटो पत्रकारों ने गोवा तट पर उनकी तस्वीर ली. राष्ट्रपति रंगीन साड़ी में बेनाउलिम समुद्र तट पर बैठी थीं. उनके पास से एक विदेशी जोड़ा अधनंगा (तैराकी की पोशाक में) होकर गुजर रहा था. यह तस्वीर अगले दिन स्थानीय अखबारों में छपी. फिर क्या. मडगांव पुलिस ने तीनों फोटो पत्रकारों गगनदीप शेलदेकर, सोइरु कुमार पंत व अरविन्द तेंगसे को थाने बुला लिया.
पुलिस ने इन फोटोग्राफरों से कहा कि यह राष्ट्रपति की निजी यात्रा है और इसकी तस्वीरें नहीं ले सकते. पत्रकारों को राष्ट्रपति के घेरे से दूर रहने को कह दिया गया था. सरकारी प्रताड़ना के शिकार फोटोग्राफर अरविन्द तेंगसे कहते हैं- “भारत के अंदर कोई समुद्र तट निजी नहीं है. माननीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जिस गोवा के बेनॉलिम तट पर बोटिंग और रेत पर चलने का आनन्द ले रहीं थीं, सुरक्षा की दृष्टि से हम फोटो पत्रकारों को उससे 200 मीटर की दूरी पर खड़ा किया गया था. लेकिन यह दिलचस्प है कि यही कानून उन्होंने गोरी चमड़ी वाले विदेशी सैलानियों पर लागू नहीं किया. वे सब उनके आस-पास मौजूद थे. क्या राष्ट्रपति को हमसे खतरा हो सकता था और उन गोरी चमड़ी वालों से कोई खतरा नहीं हो सकता था? क्या हम इस बात को भूल गये कि डेविड हेडली भी टूरिस्ट विजा लेकर भारत आया था और उसने मुम्बई में आतंकी हमले की योजना बनाई थी.”
गोवा पत्रकार संघ के अध्यक्ष राजतिलक नायक कहते हैं- “हमारा पक्ष प्रारंभ से ही साफ है, यदि कोई पत्रकार राष्ट्रपतिजी की तस्वीर समुद्र तट जैसी सार्वजनिक जगह पर लेता है तो
इसी तस्वीर के गोवा के अखबारों में छपने पर बवाल मचा था और पुलिस वालों ने पत्रकारों का उत्पीड़न किया था.
इसी तस्वीर के गोवा के अखबारों में छपने पर बवाल मचा था और पुलिस वालों ने पत्रकारों का उत्पीड़न किया था.
इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. फोटो पत्रकार अपनी नौकरी कर रहे हैं. राष्ट्रपतिजी गोवा में हैं और वे समुद्र तट पर आईं, यह एक खबर है, जिसको लेकर एक आम गोवा वाले में उत्सुकता है. इस जानकारी को हम तस्वीर के माध्यम से अधिक मुकम्मल तरिके से अपने पाठकों के बीच पहुंचा सकते हैं. समुद्र तट तो एक सार्वजनिक जगह है, यहां तस्वीर लेने का हमें हक है. राष्ट्रपतिजी तो एक लोकसेवक हैं, इस बात में उन्हें भी परेशानी नहीं होनी चाहिए.”
अब यह सवाल किसी के मन में आ सकता है कि लगभग सात महीने पहले गुजर चुकी इस घटना का इतने दिनों बाद एक बार फिर जिक्र क्यों आया? इसका जिक्र आया गोवा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एरिस रॉडरिक्स की वजह से, जिन्होंने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई. इससे पता लगा है कि महामहिम राष्ट्रपति महोदया चार दिन की सरकारी यात्रा पर कुनबे के साथ गोवा गईं पर सरकारी काम कुछ नहीं किया. वे दरअसल घूमने और मौज-मस्ती के इरादे से गईं थीं. मतलब साफ है, प्रतिभा के भी दामन दागदार हैं. उन्होंने सरकारी धन का बेहूदा इस्तेमाल किया. उन्हें सरकारी धन का ऐसा बेहूदा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था. उनसे अपेक्षा है कि प्रथम नागरिक होने के नाते सार्वजनिक व निजी जीवन में ऐसा आदर्श स्थापित करेंगी जिसका सभी लोग अनुपालन करें.
तीन से छह जनवरी तक राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की जिस गोवा यात्रा को सरकारी सूत्रों ने पूरी तरह से निजी यात्रा बताया था, रॉडरिक्स को सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार यह पूरी तरह से सरकारी खर्चे पर हुई सरकारी यात्रा थी. गोवा सरकार के प्रोटोकॉल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग ने राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की चार दिनों की गोवा यात्रा पर कुल चौदह लाख, अठारह हजार, सात सौ बहत्तर रुपये खर्च किया हैं. इसमें 5 जनवरी की शाम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के सम्मान में राज्यपाल डा. एसएस सिन्धु के घर पर आयोजित रात्रि भोज का खर्च शामिल नहीं है.
वरिष्ठ अधिवक्ता एरिस रॉडरिक्स को मिली जानकारी के अनुसार इस दौरे में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल अपने पति देवीसिंह शेखावत, अपनी बेटी ज्योति राठोर, पोती वेदिका राठौर और 36 अन्य कर्मचारियों के साथ आईं थीं. इस यात्रा में तीन लाख, बीस हजार, दो सौ पचास रुपये सिडाडे डी गोवा में रुके लोगों पर और एक लाख, उन्तीस हजार, नौ सौ पन्द्रह रुपये का खर्च इंटरनेशनल सेन्टर में रुके लोगों पर किया गया.
गोवा पर्यटन विकास विभाग से किराए पर लिए गए वाहनों पर छह लाख, तेईस हजार, एक सौ अट्ठासी रुपये खर्च किए गए. चार जनवरी को दो लाख, एक हजार, दो सौ बीस रुपये का खर्च खाने-पीने और बेनॉलिम तट घूमने पर खर्च किया गया. 6 जनवरी को दिन का खाना मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत की तरफ से था, जो सिडाडे डी, गोवा में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के सम्मान में रखा गया था. इस पर एक लाख, उन्नीस हजार, नौ सौ निन्यानवे रुपये का खर्च आया. वहीं बीस हजार रुपये का खर्च बोट पर घूमने में, पारा सेलिंग और जेट स्कीट पर आया. जिसका आयोजन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के लिए ही किया गया. जो फूल उन्हें भेंट स्वरुप दिए गए, वे चौवालिस सौ रुपये के थे.
यदि राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल सरकारी कामकाज से गोवा आईं थीं तो किसी को क्या एतराज हो सकता है लेकिन अधिवक्ता एरिस रॉडरिक्स सक्षम अधिकारियों से इतनी जानकारी चाहते हैं- ''यदि राष्ट्रपति राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल यहां निजी यात्रा की जगह सरकारी यात्रा पर थीं तो उनका गोवा में चार दिनों का सरकारी काम क्या था? राज्य के राजकोष से खर्च हुए पैसे-पैसे की जवाबदेही तय होनी चाहिए. लोगों की गाढ़ी कमाई से इकट्ठा किए गए पैसे का इस तरह सार्वजनिक दुरूपयोग बंद होना चाहिए. राष्ट्रपतिजी की गोवा यात्रा पर एक छोटी सी जानकारी उपलब्ध करा दीजिए कि यदि वे यहां निजी यात्रा की जगह सरकारी यात्रा पर थीं तो चार दिनों तक वे किस सरकारी काम से गोवा में थीं? क्या सक्षम अधिकारी यह जानकारी सार्वजनिक कर सकते हैं?''
जाहिर है, उनके इस सवाल पर सब तरफ चुप्पी है.
आशीष कुमार 'अंशु' की रिपोर्ट

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